हाल ही में यासीन मलिक की पेशी पर कई सवाल उठ चुके हैं! तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट जेकेएलएफ के प्रमुख यासीन मलिक को एक मुकदमे की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट लाए जाने के बाद भारत के सॉलिसिटर जनरल ने केंद्रीय गृह सचिव को एक पत्र लिखा है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को शुक्रवार को पत्र लिखकर सुरक्षा में गंभीर खामी से अवगत कराया है। मेहता ने लिखा है कि मेरा स्पष्ट विचार है कि यह सुरक्षा में गंभीर खामी है। आतंकवादी और अलगाववादी पृष्ठभूमि वाला यासीन मलिक जैसा व्यक्ति जो कि ना सिर्फ आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन उनलब्ध कराने के मामले का दोषी है, बल्कि जिसके पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध हैं। वह भाग सकता था या उसे जबरन अगवा किया जा सकता है या फिर उसकी हत्या की जा सकती थी। उन्होंने कहा कि अगर कोई अप्रिय घटना हो जाती तो सुप्रीम कोर्ट की की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती। मेहता ने यह रेखांकित किया कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने अपराध प्रक्रिया संहिता सीआरपीसी के प्रावधान 268 के तहत मलिक के संबंध में आदेश पारित किया है जो जेल प्रशासन को सुरक्षा कारणों से दोषी को जेल परिसर से बाहर लाना निषिद्ध करता है।
उन्होंने लिखा है यह ध्यान में रखते हुए कि जबतक सीआरपीसी की धारा 268 के तहत जारी आदेश प्रभावी है जेल अधिकारियों के पास उसे जेल परिसर से बाहर लाने का अधिकार नहीं है और ना हीं उनके पास ऐसा करने की कोई वजह थी। मेहता ने लिखा है मैं समझता हूं कि यह मुद्दा इतना गंभीर है कि इसे व्यक्तिगत रूप से फिर से आपके संज्ञान में लाया जाना चाहिए ताकि आपके द्वारा इस संबंध में समुचित कार्रवाई की जा सके।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत तत्कालीन केन्द्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया सईद की 1989 में हुई अपहरण की घटना पर जम्मू की निचली अदालत द्वारा 20 सितंबर, 2022 को पारित आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, उसी दौरान यासीन मलिक अदालत कक्ष में उपस्थित हुआ। बता दें कि जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मलिक को दिल्ली की स्पेशल एनआईए कोर्ट ने 2017 टेरर फंडिंग केस में उम्र कैद की सजा सुना दी है। कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट ने यासीन मलिक को सजा सुनाई है। बुधवार को यासीन मलिक को सजा सुनाने के दौरान श्रीनगर के मायसूमा स्थित उसके घर के पास भी कड़े सुरक्षा बंदोबस्त रहे। यासीन मलिक मूल रूप से श्रीनगर का ही रहने वाला है और उसपर 4 एयरफोर्स जवानों की हत्या समेत कई गंभीर आरोप हैं। यासीन मलिक का नाम पूर्व में कश्मीर में हिंसा की तमाम साजिशों में शामिल रहा है। इसके अलावा उसे 1990 में कश्मीरी पंडितों के पलायन के प्रमुख जिम्मेदार के रूप में जाना जाता है।
3 अप्रैल 1966 को श्रीनगर के मायसूमा इलाके में जन्मे यासीन मलिक के पिता गुलाम कादिर मलिक यहां एक सरकारी बस चलाया करते थे। यासीन मलिक की पढ़ाई श्रीनगर में हुई है और वह यहां के प्रताप कॉलेज का स्टूडेंट रहा है। यासीन मलिक के परिवार के तमाम लोग अब विदेश में रहते हैं और वो लंबे वक्त से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है। 1980 के दशक में यासीन मलिक ने आतंक का रास्ता थामा था और ताला पार्टी नाम का एक राजनीतिक संगठन बनाया था। सबसे पहले यासीन मलिक का नाम 1983 के इंडिया वेस्ट इंडीज मैच के दौरान गड़बड़ी करने के आरोप में सामने आया था। इसके बाद 1984 में वह पहली बार जेकेएलएफ के चीफ मकबूल भट की फांसी के बाद इस संगठन के लिए खुलकर सामने आया।
मकबूल भट सोपोर बारामूला का रहने वाला था और यासीन को उसके करीबियों में जाना जाता था। 1984 में जब कश्मीरी पंडित जज नीलकंठ गंजू की कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाई, तो यासीन मलिक ने इसका जमकर विरोध किया। यासीन मलिक की ताला पार्टी ने कश्मीर में मकबूल भट को फांसी देने के फैसले के खिलाफ पोस्टर लगाए और प्रदर्शन किए। इस आरोप में यासीन को जेल भेज दिया गया। 1986 में यासीन मलिक ने जेल से निकलकर ताला पार्टी का नाम इस्लामिक स्टूडेंट लीग कर दिया और इससे कश्मीरी स्टूडेंट को जोड़ने की शुरुआत की। कुछ वक्त में इस्लामिक स्टूडेंट लीग का संगठन बड़ा हो गया और इसके साथ अशफाक वानी, जावेद मीर और अब्दुल हमीद शेख जैसे नाम भी जुड़े। अशफाक वानी का नाम 1989 के दौरान उस वक्त देश भर ने जाना जब उसने गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी का अपहरण किया।
साल 2016 में कश्मीर घाटी की हिंसा के दौरान पत्थरबाजी पर निर्णायक कार्रवाई करते हुए सरकार ने टेरर फंडिंग केस की जांच शुरू की। इस मामले में 2017 में यासीन मलिक को भी आरोपी बनाया गया। एनआईए की जांच के दौरान यासीन के खिलाफ कई अहम सबूत भी मिले। इसके अलावा कश्मीर समेत घाटी के कई इलाकों में उसकी अवैध संपत्तियों का पता भी चला था। इसी मामले में 25 मई 2022 को अदालत में स्पेशल जज NIA प्रवीण सिंह ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई है।