Wednesday, December 18, 2024
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क्या फ्रांस के साथ टूट चुका है स्कॉर्पीन पनडुब्बी का सौदा?

हाल ही में ऐसा लग रहा था कि फ्रांस के साथ स्कॉर्पीन पनडुब्बी का सौदा टूट चुका है! पीएम मोदी का फ्रांस दौरा खत्म हो चुका है। इस दौरे पर 26 राफेल मरीन फाइटर प्लेन को लेकर सौदे की काफी चर्चा रही। दौरे के अंत में पीएम मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रो ने संयुक्त बयान जारी किया। हालांकि, दोनों देशों को संयुक्त बयान से एक चीज काफी हैरान करने वाली रही। भारत में तीन और स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के निर्माण के लिए हस्ताक्षर वाले एमओयू का संदर्भ शनिवार सुबह जारी द्विपक्षीय बयान के बाद वाले वर्जन से हटा दिया गया था। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत के साथ स्कॉर्पीन पनडुब्बी का सौदा खटाई में पड़ गया है? एक आधिकारिक सूत्र ने दावा किया कि विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर पहले की बातचीत का कुछ पाठ थोड़ी देर के लिए अपलोड किया गया था। यह “किसी भी तरह से सहमत पाठ नहीं था। उन्होंने कहा, वेबसाइट पर अब स्वीकृत पाठ वही है जो फ्रांसीसी सरकार की तरफ से प्रकाशित किया गया है। राफेल के उल्लेख गायब होने के बारे में पूछे जाने पर, विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा था कि रक्षा साझेदारी के मेट्रिक्स एक अधिग्रहण या गैर-अधिग्रहण से परिभाषित नहीं होते हैं।

होराइजन 2047 डॉक्यूमेंट में शुक्रवार रात कहा गया था कि भारत और फ्रांस पी-75 कार्यक्रम के तहत तीन अतिरिक्त पनडुब्बियों के निर्माण के लिए मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड और फ्रांसीसी नौसेना समूह के बीच समझौता ज्ञापन का स्वागत करते हैं।होराइजन 2047 डॉक्यूमेंट में शुक्रवार रात कहा गया था कि भारत और फ्रांस पी-75 कार्यक्रम के तहत तीन अतिरिक्त पनडुब्बियों के निर्माण के लिए मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड और फ्रांसीसी नौसेना समूह के बीच समझौता ज्ञापन का स्वागत करते हैं। फाइटर प्लेन इंजन के संयुक्त विकास के लिए, दस्तावेज़ में कहा गया था कि इस वर्ष के अंत से पहले सफरान और डीआरडीओ के बीच इस परियोजना पर एक रोडमैप तैयार किया जाएगा। हालांकि, ये लाइनें दस्तावेज के बाद के संस्करण से गायब हो गईं। फाइटर प्लेन इंजन के संयुक्त विकास के लिए, दस्तावेज़ में कहा गया था कि इस वर्ष के अंत से पहले सफरान और डीआरडीओ के बीच इस परियोजना पर एक रोडमैप तैयार किया जाएगा। हालांकि, ये लाइनें दस्तावेज के बाद के संस्करण से गायब हो गईं।

दोनों प्रस्तावित राफेल-एम और स्कॉर्पीन खरीद निश्चित रूप से अभी भी समझौते से बहुत दूर हैं। इन समझौते की अनुमानित लागत 80,000 करोड़ रुपये लगभग 9 बिलियन यूरो होगी। हालांकि, रक्षा मंत्रालय की तरफ से इन्हें मंजूरी दी जा चुकी है। चूंकि वास्तविक अनुबंधों पर हस्ताक्षर लंबी तकनीकी-वाणिज्यिक बातचीत और फिर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की अंतिम मंजूरी के बाद ही किए जाने हैं। इसमें एक साल से अधिक का समय लग सकता है।

बता दे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ये यात्रा इस लिहाज से भी बेहद ख़ास है क्योंकि फ्रांस अपने राष्ट्रीय दिवस के समारोह यानी बैस्टिल डे परेड में अमूमन विदेशी गणमान्य व्यक्तियों को आमंत्रित नहीं करता है. ये दिखाता है कि फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों भारत के साथ संबंधों को और बेहतर करने की चाह रख रहे हैं.फ्रांस के बैस्टिल डे परेड में भारतीय सशस्त्र बलों की एक टुकड़ी भी अपने फ्रांसीसी समकक्षों के साथ हिस्सा लेगी. इस परेड में भारतीय सशस्त्र बलों की 269 सदस्यीय त्रि-सेवा टुकड़ी अपने फ्रांसीसी समकक्षों के साथ मार्च करते हुए दिखाई देगी. भारतीय टुकड़ी 6 जुलाई को ही फ्रांस के लिए रवाना हो गई  थी!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी इस फ्रांस यात्रा को लेकर उत्सुकता जाहिर की है. फ्रांस के राष्ट्रपति के राजनयिक सलाहकार इमैनुएल बोन से 6 जुलाई को दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात की थी. उसके बाद पीएम मोदी ने कहा था कि वे दो दिवसीय पेरिस दौरे के दौरान राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से वार्ता करने को लेकर उत्सुक हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भरोसा जताया है कि इस वार्ता से भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत मिलेगी. प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि इमैनुएल बोने ने आगामी फ्रांस यात्रा के सिलसिले में द्विपक्षीय सहयोग के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रगति की जानकारी पीएम मोदी को दी!

फ्रांस के राष्ट्रपति के राजनयिक सलाहकार इमैनुएल बोन की दिल्ली यात्रा पीएम मोदी के फ्रांस दौरे से जुड़े एजेंडे को अंतिम रूप देने के लिहाज से महत्वपूर्ण था. इस मुलाकात के बाद पीएमओ से जारी बयान में कहा गया कि हिरोशिमा में राष्ट्रपति मैक्रों के साथ अपनी हालिया बैठक को याद करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वे पेरिस में उनकी बातचीत जारी रखने के लिए उत्सुक हैं, जो भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा. इस यात्रा से रणनीतिक सहयोग, वैज्ञानिक प्रगति, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आर्थिक सहयोग के जरिए रणनीतिक साझेदारी मजबूत होने की उम्मीद है!

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