हाल ही में रामगोपाल यादव ने बीजेपी पर तंज कसा है! उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी एक बार फिर अपनी ताकत को बढ़ाने की मुहिम में जुट गई है। इसके लिए जिला स्तर पर कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है। कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर में कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की कोशिश हो रही है। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से लेकर राष्ट्रीय प्रधान महासचिव रामगोपाल यादव और राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव लगातार बड़े संदेश देते दिख रहे हैं। वहीं, समाजवादी पार्टी प्रदेश में प्रबल प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी पर लगातार बड़े हमले कर रही है। इसके जरिए कार्यकर्ताओं को संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है कि पार्टी भाजपा के मुकाबले में पूरी तरह से खड़ी है। इस क्रम में रामगोपाल यादव का बड़ा बयान सामने आया है। सीतापुर के नैमिषारण्य में सपा कार्यकर्ता सम्मेलन के आयोजन को लेकर रामगोपाल यादव का बड़ा बयान आया है। उन्होंने कहा है कि असुरों का विनाश करने के लिए नैमिषारण्य से कार्यक्रम की शुरुआत हो रही है। इसमें उन्होंने जोड़ा कि भारतीय जनता पार्टी के लोग क्या किसी असुर से कम है? उन्होंने संदेश दिया है कि लोकसभा चुनाव 2014 में समाजवादी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी को इसी रणनीति के तहत हराएगी। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव रामगोपाल यादव ने कहा कि असुरों के विनाश के लिए नैमिषारण्य से कार्यक्रम की शुरुआत कर रहे हैं। बीजेपी के लोग किसी असुर से कम नहीं हैं। उनके बयान पर राजनीति गरमाने लगी है। अमूमन संसद में प्रो. रामगोपाल यादव भाजपा के खिलाफ इस स्तर पर मुखर नहीं होते हैं। हालांकि, अब रण 2024 का सजने लगा है। ऐसे में समाजवादी पार्टी यूपी में खुद को भाजपा के सामने खड़ा करने की फिराक में है। यूपी चुनाव 2022 की तर्ज पर माहौल बनाया जा रहा है। कोशिश की जा रही है कि भाजपा के सामने किसी अन्य दल को विपक्षी पार्टी के रूप में स्थापित नहीं होने दिया जाए। इसके लिए सपा मैनपुरी लोकसभा उप चुनाव के मॉडल को लेकर तमाम जिलों के कार्यकर्ताओं के बीच जा रही है। परिवार की एकता भी चर्चा हो रही है।
यूपी की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नैमिषारण्य और असुर की चर्चा प्रो. रामगोपाल यादव ने ऐसे ही नहीं की है। अब तक भाजपा की ओर से समाजवादी पार्टी को एक वर्ग विशेष से जोड़कर पेश किया जाता रहा है। अयोध्या में वर्ष 1990 में राम मंदिर के कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिए जाने के मामले में तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव को भाजपा की ओर से लगातार घेरा जाता रहा है। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद सपा अब उस दायरे से बाहर निकलने की कोशिश कर रही है। पार्टी का प्रयास हर वर्ग को साधने का है। इस क्रम में भारतीय जनता पार्टी नेताओं को असुर की संज्ञा देकर रामगोपाल ने एक नई राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है।
समाजवादी पार्टी के 6 जून को लखीमपुर खीरी में हुए प्रशिक्षण शिविर में पार्टी की गुटबाजी साफ दिखी थी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए रणनीति पर काम शुरू किया। उन्होंने मंच से गुटबाजी समाप्त कर एकजुट होने का संदेश दिया। वहीं, शिवपाल ने कहा कि अगर समाजवादी एकजुट हो जाएं तो फिर उनके मुकाबले में कोई भी खड़ा नहीं हो सकता है। सपा अध्यक्ष ने जिला स्तर के कार्यकर्ता सम्मेलनों में भाषण के साथ-साथ कार्यकर्ताओं के विभिन्न गुटों के साथ बैठक भी शुरू की है। वे कार्यकर्ताओं को समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि जैसे सैफई परिवार एक हुआ है। प्रो. रामगोपाल, शिवपाल और खुद अखिलेश एक मंच पर साथ आए हैं, उसी प्रकार कार्यकर्ता भी तमाम विवादों को भूलकर 2024 के लिए एकजुट हो जाएं।
समावजादी पार्टी का दूसरा प्रशिक्षण सह चिंतन शिविर शुक्रवार से सीतापुर जिले में स्थित तपोभूमि नैमिषारण्य में शुरू हुआ है। इस शिविर में सामाजिक न्याय, जातीय जनगणना की मांग को बढ़ाने, 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति पर विचार कर बूथ, सेक्टर से लेकर जिला स्तर तक के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के एजेंडे पर चर्चा शुरू हुई है। सत्र की शुरुआत करते हुए राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव रामगोपाल यादव ने भाजपा पर कड़ा निशाना साधा। इसको लेकर अब राजनीतिक पारा हाई हो गया है। राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव के साथ रामअचल राजभर, लालजी वर्मा, स्वामी प्रसाद मौर्य, राजीव निगम, जूही सिंह और इंद्रजीत सरोज का भी संबोधन चल रहा है।
शनिवार को प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, मौलाना इरफान कादरी और उदय प्रताप सिंह के संबोधन के साथ शिविर का समापन होगा। सीतापुर की 9 विधानसभाओं सीटों में 8 भाजपा के पास हैं। इस जिले में सीतापुर, मिश्रिख, धौरहरा और मोहनलालगंज सहित जुड़ने वाली चार लोकसभा सीटों पर भी भाजपा काबिल है। ऐसे में नैमिषारण्य की चर्चा कर रामगोपाल सॉफ्ट हिंदुत्व के मुद्दे को साधते दिख रहे हैं।
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, नैमिषारण्य में ऋषि दधीचि ने लोक कल्याण के लिए अपने विरोधी देवराज इन्द्र को अपनी अस्थियां दान की थीं। साथ ही ये भी कहा जाता है कि नैमिषारण्य का नाम नैमिष नामक वन के कारण रखा गया। दरअसल, महाभारत युद्ध के बाद साधु-संत कलियुग की शुरुआत को लेकर चिंतित थे। उन्होंने ब्रह्मा जी से किसी ऐसे स्थान के बारे में बताने के लिए कहा, जो कलियुग के प्रभाव से अछूता रहे। बह्माजी ने एक पवित्र चक्र निकाला और उसे पृथ्वी की तरफ घुमाते हुए बोले कि जहां भी ये चक्र रुकेगा, वह कलियुग के प्रभाव से अछूता रहेगा। ब्रह्मा जी का चक्र नैमिष वन में आकर रुका। इस कारण, साधु-संतों ने यहां अपनी तपोभूमि बना ली। एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान श्रीराम ने इसी स्थान पर अश्वमेध यज्ञ किया था। यहीं पर माता सीता महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रहती थीं। पहली बार भगवान राम को अपने पुत्रों लव और कुश से यहीं मुलाकात हुई थी।