क्या भारतीय नौसेना के पास आ चुका है कान फोड़ने वाला हथियार?

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वर्तमान में भारतीय नौसेना के पास कान फोड़ने वाला हथियार आ चुका है! इंडियन नेवी के फाइटर एयरक्राफ्ट के लिए सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो तैयार हो रहा है, जो अभी ट्रायल स्टेज में है। एक साल में इसका ट्रायल पूरा हो जाएगा जिसके बाद नेवी के सभी एयरक्राफ्ट में इसे लगाया जाएगा। इससे एयरक्राफ्ट से नेवी के शिप या सबमरीन के बीच होने वाला कम्युनिकेशन ज्यादा सुरक्षित तो होगा ही साथ ही डेटा शेयर भी तेजी से होगा। कम्युनिकेशन का यह सिस्टम ज्यादा आसान होगा, ज्यादा तेज होगा और ज्यादा सुरक्षित भी। रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाला संगठन वेपन एंड इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम्स इंजीनियरिंग स्टेब्लिशमेंट WESEE इस पर काम कर रहा है। WESEE नेवी की जरूरत पूरी करने के लिए वह सभी सिस्टम डिवेलप करता है जो इंडस्ट्री नहीं कर पाती या जो क्षमता अभी इंडस्ट्री में नहीं है। इस स्वायत्त संगठन को नेवी फंड करती है और इसमें नेवी अधिकारियों के साथ डीआरडीओ के साइंटिस्ट हैं।

तीनों सशस्त्र सेनाओं यानी आर्मी, नेवी, एयरफोर्स में नेवी ही कम्युनिकेशन के लिए स्वदेशी सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो का इस्तेमाल कर रही है। इसे WESEE ने नेवी के लिए डिजाइन किए हैं। ऑपरेशनल जरूरतों के लिए नेवी के सभी एसेस्ट्स को एक दूसरे से कम्युनिकेट करना होता है। यह बातचीत वॉइस कॉल, वॉइस मैसेज, डेटा किसी के भी जरिए हो सकती है। जैसे एयरक्राफ्ट को शिप से और सबमरीन से या शिप को शिप से, शिप को सबमरीन से कम्युनिकेट करना होता है। सेटेलाइट कम्युनिकेशन के अलावा रेडियो से भी कम्युनिकेशन होता है। WESEE के डिवेलप किए हुए सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो एसडीआर को नेवी के शिप में लगाया जा रहा है और पुराने सिस्टम को रिप्लेस किया जा रहा है।

जिन शिप में एसडीआर- एनसी लगना था वह सभी लग चुके हैं। कुछ शिप में एसडीआर- टेक लगना है जिन्हें लगाने का काम चल रहा है। WESEE सबमरीन के लिए भी एसडीआर-टेक के दूसरे वर्जन पर काम कर रहा है। नेवी के एयरक्राफ्ट के लिए एसडीआर-एएफ डिवेलप किया गया है। जिसका ट्रायल चल रहा है। अभी फाइटर एयरक्राफ्ट में एसडीआर नहीं है। पुराना सिस्टम मूलतौर पर वॉइस कम्युनिकेशन के लिए है। जब सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो मिल जाएगा तब डेटा भी तेजी से भेजा जा सकेगा।

अमेरिका से लिए जा रहे MH60R रोमियो हेलिकॉप्टर में भी स्वदेशी सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो फिट किया जा रहा है। यह एडीआर-एफ का पुराना वर्जन है। इसे एयर बॉर्ड रेडियो कहते हैं। इसे अमेरिका को भेजा गया है और यह अमेरिका से रोमियो हेलिकॉप्टर में फिट होकर ही आएंगे। इंडियन नेवी के लिए अमेरिका से 24 रोमियो हेलिकॉप्टर लेने की डील की गई है। रोमियो हेलीकॉप्टर से इंडियन नेवी अपने पुराने पड़ चुके सी-किंग हेलीकॉप्टरों को रिटायर करेगी। रोमियो हेलीकॉप्टर मल्टी रोल हेलीकॉप्टर है। इस हेलिकॉप्टर से किसी जहाज पर हमला किया जा सकता है, राहत और बचाव का काम किया जा सकता है, सबमरीन को ढूंढ कर उसे तबाह किया जा सकता है। साथ ही समंदर में निगरानी रखी जा सकती है। इसके जरिए हवा से सतह पर मार करने वाली हेलफ़ायर मिसाइलें भी दागी जा सकती हैं। अमेरिकी नेवी में भी रोमियो हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल सबमरीन हंटर के तौर पर किया जाता है। इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल हर तरह जंगी जहाज जैसे एयरक्राफ्ट कैरियर, डिस्ट्रायर या फ्रिगेट से किया जा सकता है।

यही नहीं आपको बता दें कि हेलफायर मिसाइल सटीक गाइडेड हथियार हैं, जिनका इस्तेमाल अमेरिकी सेना ने हाई-प्रोफाइल टारगेट के खिलाफ किया है. अन्य प्रमुख हथियारों में एमके 54 लाइटवेट टारपीडो शामिल हैं जो अमेरिकी जहाजों, फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टरों से उपयोग किए जाते हैं. यह अमेरिका का प्रमुख पनडुब्बी रोधी हथियार है!इसे पहले से ही भारतीय नौसेना के P-8I पनडुब्बी रोधी युद्ध और निगरानी विमानों में शामिल किया गया है. भारत और अमेरिका ने 2020 में लॉकहीड मार्टिन से 24 MH-60 रोमियो हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए 16,000 करोड़ रुपये से अधिक के सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं!

24 MH-60 रोमियो मल्टीमोड राडार और नाइट-विज़न उपकरणों के साथ-साथ मिसाइलों, टॉरपीडो और अन्य सटीक-निर्देशित हथियारों से लैस होंगे. MH-60s सी किंग हेलिकॉप्टरों की जगह लेने जा रहे हैं जो बहुत जल्द सेना से बाहर हो जाएंगे. MH-69 हेलीकॉप्टर को फ्रिगेट, डिस्ट्रॉयर, क्रूजर और एयरक्राफ्ट कैरियर से संचालित किया जा सकता है!भारत जल्द ही अमेरिका के साथ एक बड़े हथियार सौदे पर हस्ताक्षर करने जा रहा है, जिसके बाद समंदर में भारत की ताकत में जबर्दस्त इजाफा होगा. इस सौदे के तहत भारत को हेलफायर मिसाइल और मार्क 54 पनडुब्बी रोधी टारपीडो समेत अमेरिकी हथियार हासिल होंगे. इन हथियारों को 24 एमएच-60 हेलीकॉप्टर में लगाया जाएगा जिन्हें जल्द ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जाना है!