अब एनसीईआरटी किताबों में परिवर्तन होकर ही रहेगा! NCERT की किताबों पर शुरू हुआ विवाद बढ़ता ही जा रहा है। किताबों से कई विषयों और अंशों को हटाने से शुरू हुए विवाद के बीच पिछले कुछ दिनों में शिक्षाविदों ने इन किताबों से अपना नाम हटाने की मांग की है। अब UGC चेयरमैन समेत शिक्षाविदों के एक ग्रुप ने नाम वापसी की मांग करने वालों की मंशा पर सवाल उठाए हैं। सेंट्रल यूनिवर्सिटीज के वाइस चांसलर, NIT के डायरेक्टर, नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग की चेयरमैन समेत कई संस्थानों के प्रमुखों ने संयुक्त बयान जारी किया है। कहा गया कि नाम वापसी का तमाशा करके किताबों को अपडेट करने की प्रक्रिया बाधित की जा रही है। गलत सूचनाओं, अफवाहों और झूठे आरोपों के जरिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के कार्यान्वयन को पटरी से उतारना चाहते हैं। UGC चेयरमैन प्रो. एम. जगदीश कुमार का कहना है कि NCERT की किताबों के तर्कसंगत बदलाव को लेकर शिक्षाविदों की आपत्तियों में कोई दम नहीं है। यह विवाद तब शुरू हुआ थासेंट्रल यूनिवर्सिटीज के वाइस चांसलर, NIT के डायरेक्टर, नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग की चेयरमैन समेत कई संस्थानों के प्रमुखों ने संयुक्त बयान जारी किया है। कहा गया कि नाम वापसी का तमाशा करके किताबों को अपडेट करने की प्रक्रिया बाधित की जा रही है। गलत सूचनाओं, अफवाहों और झूठे आरोपों के जरिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के कार्यान्वयन को पटरी से उतारना चाहते हैं। UGC चेयरमैन प्रो. एम. जगदीश कुमार का कहना है कि NCERT की किताबों के तर्कसंगत बदलाव को लेकर शिक्षाविदों की आपत्तियों में कोई दम नहीं है। यह विवाद तब शुरू हुआ था जब प्रफेसर सुहास पलशिकर और योगेंद्र यादव ने 6 किताबों से खुद को अलग किया। इसके बाद देश के 33 शिक्षाविदों ने भी NCERT की किताबों से अपना नाम हटाने को कहा है। जब प्रफेसर सुहास पलशिकर और योगेंद्र यादव ने 6 किताबों से खुद को अलग किया। इसके बाद देश के 33 शिक्षाविदों ने भी NCERT की किताबों से अपना नाम हटाने को कहा है।UGC चेयरमैन प्रो. एम. जगदीश कुमार ने ट्वीट कर कहा कि NCERT पर कुछ शिक्षाविदों के हमले अनुचित हैं। पहले भी समय-समय पर किताबों में संशोधन हुआ है। NCERT ने बार-बार कहा है कि किताबों का संशोधन कई हितधारकों की राय और सुझावों के बाद होता है। एक्सपर्ट कमिटी की सिफारिश होती है।
NCERT ने यह भी पुष्टि की है कि नैशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के आधार पर किताबों का एक नया सेट तैयार किया जा रहा है। यह केवल एक अस्थायी चरण है। ऐसे में शिक्षाविदों के हो-हल्ले में कोई दम नहीं है।सेंट्रल यूनिवर्सिटीज के वाइस चांसलर, NIT के डायरेक्टर, नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग की चेयरमैन समेत कई संस्थानों के प्रमुखों ने संयुक्त बयान जारी किया है। कहा गया कि नाम वापसी का तमाशा करके किताबों को अपडेट करने की प्रक्रिया बाधित की जा रही है। गलत सूचनाओं, अफवाहों और झूठे आरोपों के जरिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के कार्यान्वयन को पटरी से उतारना चाहते हैं। UGC चेयरमैन प्रो. एम. जगदीश कुमार का कहना है कि NCERT की किताबों के तर्कसंगत बदलाव को लेकर शिक्षाविदों की आपत्तियों में कोई दम नहीं है। यह विवाद तब शुरू हुआ था जब प्रफेसर सुहास पलशिकर और योगेंद्र यादव ने 6 किताबों से खुद को अलग किया। इसके बाद देश के 33 शिक्षाविदों ने भी NCERT की किताबों से अपना नाम हटाने को कहा है।71 शिक्षाविदों के एक ग्रुप ने आरोप लगाया है कि पिछले तीन महीने से कुछ लोग NCERT को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। करिकुलम अपडेट करने की प्रक्रिया को रोकने की कोशिश की जा रही है। यह शिक्षाविदों के बौद्धिक अहंकार को दर्शाता है, जो चाहते हैं कि छात्र 17 साल पुरानी किताबों को ही पढ़ते रहें।
संयुक्त बयान को जारी करने वालों में JNU की वाइस चांसलर समेत कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों के वीसी शामिल हैं।सेंट्रल यूनिवर्सिटीज के वाइस चांसलर, NIT के डायरेक्टर, नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग की चेयरमैन समेत कई संस्थानों के प्रमुखों ने संयुक्त बयान जारी किया है। कहा गया कि नाम वापसी का तमाशा करके किताबों को अपडेट करने की प्रक्रिया बाधित की जा रही है। गलत सूचनाओं, अफवाहों और झूठे आरोपों के जरिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के कार्यान्वयन को पटरी से उतारना चाहते हैं। UGC चेयरमैन प्रो. एम. जगदीश कुमार का कहना है कि NCERT की किताबों के तर्कसंगत बदलाव को लेकर शिक्षाविदों की आपत्तियों में कोई दम नहीं है। यह विवाद तब शुरू हुआ था जब प्रफेसर सुहास पलशिकर और योगेंद्र यादव ने 6 किताबों से खुद को अलग किया। इसके बाद देश के 33 शिक्षाविदों ने भी NCERT की किताबों से अपना नाम हटाने को कहा है। बयान में कहा गया है कि इस नाम-वापसी के तमाशे के जरिए मीडिया का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करने वाले शिक्षाविद यह भूल गए हैं कि किताबें कड़े प्रयासों का परिणाम हैं। बच्चों के भविष्य को खतरे में डालने की कोशिश की जा रही है। नाम वापसी की मांग करने वालों के बड़बोलेपन के पीछे शैक्षणिक कारणों से इतर उद्देश्य लगता है।