आज हम आपको पीएम नरेंद्र मोदी के बॉडीगार्ड के बारे में जानकारी देने वाले हैं! जासूस अगर दुश्मन के एरिया में है तो उसे उसकी सरकार बचाने नहीं आने वाली। आपका सेंस ही काफी मायने रखता है। आपको पता होना चाहिए कि जिस कमरे या जिस जगह आप हैं वह सेफ है या नहीं। अगर आपको 20 लोग देख रहे हैं तो यह अनुमान लगाना आना चाहिए कि उनमें से सबसे खतरनाक दो आंखें कौन हैं… यह लाइनें हैं 34 साल के पूर्व एनएसजी कमांडो, जासूस और रॉ एजेंट रहे लक्ष्मण लकी बिष्ट की। उनके दादा और पिता भी सेना में रहे हैं। 16 साल की उम्र में लकी ने आर्मी जॉइन की। कई एजेंसियों में तैनात रहे। एक समय उत्तराखंड के गैंगस्टरों की हत्या में उनका नाम आया। 2011 में जेल हुई, बाद में क्लीन चिट मिल गई। उन्होंने दोबारा स्पेशल फोर्सेज जॉइन की। बाद में लेखक के तौर पर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में आ गए। हाल में उन पर एक किताब भी आई है। बिष्ट LoC के उस पार भारत के जासूस बनकर रहे। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया, ‘जब आप अपने देश में होते हैं तो पता होता है कि जरूरत पड़ने पर आपके पास मिनटों में सेना, एयरफोर्स और बैकअप आ जाएगा। लेकिन एक बार आप दूसरी तरफ जासूस या स्पेशल एजेंट बनकर पहुंच जाते हैं तो आप बिल्कुल अकेले होते हैं। आपको जरूरत भी होगी तो कोई बचाने नहीं आएगा। अगर पकड़े गए तो मौत मिलेगी और आपकी अपनी सरकार भी मुंह मोड़ लेगी। हम एजेंट्स को ये बातें पता होती हैं कि जिन लोगों के लिए आप जान देने जा रहे हैं वो कभी याद नहीं करेंगे।’
बिष्ट कहते हैं कि सबसे महत्वपूर्ण बात जासूस या किसी एजेंट के लिए यह होती है कि जब आप अकेले हैं तो सेफ हैं। जब तक आपको कोई नहीं जानता, आपके सीक्रेट छिपे होते हैं। जैसे ही आपके बारे में लोग जानने लगते हैं, आप खतरे में आ जाते हैं।बिष्ट कहते हैं कि सबसे महत्वपूर्ण बात जासूस या किसी एजेंट के लिए यह होती है कि जब आप अकेले हैं तो सेफ हैं। जब तक आपको कोई नहीं जानता, आपके सीक्रेट छिपे होते हैं। जैसे ही आपके बारे में लोग जानने लगते हैं, आप खतरे में आ जाते हैं। ऐसे समय में सर्वाइवल के लिए फौरन फैसला लेना आना चाहिए। बिष्ट को 2009 में भारत का बेस्ट एनएसजी कमांडो का अवॉर्ड मिला था। एनएसजी में तैनाती के दौरान वह तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी, एलके आडवाणी, राजनाथ सिंह समेत कई वीआईपी के पर्सनल बॉडीगार्ड रहे। लकी बिष्ट कुल 17 वीआईपी के पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर रहे हैं। उनकी ड्यूटी हमेशा ऑपरेशन में ही बीत रही थी। करीब 7-8 साल बाद वह NSG में आए। एक समय वह चंद्रबाबू नायडू के पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर थे और साउथ के कई ऐक्टर्स के संपर्क में आए। इंडियन आर्मी पर जो मूवीज बनती हैं उसे देखकर उन्हें लगा कि वह खुद लिख सकते हैं। इसके बाद उनकी जिंदगी ने नई करवट ली।
बिष्ट ने ढाई साल भारत के बाहर स्पेशल फोर्स की ट्र्रेनिंग ली है। उन्हें सिखाया गया कि एलओसी को अगर क्रॉस करके कभी जाना पड़े तो दुश्मन के ठिकाने को कैसे तबाह करेंगे। इंडियन कमांडो, एनएसजी, स्नाइपर, एक्सप्लोसिव इंजीनियर के कोर्स करने के बाद वह पूरे कमांडो बने। ज्यादातर समय वह नॉर्थ ईस्ट के अशांत क्षेत्र में तैनात रहे। यूएन की तरफ से ऑपरेशनों में भी गए।
पीएम नरेंद्र मोदी के सीएम रहने के दौरान बिष्ट उनके पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अहमदाबाद में मोदी जी का एक घंटे का कार्यक्रम था और मुझे सुरक्षा की जिम्मेदारी मिली थी। घर के दरवाजे से उन्हें रिसीव करने से लेकर वापस वहीं छोड़ने तक मुझे साथ रहना था लेकिन मैं 17 दिनों तक उनके साथ रहा। बिष्ट के पास उस समय केवल एक ही कपड़ा था। वह कहते हैं, ‘जब मैं मोदी जी से पहली बार मिला था तो मैं सीक्रेट सर्विस में था। सर को यकीन ही नहीं हुआ कि मैं 21 साल का हूं। मैं पिथौरागढ़ से हूं और हम पहाड़ी हमेशा यंग दिखते हैं।’ मेरे दादा जी 1971 की लड़ाई में शहीद हुए थे। बिष्ट ने यह भी कहा कि पीएम मोदी जिससे मिलते हैं, उसे कभी नहीं भूलते। यानी सीधी सी बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जोकि देश के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में गिने जाते हैं, उनकी सुरक्षा बेहद ही अहम हाथों में होती है! जिसका उदाहरण एक यह कमांडो भी है!