यह सवाल उठना लाजमी है कि चांद पर इंसानी बस्तियां बसाई जा सकती है या नहीं! चंद्रयान 3 मिशन चंद्रमा पर चंद्रयान 1 के खोजी अभियान को आगे बढ़ाएगा। इस प्रक्रिया में वह चांद पर इंसानों की बस्तियां बसाने के लिए जरूरी संसाधनों की तलाश करेगा। चंद्रमा हमारे पृथ्वी ग्रह का उपग्रह है। अंतरिक्ष विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया (ToI) को दिए इंटरव्यू में भारत के चंद्रयान मिशन पर विस्तार से बातचीत में ये बातें बताईं। मंत्री ने कहा, ‘चंद्रयान 1 अन्य सभी अंतरिक्ष मिशनों की तुलना में पूरी तरह से अलग था। ऐसा इसलिए क्योंकि जब भारत ने 1960 के दशक की शुरुआत में अपनी अंतरिक्ष यात्रा शुरू की थी, तब अमेरिका पहले से ही चंद्रमा पर अपने अपोलो मानव मिशन में व्यस्त था। हालांकि अमेरिका दशकों पहले चंद्रमा पर उतर चुका था, लेकिन उसे अतीत में चंद्रमा पर पानी का कोई सबूत नहीं मिला था।’ उन्होंने कहा, ‘जब चंद्रयान 1 को वर्ष 2009 में चंद्रमा पर पानी के अणुओं का पहला ठोस सबूत मिला तो अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नया अध्याय शुरू हो गया। नासा ने भी हमारे मून मिशन में रुचि दिखाई। इसलिए, चंद्रयान 3 गहराई से खोज करेगा और वहां से शोध जारी रखेगा जहां चंद्रयान 1 ने छोड़ा था और पानी के और अधिक सबूत खोजने की कोशिश करेगा जो भविष्य में चंद्रमा पर इंसानी बस्तियां बसाने की संभावना भी पैदा कर सकता है।
सिंह ने कहा, ‘हम दक्षिणी ध्रुव पर जा रहे हैं, जहां अब तक किसी अन्य देश ने प्रयास नहीं किया है। इसका कारण यह है कि हम अनछुए क्षेत्रों का पता लगाना चाहते हैं। हमें चंद्रमा पर काले स्थायी रूप से छायांकित गड्ढों की छवियां मिली हैं जो संकेत देती हैं कि इनमें पानी हो सकता है। इन निष्कर्षों के बाद प्रयोग करना आसान हो जाएगा जब हम वहां पहुंचेंगे।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अगर चंद्रयान 3 को पानी के और सबूत मिलते हैं तो यह बहुत सारे वैज्ञानिक अवसर खोल देगा क्योंकि पानी में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन होता है। यदि पानी से हाइड्रोजन का दोहन किया जा सकता है, तो यह चांद पर स्वच्छ ऊर्जा का एक समृद्ध स्रोत हो सकता है। ये उन संभावनाओं के संकेत हैं जो चंद्रमा पर रहने वाले मानव के लिए प्रासंगिक हो सकते हैं जिन्हें हम इस मिशन से तलाशने की कोशिश कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने दिल्ली में आयोजित जी20 युवा उद्यमी संघ के शिखर सम्मेलन में ‘स्पेस स्टार्टअप उद्यमों के जरिए संभावनाओं का पता लगाएं’ विषय पर बात करते हुए अंतरिक्ष की संभावनाओं की ज्यादा से ज्यादा तलाश परजोर दिया था। उन्होंने जी20 देशों के युवा वैज्ञानिकों और युवाओं से अंतरिक्ष उद्यमिता के एक नए युग की शुरुआत करने के लिए साझे मिशन मोड में आकर्षक स्टार्टअप वेंचर्स के जरिए अंतरिक्ष की संभावनाओं का पता लगाने का आह्वान किया।
बता दे कि इससे पहले खबर आई थी कि नासा को मिशन मून को लेकर कुछ अहम जानकारी हाथ लगी है. इसके मुताबिक चांद पर जीवन की संभावना ढूंढने के अभियान में मददगार साबित होगी. बता दें कि पिछले कई रिसर्च में इस बात का पता चला था कि चंद्रमा पर हाईड्रोजन है, लेकिन पानी के मौजूद होने की पुष्टि नहीं हुई थी! मानव की इस सवाल को लेकर हमेशा से दिलचस्पी रही है कि क्या पृथ्वी के बाहर भी जीवन है? या फिर क्या पृथ्वी के बाहर किसी अन्य ग्रह पर इंसानों को बसाया जा सकता है. चांद पर पानी मिलने की जानकारी को वैज्ञानिक अंतरिक्ष से जुड़ी अधिक जानकारी इकट्ठा करने का एक नया दरवाजा मान रहे हैं!
इसके साथ ही वैज्ञानिक अब इस दिशा में भी खोज करेंगे कि चांद पर मिला पानी, इंसानों के इस्तेमाल के लिए कितना उपयोगी साबित होगा. चांद पर मिले पानी को पीने की कसौटी पर भी परखा जाएगा. हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी जिस पानी का पता चला है वह बेहद कम मात्रा में है! अमेरिका और चीन समेत कई देश हैं जिन्होंने इस दशक के अंत तक चांद के दक्षिणी ध्रुप स्थाई बेस बनाने का एलान किया है. अमेरिका ने साल 2024 में दक्षिणी ध्रुव पर स्थाई मानव बेस बनाने की बात कही है. इस पूरी परियोजना पर 28 बिलियन डॉलर तक का अनुमानित खर्च हो सकता है. इसमें से 16 बिलियन डॉलर का खर्च चंद्र लैंडिंग मॉड्यूल पर खर्च किया जाएगा.चांद पर पानी की खोज के बाद सभी देश चांद पर अपनी रिसर्च की गति में तेजी लाएंगे. चांद पर इंसानी बस्ती बसाने के सपने को एक नई उम्मीद मिली है. इसलिए हमें भविष्य में होने वाली रिसर्च पर नजर रखनी होगी!