क्या कांग्रेस के विपक्षी ऑफर पर अब कांग्रेस को ही हो रही है टेंशन?

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कांग्रेस के विपक्षी ऑफर पर अब कांग्रेस को ही टेंशन हो रही है! पटना में 23 जून को विपक्षी एकता के लिए बड़ी बैठक होने वाली है। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले यह कई मायनों में अहम है। इससे पिक्‍चर क्‍लीयर होगी कि विपक्ष के खेमे में कौन-कौन से दल हैं। हालांकि, इस बैठक से पहले ही कई दल कांग्रेस का तेल निकालने में जुट गए हैं। इन्‍होंने कांग्रेस के साथ चलने के लिए कई तरह की शर्तें धर दी हैं। ये शर्तें न उगलने और न लीलने वाली हैं। देश के प्रमुख विपक्षी दल के सामने ऐसा करने वाली पार्टियों में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का नाम सबसे आगे है। जिन शर्तों के साथ इन्‍होंने कांग्रेस के साथ कदमताल करने की बात कही है उससे तो कहानी ही बदल जाएगी। यही कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी मुश्किल है। अगर कांग्रेस इन शर्तों को मानने के लिए तैयार होती है तो उसे भारी नुकसान होने की आशंका है। पटना की बैठक से पहले कांग्रेस की टेंशन बढ़ गई है। टेंशन बढ़ाने वाले इन नामों में ममता और केजरीवाल प्रमुख हैं।पहले ममता की बात कर लेते हैं। ममता बनर्जी ने दो-टूक कहा कि अगर कांग्रेस ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी यानी CPI-M के साथ बंगाल में गठबंधन किया तो फिर उसे टीएमसी से किसी तरह की मदद मिलने की उम्मीद नहीं पालनी चाहिए। 23 जून को पटना में होने वाली विपक्ष की बैठक से ठीक पहले यह बयान सिर्फ कांग्रेस के लिए टेंशन नहीं है। अलबत्‍ता, विपक्ष की एकता के झंडेबरदार नीतीश कुमार के लिए भी संकट खड़ा करता है। बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश की कवायद पर ही यह बैठक होने वाली है। पहले ममता की बात कर लेते हैं। ममता बनर्जी ने दो-टूक कहा कि अगर कांग्रेस ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी यानी CPI-M के साथ बंगाल में गठबंधन किया तो फिर उसे टीएमसी से किसी तरह की मदद मिलने की उम्मीद नहीं पालनी चाहिए। 23 जून को पटना में होने वाली विपक्ष की बैठक से ठीक पहले यह बयान सिर्फ कांग्रेस के लिए टेंशन नहीं है। अलबत्‍ता, विपक्ष की एकता के झंडेबरदार नीतीश कुमार के लिए भी संकट खड़ा करता है। बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश की कवायद पर ही यह बैठक होने वाली है।

विपक्षी एकता का ‘दुश्‍मन’ दिख रहा दूसरा दल AAP है। इसने भी कांग्रेस के सामने खुली पेशकश कर दी है। केजरीवाल सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज के फॉर्मूले से इसे समझा जा सकता है। गुरुवार को सौरभ ने कहा था कि दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़े तो पार्टी मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस के खिलाफ उम्‍मीदवार नहीं खड़े करेगी।विपक्षी एकता का ‘दुश्‍मन’ दिख रहा दूसरा दल AAP है। इसने भी कांग्रेस के सामने खुली पेशकश कर दी है। पहले ममता की बात कर लेते हैं। ममता बनर्जी ने दो-टूक कहा कि अगर कांग्रेस ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी यानी CPI-M के साथ बंगाल में गठबंधन किया तो फिर उसे टीएमसी से किसी तरह की मदद मिलने की उम्मीद नहीं पालनी चाहिए। 23 जून को पटना में होने वाली विपक्ष की बैठक से ठीक पहले यह बयान सिर्फ कांग्रेस के लिए टेंशन नहीं है। अलबत्‍ता, विपक्ष की एकता के झंडेबरदार नीतीश कुमार के लिए भी संकट खड़ा करता है। बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश की कवायद पर ही यह बैठक होने वाली है।केजरीवाल सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज के फॉर्मूले से इसे समझा जा सकता है। गुरुवार को सौरभ ने कहा था कि दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़े तो पार्टी मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस के खिलाफ उम्‍मीदवार नहीं खड़े करेगी। भारद्वाज ने इसके लिए दिल्ली के 2015 और 2020 विधानसभा चुनाव नतीजों का उदाहरण भी दिया था। इसमें कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी। भारद्वाज ने इसके लिए दिल्ली के 2015 और 2020 विधानसभा चुनाव नतीजों का उदाहरण भी दिया था। इसमें कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी।

ऐसे ऑफर और चैलेंज के बीच विपक्ष की एकता अटकी हुई दिखती है। जो फॉर्मूले कांग्रेस के सामने हैं, उन्‍हें मानना पार्टी के लिए बहुत मुश्किल है।पहले ममता की बात कर लेते हैं। ममता बनर्जी ने दो-टूक कहा कि अगर कांग्रेस ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी यानी CPI-M के साथ बंगाल में गठबंधन किया तो फिर उसे टीएमसी से किसी तरह की मदद मिलने की उम्मीद नहीं पालनी चाहिए। 23 जून को पटना में होने वाली विपक्ष की बैठक से ठीक पहले यह बयान सिर्फ कांग्रेस के लिए टेंशन नहीं है। अलबत्‍ता, विपक्ष की एकता के झंडेबरदार नीतीश कुमार के लिए भी संकट खड़ा करता है। बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश की कवायद पर ही यह बैठक होने वाली है। इस बात से बीजेपी जरूर खुश होगी। वह विपक्ष के इस फॉर्मूले में सत्‍ता की हैट्रिक लगाने का प्‍लान तैयार करने में जुट गई होगी।