Monday, December 23, 2024
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क्या वर्तमान में इसरो ने दी है गुड न्यूज़?

वर्तमान में इसरो ने एक गुड न्यूज़ दी है! भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने दुनियाभर में देश का मान बढ़ा दिया है। आज हर जगह चंद्रयान-3 की बात हो रही है। शुक्रवार को एलवीएम-3 एम4 रॉकेट से सफलतापूवर्क अलग होकर चंद्रयान-3 ने पहली परीक्षा पास कर ली थी। इसरो ने इस मेगामिशन के बारे में दोबारा गुड न्‍यूज दी है। उसने बताया है कि चंद्रयान की पहली ऑर्बिट मैन्‍यूवरिंग को सफलता से पूरा कर लिया गया है। दूसरे शब्‍दों में कहें तो इसरो ने चंद्रयान-3 की पहली कक्षा को कामयाबी के साथ बदल दिया है। दोपहर 12 बजकर 5 मिनट पर यह बदलाव किया गया। इस बदलाव के साथ चंद्रयान-3 की दूरी बढ़ाई गई है। उसकी लंबी दूरी बढ़ाकर 42,000 किमी की गई है। चंद्रयान-3 मिशन अब तक बिलकुल परफेक्‍ट चल रहा है। इस पर इसरो के वैज्ञानिकों की नजर बनी हुई है। कक्षा में बदलाव के बाद चंद्रयान-3 अब 42,000 किमी के ऑर्बिट में धरती के चारों ओर चक्‍कर काट रहा है। चंद्रयान-3 को लॉन्चिंग के बाद एलवीएम-3 एम4 रॉकेट के जरिये अंडाकार कक्षा में डाला गया था। इसमें धरती से कम दूरी वाले पेरीजी की दूरी 179 किमी थी। वहीं, लंबी दूरी के एपोजी की दूरी 36,500 किमी। कक्षा में पहले बदलाव के तहत एपोजी को बढ़ाकर 42,000 किमी किया गया है।

इसरो ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा एलवीएम3-एम4 रॉकेट के जरिये अपने तीसरे मून मिशन- ‘चंद्रयान-3’ का सफल प्रक्षेपण किया थाइसरो ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा एलवीएम3-एम4 रॉकेट के जरिये अपने तीसरे मून मिशन- ‘चंद्रयान-3’ का सफल प्रक्षेपण किया था। इस मिशन के तहत चांद की सतह पर एक बार फिर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास किया जाएगा। इसमें सफलता मिलते ही भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा। भारत इस तरह का कीर्तिमान स्थापित करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इस मिशन के तहत चांद की सतह पर एक बार फिर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास किया जाएगा। इसमें सफलता मिलते ही भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा। भारत इस तरह का कीर्तिमान स्थापित करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर किए जाने की योजना है। पंद्रह साल में इसरो का यह तीसरा चंद्र मिशन है। शुक्रवार को उड़ान भरने के लगभग 16 मिनट बाद चंद्रयान-3 एलवीएम-3 एम4 रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया था। यह चांद की कक्षा की ओर बढ़ते हुए धरती से 170 किमी निकटतम पेरीजी और 36,500 किमी सुदूरतम बिंदु एपोजी पर अंडाकार चक्र में लगभग पांच-छह बार धरती की परिक्रमा करेगा।

चंद्रयान’ भारत का महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष प्रोजेक्ट है। इसके जरिए भारतीय वैज्ञानिक चांद के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल करना चाहते हैं। 2003 के स्वतंत्रता दिवस संबोधन में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चांद से जुड़े मिशन की घोषणा की थी। ISRO ने 2008 में चंद्रयान-1 लॉन्च किया। वह डीप स्पेस में भारत का पहला मिशन था। 2019 में चंद्रयान-2 को लॉन्च किया गया। 14 जुलाई 2023 को श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 उड़ान भरेगा।

चंद्रयान-2 में जहां ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर थे। वहीं, चंद्रयान-3 में प्रपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर होंगे। चंद्रयान-3 का लैंडर+रोवर चंद्रयान-2 के लैंडर+रोवर से करीब 250 किलो ज्यादा वजनी है। चंद्रयान-2 की मिशन लाइफ 7 साल अनुमानित थी, वहीं चंद्रयान-3 के प्रपल्शन मॉड्यूल को 3 से 6 महीने काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। चंद्रयान-2 के मुकाबले चंद्रयान-3 ज्यादा तेजी से चांद की तरफ बढ़ेगा। चंद्रयान-3 के लैंडर में 4 थ्रस्टर्स लगाए गए हैं। करीब 40 दिन के सफर के बाद चंद्रयान-3 चांद की सतह तक पहुंच जाएगा। शुक्रवार को लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-3 खुद को धीरे-धीरे पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकालेगा। फिर तेजी से चांद की ओर बढ़ेगा। चंद्रयान-2 को चांद तक पहुंचने में 42 दिन लगेंगे। चांद के पास पहुंचकर यह उसके गुरुत्वाकर्षण बल के हिसाब से एडजस्ट करेगा। वृत्तीय कक्षा को घटाकर 100×100 किलोमीटर तक लाने के बाद चंद्रयान-3 का रोवर प्रपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएगा और सतह की ओर बढ़ना शुरू करेगा। रोवर के भीतर ही लैंडर मौजूद है।

615 करोड़ रुपये की लागत वाले चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य वही है जो पिछले प्रोजेक्‍ट्स का था। चांद की सतह के बारे में ज्यादा से ज्‍यादा जानकारी जुटाना। चंद्रयान-3 के लैंडर पर चार तरह के साइंटिफिक पेलोड जाएंगे। ये चांद पर आने वाले भूकंपों, सतह की थर्मल प्रॉपर्टीज, सतह के करीब प्‍लाज्‍मा में बदलाव और चांद और धरती के बीच की सटीक दूरी मापने की कोशिश करेंगे। चांद की सतह के रासायनिक और खनिज संरचना की भी स्‍टडी होगी।

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