क्या तालिबानी सोच पर नहीं मिलेगी अब रियायत?

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अब तालिबानी सोच पर रियायत नहीं मिला करेगी! बच्चों को पढ़ाना, अच्छी शिक्षा, देश का अच्छा नागरिक बनाना बस हर पल वो यही सपना देखते थे। केरल की एक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर टी जोसेफ ने अपना पूरा जीवन अपने उसूलों और बच्चों की पढ़ाई के लिए लगा दिया था, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उनकी पढ़ाई ही किसी को इतनी बुरी लग जाएगी कि वो उनके दुश्मन बन जाएंगे। उन्हें नहीं पता था जो परीक्षा पेपर वो बच्चों के भविष्य के लिए तैयार करते हैं वो उनके जीवन को ही मुश्किल में डाल देगा। साल 2010 की बात है रविवार का दिन था। जोसेफ अपने परिवार के साथ चर्च से वापस लौट रहे थे। उनकी मां, उनकी पत्नी उनके साथ थी। तब एक बड़े समूह ने उन्हें आकर घेर लिया। वो काफी सारे लोग थे। वो इनके परिवार के साथ बदसलूकी करने लगे। प्रोफेसर जोसेफ के साथ वो भीड़ मारपीट करने लगी। ये भीड़ चिल्ला रही थी पैगंबर मुहम्मद का अपमान करोगे तो छोड़ेंगे नहीं। इन्होंने प्रोफेसर और उनके परिवार को घेर लिया। उनकी पत्नी और मां घबराने लगे। इनमें से एक के हाथ में कुल्हाड़ी थी। उस शख्स ने प्रोफेसर के दाहिने हाथ को काट दिया। कहा इसी हाथ से अपमान किया था हमारे पैगंबर मुहम्मद का।

ये तालिबानी फरमान सुनाने वाले इस्लामिक कट्टरपंथी थे। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के नाम से एक संगठन है ये उसी के मेंबर थे। करीब 40-50 की संख्या में इकट्ठा होकर इन्होंने प्रोफेसर को तालिबानी सजा सुनाई थी और ये सजा थी उनके एक पेपर को लिखने के लिए। इस तालिबानी संगठन का कहना था कि जो पेपर प्रोफेसर जोसेफ ने तैयार किया है उसकी वजह से प्रोफेट मुहम्मद का अपमान हो रहा है और उनका अपमान करने वालों को इन लोगों ने खुद ही सजा भी दे दी। इससे पहले कट्टरपंथियों ने कॉलेज के चारों ओर पोस्टर भी लगाए थे।

इस मामले ने काफी तूल पकड़ा। पूरे देश में इस इस्लामिक संगठन के खिलाफ आवाजें उठने लगी। इस मामले की जांच शुरू में केरल पुलिस और बाद में एनआईए ने अपने हाथ में ले ली। 2015 में एनआईए अदालत ने मामले में फैसला सुनाया था। पहले चरण में 31 लोगों पर मुकदमा चलाया गया और उनमें से 13 को 2015 में दोषी पाया गया, लेकिन सभी 13 दोषियों को प्रोफेसर ने माफ कर दिया था। अब इसी मामले में 6 इसी संगठन के 6 अन्य को दोषी पाया गया है।

प्रोफेसर जोसेफ ने उस भयानक घटना पर एक किताब भी लिखी थी। मलयालम में छपी ये किताब काफी फेमस हुई थी। प्रोफेसर जोसेफ ने इस किताब में अपनी आपबीती का जिक्र किया है। उन्होंने बताया है कि कैसे इस घटना ने उनके जीवन को काफी हद तक बदल दिया। साल 2014 में उनकी पत्नी ने सुसाइड भी कर लिया था। इस सुसाइड के बाद भी इन कट्टरपंथियों ने प्रोफेसर की पत्नी के सुसाइड का जश्न मनाया था। उन्होंने अपनी इस किताब को अपनी पत्नी को ही समर्पित किया है।प्रोफेसर जोसेफ ने उस भयानक घटना पर एक किताब भी लिखी थी। मलयालम में छपी ये किताब काफी फेमस हुई थी। प्रोफेसर जोसेफ ने इस किताब में अपनी आपबीती का जिक्र किया है। उन्होंने बताया है कि कैसे इस घटना ने उनके जीवन को काफी हद तक बदल दिया। साल 2014 में उनकी पत्नी ने सुसाइड भी कर लिया था। इस सुसाइड के बाद भी इन कट्टरपंथियों ने प्रोफेसर की पत्नी के सुसाइड का जश्न मनाया था। उन्होंने अपनी इस किताब को अपनी पत्नी को ही समर्पित किया है। किताब में उन्होंने इस इस्लामिक संगठन को लेकर भी लिखा है। प्रोफेसर ने कई बार कहा है कि ये पीएफआईआतंकी गतिविधियों में शामिल होने के संकेत मिलते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। किताब में उन्होंने इस इस्लामिक संगठन को लेकर भी लिखा है। प्रोफेसर ने कई बार कहा है कि ये पीएफआईआतंकी गतिविधियों में शामिल होने के संकेत मिलते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।

प्रोफेसर जोसेफ का मानना है कि ये तालिबानी सोच किसी एक दो को दोषी करार देने से खत्म नहीं होगी, इस तरह के संगठनों को जड़ से खत्म करना होगा। वैसे पीएफआई को गृह मंत्रालय गैर-कानूनी संस्था घोषित किया हुआ है और इस पर बैन भी लगा दिया गया है, लेकिन जब इस तरह की घटनाएं पूरे समाज के लिए सालों तक खौफ का सबब बन जाती हैं।