राहुल गांधी ने एक बयान में यह कहा कि राष्ट्रपति को संसद भवन का उद्घाटन करना चाहिए! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इसे लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति को नए संसद भवन का उद्घाटन करना चाहिए, न कि प्रधानमंत्री को। हाल ही में लोकसभा सचिवालय ने बताया था कि नवनिर्मित भवन का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी से भेंट कर उनसे इसका उद्घाटन करने का आग्रह किया था। राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति जी को करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं।’ राहुल गांधी के अलावा भी विपक्ष के कई नेताओं ने इस बात का समर्थन किया। राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी प्रधानमंत्री के संसद भवन के उद्घाटन पर सवाल उठाया। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री के लिए संसद के नए भवन का उद्घाटन करना संवैधानिक रूप से सही नहीं होगा। सवाल यह उठता है कि क्या इसकी जरूरत है। किसी भी बड़े लोकतंत्र ने ऐसा नहीं किया है।’
उन्होंने कहा कि संसद भारत के संवैधानिक लोकतंत्र की संरक्षक और गौरव है और इसकी महिमा को कम नहीं आंका जाना चाहिए क्योंकि लोगों की संप्रभुता इसमें निहित है। शर्मा ने तर्क दिया कि संविधान का अनुच्छेद 79 स्पष्ट है कि राष्ट्रपति ही संसद के प्रमुख होते हैं जिसमें राज्यसभा और लोकसभा शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री लोकसभा के नेता हैं। केवल राष्ट्रपति ही संसद को आहूत कर सकते हैं-अनुच्छेद 85 ।’ शर्मा ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘राष्ट्रपति संयुक्त सत्र को संबोधित करते हैं और उनके साथ केवल राज्यसभा के सभापति-उपराष्ट्रपति तथा लोकसभा अध्यक्ष होते हैं। प्रधानमंत्री और राज्यसभा के नेता सेंट्रल हॉल में बैठते हैं। संविधान का अक्षरशः सम्मान होना चाहिए और उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए।’
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी भाकपा के महासचिव डी राजा ने भी कहा कि प्रधानमंत्री राज्य के कार्यकारी अंग का नेतृत्व करते हैं और संसद विधायी अंग है। राष्ट्रपति संयुक्त सत्र को संबोधित करते हैं और उनके साथ केवल राज्यसभा के सभापति-उपराष्ट्रपति तथा लोकसभा अध्यक्ष होते हैं। प्रधानमंत्री और राज्यसभा के नेता सेंट्रल हॉल में बैठते हैं। संविधान का अक्षरशः सम्मान होना चाहिए और उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए।उन्होंने कहा, ‘राष्ट्र प्रमुख के रूप में श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा नयी संसद का उद्घाटन किया जाना उचित रहेगा।’ राजा ने आरोप लगाते हुए ट्विटर पर कहा, ‘जब मोदी जी की बात होती है तो खुद की छवि और कैमरों के प्रति जुनून शालीनता तथा मानदंडों पर हावी हो जाता है।’ राजद नेता मनोज कुमार झा ने पूर्व में कहा था, ‘क्या भारत की माननीय राष्ट्रपति को नए ‘संसद भवन’ का उद्घाटन नहीं करना चाहिए? मैं इसे उन पर छोड़ता हूं, जय हिंद।’
AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी प्रधानमंत्री द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन किए जाने के विचार पर आपत्ति जताई थी। ओवैसी ने ट्विटर पर कहा, ‘पीएम को संसद का उद्घाटन क्यों करना चाहिए? वह कार्यपालिका के प्रमुख हैं, विधायिका के नहीं। हमारे पास शक्तियों का पृथक्करण है और माननीय लोकसभा अध्यक्ष तथा राज्यसभा के सभापति द्वारा उद्घाटन किया जा सकता है।राष्ट्रपति संयुक्त सत्र को संबोधित करते हैं और उनके साथ केवल राज्यसभा के सभापति-उपराष्ट्रपति तथा लोकसभा अध्यक्ष होते हैं। प्रधानमंत्री और राज्यसभा के नेता सेंट्रल हॉल में बैठते हैं। संविधान का अक्षरशः सम्मान होना चाहिए और उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए। यह जनता के पैसे से बनाया गया है, पीएम ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं जैसे कि उनके ‘दोस्तों’ ने इसे अपने निजी कोष से प्रायोजित किया है?’
संसद के नए भवन के उद्घाटन के लिए 28 मई की तारीख तय की गई है। उसी दिन हिंदुत्व विचारक वी डी सावरकर की जयंती है और कई विपक्षी दलों ने इसे लेकर सरकार पर निशाना साधा है।राष्ट्रपति संयुक्त सत्र को संबोधित करते हैं और उनके साथ केवल राज्यसभा के सभापति-उपराष्ट्रपति तथा लोकसभा अध्यक्ष होते हैं। प्रधानमंत्री और राज्यसभा के नेता सेंट्रल हॉल में बैठते हैं। संविधान का अक्षरशः सम्मान होना चाहिए और उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए। कांग्रेस ने इसे राष्ट्र निर्माताओं का अपमान करार दिया है। लोकसभा सचिवालय द्वारा संसद भवन पर तैयार की गई पुस्तिका के अनुसार, नए संसद भवन के लोकसभा कक्ष में 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी और राज्यसभा में 384 सदस्य बैठ सकेंगे। दोनों सदनों के संयुक्त सत्र के दौरान सदन में कुल 1,280 सदस्य समायोजित किए जा सकते हैं। प्रधानमंत्री ने 10 दिसंबर 2020 को संसद के नए भवन की आधारशिला रखी थी। मौजूदा संसद भवन 1927 में बनकर तैयार हुआ था।