आज हम आपको गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की प्रेम कहानी सुनाने जा रहे हैं! उत्तर प्रदेश का एक रसूखदार परिवार। दादा स्वतंत्रता सेनानी तो नाना महावीर चक्र विजेता, ये कोई नहीं जानता था कि एक दिन इस परिवार का बेटा अपने काले कारनामों के लिए जेल की सलाखों के पीछे होगा। ये कोई नहीं जानता था कि एक दो नहीं बल्कि दर्जनों केस में सजा भुगतेगा। अब तक आप ये समझ ही गए होंगे हम बात कर रहे हैं मुख्तार अंसारी की। उत्तर प्रदेश का माफिया मुख्तार सालों से जेल की कालकोठरी में बंद है। पिछले एक साल में उसे 5 बार कोर्ट ने सजा सुनाई है। दो दो बार उम्र कैद तो कभी पांच साल की सजा तो कभी दस साल की। खैर आज बात मुख्तार के काले कामों की नहीं करेंगे, आज बात होगी इस माफिया की दूसरी दुनिया की। इसके प्यार-मोहब्बत की, परिवार की, रिश्तों की। जैसा की हमने आपको बताया मुख्तार का जन्म मऊ के एक बेहद इज्जतदार परिवार में हुआ। दादा डॉ मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। गांधी जी के बेहद करीबी, अहिंसा को मानने वाले। पिता भी साफ सुथरी छवि के नेता बने जिनकी अपने इलाके में खासी इज्जत थी। मुख्तार के नाना आर्मी ऑफिसर थे और उन्हें वीरता के लिए महावीर चक्र भी दिया गया। अच्छा परिवार मिला, तो मुख्तार अंसारी का बचपन भी बेहद सलीके से बीता। अच्छी पढ़ाई-लिखाई, अच्छे कॉलेज में दाखिला।
मुख्तार अंसारी के पिता को क्रिकेट खेलने का काफी शौक था। दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज के वो क्रिकेट कैप्टन भी थे। मुख्तार अंसारी भी जब कॉलेज पहुंचा तो पिता के नक्शे कदम पर ही मुख्तार ने भी क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। उत्तर प्रदेश में गाजीपुर के एक कॉलेज में मुख्तार ने एडमिशन लिया। वही पास में स्टेडियम में वो रोज क्रिकेट खेलने जाता। राजनीति में आने से पहले ये माफिया क्रिकेटर बनना चाहता था और इसलिए कॉलेज के दौरान स्टेडियम में जमकर प्रेक्टिस करता था।
उसी दौरान स्टेडियम में मुख्तार को क्रिकेट खेलते देख वहीं पास के ही एक कॉलेज में पढ़ने वाली एक लड़की मुख्तार पर फिदा हो गई थी। ये लड़की कोई और नहीं थी बल्कि अफशां अंसारी थी जो बाद में इस माफिया की पत्नी बनी और इसके काले कामों में इसकी राजदार भी। अफशां अक्सर मुख्तार अंसारी को क्रिकेट खेलते देखने स्टेडियम पहुंच जाती थी। क्रिकेट के बहाने दोनों के बीच बातचीत हुई और फिर धीरे-धीरे दोस्ती भी। बाद में दोनों ने इस रिश्ते को एक नाम देने का मन बनाया। परिवार से बात हुई और दोनों परिवारों की रजामंदी से साल 1089 में मुख्तार और अफशां ने निकाह कर लिया।
मुख्तार अंसारी ने अफशां से अपना प्यार तो पूरा कर लिया,लेकिन क्रिकेट से लगाव कम होने लगा। वजह अफशां नहीं थी बल्कि जुर्म की दुनिया थी। मुख्तार अंसारी ने उत्तर प्रदेश में अपनी दहशत बनना शुरू कर दिया था।मुख्तार अंसारी ने अफशां से अपना प्यार तो पूरा कर लिया,लेकिन क्रिकेट से लगाव कम होने लगा। वजह अफशां नहीं थी बल्कि जुर्म की दुनिया थी। मुख्तार अंसारी ने उत्तर प्रदेश में अपनी दहशत बनना शुरू कर दिया था। उसपर एक के बाद एक कई केस दर्ज होने लगे थे तो वही दूसरी तरफ इस माफिया ने खुद को बचाने के लिए राजनीति की शरण ले ली थी। उसपर एक के बाद एक कई केस दर्ज होने लगे थे तो वही दूसरी तरफ इस माफिया ने खुद को बचाने के लिए राजनीति की शरण ले ली थी।
जब मुख्तार को सजा हुई तो अफशां धीरे-धीरे मुख्तार के गैंग को संभालने लगी। गैंग की बातों को मुख्तार तक जेल में पहुंचाना और मुख्तार की कमांड गैंग के शूटर्स को देना ये काम अफशां का ही था। खुद अफशां अंसारी भी अपने पास लाइसेंसी पिस्तौल रखती है। बच्चे बड़े हुए तो अफशां ने मुख्तार के गैंग IS 191 की कमान पूरी तरह से अपने हाथों में ले ली। मुख्तार की पत्नी अफशां पर भी 11 केस दर्ज हैं और वो खुद पुलिस से फरार है। अफशां अंसारी यूपी की मोस्ट वांटेड है और उसपर 75 हजार रुपये इनाम भी घोषित है।
इस माफिया की एक बेटा अब्बास अंसारी भी जेल में बंद है। अब्बास की पत्नी निकहत भी जेल में बंद है। अपनी सास की तरह ही वो भी अपने पति से जेल में अवैध तरीके से मिलने जाती थी जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। मुख्तार के दूसरे बेटे उमर पर भी ईडी की जांच चल रही है। उसपर भी एक केस दर्ज है। कोई सोच भी नहीं सकता था कि मऊ के इतने इज्जतदार परिवार से ताल्लुक रखने वाला मुख्तार अंसारी अपने बच्चों को ऐसी शिक्षा देगा कि पूरा परिवार ही जुर्म के दलदल में फंस जाएगा।