विपक्षी मीटिंग में ओवैसी को क्यों नहीं मिला न्योता?

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हाल ही में हुई विपक्षी मीटिंग में ओवैसी को न्योता नहीं दिया गया था! कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में आज और कल विपक्षी पार्टियों की महाबैठक है। राहुल गांधी, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, शरद पवार, ममता बनर्जी, लालू यादव, नीतीश कुमार, अखिलेश यादव समेत तमाम दिग्गज राजनेता इस महाजुटान में शामिल होंगे। बेंगलुरु की धरती से मोदी सरकार के खिलाफ एक बार फिर हुंकार भरी जाएगी। इसके लिए 26 पार्टियां एक मंच पर दिखेंगी। लेकिन, इन सबके बीच एक नाम है जिसे इस टीम और इस महाबैठक में शामिल होने का न्योता नहीं मिला है। वो नाम है AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी का। 23 जून को पटना और 17-18 जुलाई की इस बैठक में भी ओवैसी को नहीं बुलाया गया। न्योता न मिलने के सवाल पर ओवैसी ने कहा कि ये उनका निजी फैसला है, जिस किसी को दावत देना चाहते हैं, जिस किसी का चेहरा उन्हें पसंद है वो उन्हें बुलाते हैं। विपक्षी बैठक में न बुलाए जाने पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ये उन पार्टियों का निजी फैसला है। वो जिसको बुलाना चाहते हैं, जिसे दावत देना चाहते हैं या जिनके चेहरे उन्हें पसंद हैं वो लोग उस मीटिंग में शामिल होंगे। ओवैसी ने आगे कहा कि जहां तक हमारा सवाल है तो हम तीसरी बार कोशिश करेंगे कि 2024 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री न बनें। ओवैसी ने आगे कहा कि अगर उन्होंने हमें नहीं बुलाया उन्हें ही बेहतर मालूम होगा। हम इनसे यही कहना चाह रहे हैं कि आप इस देश को विकल्प के रूप में क्या दे रहे हैं।

एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने तेंलगाना के सीएम केसीआर को न बुलाने पर भी ऐतराज जताया। उन्होंने कहा कि आप को बड़ी आसानी से कह देते हैं कि ये तो बी टीम है इसलिए इसे नहीं बुलाएंगे। ओवैसी ने मनमोहन सरकार को याद करते हुए कहा कि हमने मनमोहन सिंह की सरकार का साथ दिया, न्यूक्लियर डील में हमने यूपीए-2 का साथ दिया। हम तब भी बीजेपी के खिलाफ थे और आज भी खिलाफ हैं और उनसे लड़ रहे हैं। इन विपक्षी पार्टियों से पूछना होगा कि आपका क्या स्टैंड है। उन्होंने विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि जो पार्टियां आज और कल जुट रही हैं उनका बीजेपी के साथ पहले गठबंधन रह चुका है।ओवैसी ने पटना में हुई विपक्ष की बैठक के मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कांग्रेस पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि विपक्षी एकता की बैठक में शरद पवार जिसे लेकर आए थे प्रफुल्ल पटेल को , वे आज बीजेपी से जाकर मिल गए। इसके बावजूद कांग्रेस सेक्युलरिज्म का सर्टिफिकेट बांटती है। कांग्रेस अपने गिरेबान में झांककर देखें कि उन्होंने कैसे-कैसे धोखे दिए हैं।

ओवैसी ने आगे कहा कि आज मीडिया में हर विपक्ष पार्टी का नेता रो रहा है कि बीजेपी ने NCP को तोड़ दिया। आज 40 विधायक चले गए तो ग़लत है और बिहार में हमारे 4 विधायकों को आपने खरीद लिया तो वह सही है?। तुम करो तो अच्छा और दूसरे करें तो ग़लत? गौरतलब है कि रविवार को महाराष्ट्र में एनसीपी नेता अजित पवार शिंदे सरकार के साथ चले गए। नौ एनसीपी विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। वहीं, अजित पवार को डिप्टी सीएम बनाया गया है।

बता दे कि सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ”मैं नहीं चाहता कि नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री बने, लेकिन बैठक में गए नेताओं का पिछला रिकॉर्ड क्या है? क्या ये सही नहीं है कि कांग्रेस और बीजेपी सत्ता में रही. सीएम नीतीश कुमार रेल मंत्री थे जब गोधरा हुआ. वो बीजेपी के साथ रहे. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बीजेपी के कारण बने. इसके बाद महागठबंधन बनाया फिर बीजेपी में वापसी कर ली. अब फिर से उन्होंने बीजेपी छोड़ दी.” एआईएमआईएम के चीफ ओवैसी ने आगे कहा कि शिवसेना अब सेक्यूलर पार्टी बन गई है. यह वही उद्धव ठाकरे हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए विधानसभा में कहा था कि उन्हें बाबरी मस्जिद गिराने पर गर्व है!

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा सीएम अरविंद केजरीवाल वही हैं जिन्होंने बीजेपी का लोकसभा में 370 का समर्थन किया था. नीतीश कुमार वो जो कि दंगे होने पर अपने ही जिले नहीं गए थे. ऐसे में हम नहीं जानते आगे क्या होता है. देखते हैं कि भविष्य में क्या होता है. ओवैसी ने आगे कहा कि इस स्थिति में दो ही उर्दू शेर याद आते हैं. पहला इब्तिदा ए-इश्क है रोता है क्या आगे-आगे देखिए होता है क्या. हनूज़ दिल्ली दूर अस्त यानी कि दिल्ली अभी दूर है!