Monday, December 23, 2024
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यूसीसी मुद्दे पर क्या बोले गुलाम नबी आजाद?

हाल ही में गुलाम नबी आजाद ने यूसीसी के मुद्दे पर एक बयान दिया है! देश में इस समय यूसीसी यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस नए कानून को लेकर लोगों की अलग-अलग राय है। एक धड़ा इसे लागू कराने के पक्ष में है तो एक है जो इसे किसी भी कीमत में नहीं चाहता। विपक्षी पार्टी के नेताओं में भी इसे लेकर अलग-अलग राय है। इस बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने मोदी सरकार को सलाह दी है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि यह आर्टिकल 370 को निरस्त करने जैसा नहीं होगा। उन्होंने केंद्र सरकार को आगाह करते हुए कहा कि इसका सभी धर्मों पर असर पड़ेगा। डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी DPAP के अध्यक्ष आजाद ने कहा, ‘यूसीसी को लागू करने का सवाल ही नहीं है। यह अनुच्छेद-370 को निरस्त करने जितना आसान नहीं है। सभी धर्म इसमें शामिल हैं। सिर्फ मुसलमान ही नहीं, बल्कि सिख, ईसाई, आदिवासी, जैन और पारसी, इन सभी लोगों को नाराज करना किसी भी सरकार के लिए अच्छा नहीं होगा।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैं सरकार को सलाह देता हूं कि वह यह कदम उठाने के बारे में सोचे भी नहीं।’

डीपीएपी अध्यक्ष ने जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा भूमिहीनों को भूमि देने की नीति की घोषणा का स्वागत किया लेकिन मांग की कि केंद्र शासित प्रदेश के गरीब निवासियों को ही जमीन दी जाए न कि बाहरी लोगों को। उन्होंने कहा, ‘जमीन दी जानी चाहिए लेकिन एक शर्त है। हम घोषणा का स्वागत करते हैं लेकिन जमीन केवल जम्मू कश्मीर के गरीब निवासियों को ही दी जानी चाहिए। यह महत्वपूर्ण है।’जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्र शासित प्रदेश में जल्द विधानसभा चुनाव कराने की भी पैरवी की।

आजाद ने कहा, ‘हम 2018 में विधानसभा भंग होने के बाद से इंतजार कर रहे हैं। तब से हम चुनाव कराए जाने का इंतजार कर रहे हैं। जम्मू कश्मीर के लोग राज्य में लोकतांत्रिक ढांचा बहाल करने का इंतजार कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा,जमीन दी जानी चाहिए लेकिन एक शर्त है। हम घोषणा का स्वागत करते हैं लेकिन जमीन केवल जम्मू कश्मीर के गरीब निवासियों को ही दी जानी चाहिए। यह महत्वपूर्ण है।’जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्र शासित प्रदेश में जल्द विधानसभा चुनाव कराने की भी पैरवी की। ‘आजाद ने कहा, ‘हम 2018 में विधानसभा भंग होने के बाद से इंतजार कर रहे हैं। तब से हम चुनाव कराए जाने का इंतजार कर रहे हैं। जम्मू कश्मीर के लोग राज्य में लोकतांत्रिक ढांचा बहाल करने का इंतजार कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘किसी लोकतंत्र में केवल निर्वाचित प्रतिनिधि ही लोगों के लिए काम कर सकते हैं। यहां या देश में कहीं भी अधिकारी छह महीने से ज्यादा वक्त तक प्रशासन नहीं चला सकते। निर्वाचित प्रतिनिधि होना महत्वपूर्ण है। हम लगातार यह मांग करते रहे हैं कि जल्द से जल्द चुनाव कराए जाए।’ लोकतंत्र में केवल निर्वाचित प्रतिनिधि ही लोगों के लिए काम कर सकते हैं। यहां या देश में कहीं भी अधिकारी छह महीने से ज्यादा वक्त तक प्रशासन नहीं चला सकते। निर्वाचित प्रतिनिधि होना महत्वपूर्ण है। हम लगातार यह मांग करते रहे हैं कि जल्द से जल्द चुनाव कराए जाए।’

महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में घटनाक्रम पर आजाद ने कहा, ‘मैं शरद पवार का काफी सम्मान करता हूं,जमीन दी जानी चाहिए लेकिन एक शर्त है। हम घोषणा का स्वागत करते हैं लेकिन जमीन केवल जम्मू कश्मीर के गरीब निवासियों को ही दी जानी चाहिए। यह महत्वपूर्ण है।’जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्र शासित प्रदेश में जल्द विधानसभा चुनाव कराने की भी पैरवी की। मैं चाहता हूं कि उनकी पार्टी मजबूत रहे। लेकिन आंतरिक स्थिति के कारण जो भी हुआ है, हमजमीन दी जानी चाहिए लेकिन एक शर्त है। हम घोषणा का स्वागत करते हैं लेकिन जमीन केवल जम्मू कश्मीर के गरीब निवासियों को ही दी जानी चाहिए।जमीन दी जानी चाहिए लेकिन एक शर्त है। हम घोषणा का स्वागत करते हैं लेकिन जमीन केवल जम्मू कश्मीर के गरीब निवासियों को ही दी जानी चाहिए। यह महत्वपूर्ण है।’जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्र शासित प्रदेश में जल्द विधानसभा चुनाव कराने की भी पैरवी की। यह महत्वपूर्ण है।’जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्र शासित प्रदेश में जल्द विधानसभा चुनाव कराने की भी पैरवी की। उससे खुश नहीं हैं। हालांकि यह उनका आंतरिक मामला है।’ इससे पहले, आम आदमी पार्टी के नेता नजीर अहमद याटू और उनके समर्थक डीपीएपी में शामिल हो गए तथा आजाद ने उनका पार्टी में स्वागत किया। याटू पहले पीडीपी से भी जुड़े रहे हैं।

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