वर्तमान में अब भी इंसान नाली का मैल साफ करते नजर आते हैं! देश में नाले की सफाई की दौरान होने वाली मौतों को रोकने के लिए सरकार ने देश को इंसानों द्वारा मैले की सफाई की प्रथा खत्म करने का लक्ष्य रखा था। इसके लिए अगस्त 2023 तक देश में इंसानों द्वारा की जाने वाली सफाई का चलन बंद करना था, लेकिन डेडलाइन सिर पर आने के बावजूद देश के लगभग दो तिहाई जिलों ने खुद को इंसानों द्वारा मैला सफाई की प्रैक्टिस से मुक्त होने दावा नहीं किया है। यह बात सामाजिक अधिकारिता एवं न्याय मंत्रालय की ओर से आयोजित राज्यों की केंद्रीय निगरानी समिति की आठवीं बैठक में निकल कर सामने आई। ध्यान रहे कि बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय सामाजिक अधिकारिता एवं न्याय मंत्री वीरेंद्र कुमार की अध्यक्षता में इस मीटिंग का आयोजन हुआ। कोविड महामारी के चलते निगरानी समिति की यह बैठक तीन साल बाद हो रही है। आखिरी बैठक 2020 में हुई थी। ड्यूटी के दौरान सफाई करते हुए दम घुटने के चलते देश में होने वाली मौतों को रोकने के लिए इस बार आम बजट में विशेष प्रावधान किया गया। सरकार का आदेश है कि कोई भी सफाईकर्मी पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के बिना सीवेज या सैप्टिक टैंक में न उतरे। इस काम में ज्यादा से ज्यादा मशीनों और तकनीक की मदद लेने की बात भी कही गई है। इसके लिए सरकार ‘नमस्ते योजना’ लाई है, जिसमें इस काम के लिए सफाईकर्मी को ट्रेंड और स्किल वर्कर्स को लगाने का प्रावधान है।
समिति की बैठक में साझा की गई जानकारी और आंकड़ों के मुताबिक, देश के 766 जिलों में से 520 जिलों ने खुद का इंसानों द्वारा मैला सफाई की प्रैक्टिस से मुक्त होने दावा किया है। ड्यूटी के दौरान सफाई करते हुए दम घुटने के चलते देश में होने वाली मौतों को रोकने के लिए इस बार आम बजट में विशेष प्रावधान किया गया। सरकार का आदेश है कि कोई भी सफाईकर्मी पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के बिना सीवेज या सैप्टिक टैंक में न उतरे। इस काम में ज्यादा से ज्यादा मशीनों और तकनीक की मदद लेने की बात भी कही गई है। इसके लिए सरकार ‘नमस्ते योजना’ लाई है, जिसमें इस काम के लिए सफाईकर्मी को ट्रेंड और स्किल वर्कर्स को लगाने का प्रावधान है।वहीं, बाकी जिलों को अपनी रिपोर्ट अभी देनी है।
मंत्रालय के एक आला सूत्र के मुताबिक, जिन भी राज्यों ने खुद को इंसानी मैला सफाई की प्रक्रिया से मुक्त नहीं किया है,समिति की बैठक में साझा की गई जानकारी और आंकड़ों के मुताबिक, देश के 766 जिलों में से 520 जिलों ने खुद का इंसानों द्वारा मैला सफाई की प्रैक्टिस से मुक्त होने दावा किया है। वहीं, बाकी जिलों को अपनी रिपोर्ट अभी देनी है। मंत्रालय के एक आला सूत्र के मुताबिक, जिन भी राज्यों ने खुद को इंसानी मैला सफाई की प्रक्रिया से मुक्त नहीं किया है, उनसे कहा गया है कि या तो वह अपने मुक्त होने की जानकारी दें या फिर अपने राज्यों में वे अस्वच्छ शौचालयों और मैला साफ करने वाले कर्मियों की जानकारी दें, ताकि स्वच्छ भारत मिशन के तहत उन कर्मियों को सुरक्षा लाभों और पुनर्वास के लिए सहायता दी जा सके और अस्वच्छ शौचायलों को स्वच्छ शौचालयों में बदला जा सके। उनसे कहा गया है कि या तो वह अपने मुक्त होने की जानकारी दें या फिर अपने राज्यों में वे अस्वच्छ शौचालयों और मैला साफ करने वाले कर्मियों की जानकारी दें, ताकि स्वच्छ भारत मिशन के तहत उन कर्मियों को सुरक्षा लाभों और पुनर्वास के लिए सहायता दी जा सके और अस्वच्छ शौचायलों को स्वच्छ शौचालयों में बदला जा सके।
सरकार के पास आए आंकड़ों के मुताबिक, मध्य प्रदेश के 52 जिलों में 35 जिलों, महाराष्ट्र के 36 में से 21 जिलों ने अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी हैं।ड्यूटी के दौरान सफाई करते हुए दम घुटने के चलते देश में होने वाली मौतों को रोकने के लिए इस बार आम बजट में विशेष प्रावधान किया गया। सरकार का आदेश है कि कोई भी सफाईकर्मी पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के बिना सीवेज या सैप्टिक टैंक में न उतरे। इस काम में ज्यादा से ज्यादा मशीनों और तकनीक की मदद लेने की बात भी कही गई है। इसके लिए सरकार ‘नमस्ते योजना’ लाई है, जिसमें इस काम के लिए सफाईकर्मी को ट्रेंड और स्किल वर्कर्स को लगाने का प्रावधान है। वहीं देश के 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सफाई कर्मचारियों से जुड़े आंकड़े तक नहीं हैं। मैनुअल स्केवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 के अनुसार देश में इंसानों द्वारा मैला सफाई पर रोक है। इसके लिए हर राज्य में राज्य सफाई कर्मचारी आयोग, राज्य निगरानी समिति और जिला निगरानी समिति के गठन पर जोर दिया गया है, लेकिन दस साल बाद भी तमाम राज्यों में इन समितियों का गठन ही नहीं हुआ।