Monday, December 23, 2024
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आखिर कैसे शुरू हुई वेणुगोपाल और सिंधिया की जुबानी जंग?

आज हम आपको बताएंगे कि वेणुगोपाल और सिंधिया की जुबानी जंग कैसे शुरू हुई! कांग्रेस ने महंगे हवाई टिकट पर मोदी सरकार को घेरा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के. सी. वेणुगोपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘हवाई चप्पल में हवाई जहाज की यात्रा’ वाली बात दोहराते हुए तंज कसा कि रोजाना दिल्ली-मुंबई की फ्लाइट का किराया 15,000 रुपये से ज्यादा पहुंच जा रहा है, ऐसे में उनकी बात एक तरह से क्रूर मजाक लगती है। 6 पॉइंट्स में सवाल पूछते हुए कांग्रेस नेता ने सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सरकार विमानन कंपनियों की ‘लूट वाली प्रवृत्ति’ को रोकने में अक्षम है। इस मुद्दे पर के सी वेणुगोपाल और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया में ट्विटर पर जुबानी जंग देखी गई। दोनों नेताओं का टकराव देख ट्विटर पर कई यूजर्स भी लिखने लगे। सिंधिया के जवाब पर विकास झा ने लिखा, ‘ट्वीट में उठाए गए सवालों के जवाब देने की बजाय आप जलेबी क्यों बनाने लगे?’ एक अन्य ट्वीट में वेणुगोपाल ने लिखा, ‘कन्नूर एयरपोर्ट का अभी का शेड्यूल देख लीजिए। वहां से महीने में 252 गोफर्स्ट फ्लाइट्स संचालित होती रही हैं। हालांकि गोफर्स्ट संकट के बाद एक भी फ्लाइट ने उनकी जगह नहीं ली। गोफर्स्ट क्राइसिस और स्पाइस जेट की खराब परफॉर्मेंस के चलते पुणे एयरपोर्ट पर 30 प्रतिशत स्लॉट खाली हैं। अगर भारतीय अर्थव्यवस्था सच में बढ़ रही होती तो एयरलाइंस अपनी क्षमता बढ़ाती। इसके बजाय उन्हें रेट आसमान पर पहुंचाने की इजाजत दी जा रही है।’

सरकार ने पिछले सप्ताह एयरलाइंस से कहा था कि विमान टिकट की कीमतों में बढ़ोतरी के बीच उचित किराया सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र तैयार करें। वेणुगोपाल ने शनिवार को कहा था कि अगस्त 2022 में विमान किराए पर लगी सीमा को ऐसे समय हटाया गया जब अर्थव्यवस्था ‘डांवाडोल’ स्थिति में थी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘हवाई चप्पल में हवाई जहाज की यात्रा’ वाली बात दोहराते हुए तंज कसा कि रोजाना दिल्ली-मुंबई की फ्लाइट का किराया 15,000 रुपये से ज्यादा पहुंच जा रहा है, ऐसे में उनकी बात एक तरह से क्रूर मजाक लगती है। 6 पॉइंट्स में सवाल पूछते हुए कांग्रेस नेता ने सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सरकार विमानन कंपनियों की ‘लूट वाली प्रवृत्ति’ को रोकने में अक्षम है। इस मुद्दे पर के सी वेणुगोपाल और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया में ट्विटर पर जुबानी जंग देखी गई।सरकार ने पिछले सप्ताह एयरलाइंस से कहा था कि विमान टिकट की कीमतों में बढ़ोतरी के बीच उचित किराया सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र तैयार करें। वेणुगोपाल ने शनिवार को कहा था कि अगस्त 2022 में विमान किराए पर लगी सीमा को ऐसे समय हटाया गया जब अर्थव्यवस्था ‘डांवाडोल’ स्थिति में थी। उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या यात्रियों को इससे होने वाली परेशानी से बचाने के लिए कोई योजना है।उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या यात्रियों को इससे होने वाली परेशानी से बचाने के लिए कोई योजना है।

इस पर पलटवार करते हुए सिंधिया ने रविवार को ट्वीट किया कि जब वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट का सामना कर रही हैप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘हवाई चप्पल में हवाई जहाज की यात्रा’ वाली बात दोहराते हुए तंज कसा कि रोजाना दिल्ली-मुंबई की फ्लाइट का किराया 15,000 रुपये से ज्यादा पहुंच जा रहा है, ऐसे में उनकी बात एक तरह से क्रूर मजाक लगती है। 6 पॉइंट्स में सवाल पूछते हुए कांग्रेस नेता ने सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सरकार विमानन कंपनियों की ‘लूट वाली प्रवृत्ति’ को रोकने में अक्षम है। इस मुद्दे पर के सी वेणुगोपाल और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया में ट्विटर पर जुबानी जंग देखी गई। हमारी अर्थव्यवस्था उम्मीद की किरण के रूप में 6.0 से 6.5 प्रतिशत विकास दर के साथ खड़ी हुई है।

एक पॉइंट में वेणुगोपाल ने यह भी लिखा, ‘जब बालासोर ट्रेन हादसा हुआ, भुवनेश्वर और कोलकाता से उड़ानों का रेट बेकाबू क्यों होने दिया गया, लोगों की पीड़ा को लेकर मंत्रालय इतना उदासीन क्यों था?प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘हवाई चप्पल में हवाई जहाज की यात्रा’ वाली बात दोहराते हुए तंज कसा कि रोजाना दिल्ली-मुंबई की फ्लाइट का किराया 15,000 रुपये से ज्यादा पहुंच जा रहा है, ऐसे में उनकी बात एक तरह से क्रूर मजाक लगती है। 6 पॉइंट्स में सवाल पूछते हुए कांग्रेस नेता ने सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सरकार विमानन कंपनियों की ‘लूट वाली प्रवृत्ति’ को रोकने में अक्षम है। इस मुद्दे पर के सी वेणुगोपाल और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया में ट्विटर पर जुबानी जंग देखी गई। सिंधिया की आलोचना करते हुए वेणुगोपाल ने रविवार को एक अन्य ट्वीट में कहा कि आंकड़ों को तोड़-मरोड़ कर और जमीन पर वास्तविक तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने से मध्यम वर्ग की रोजमर्रा की पीड़ा को दूर नहीं किया जा सकता है।

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