क्या पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को महंगी पड़ी सेनापति से दुश्मनी?

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पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को पाकिस्तान के सेना प्रमुख से दुश्मनी महंगी पड़ गयी है! इमरान खान को तोशाखाना मामले में इस्लामाबाद की ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहराया है। उन्हें 3 साल की सजा सुनाई गई है और 1 लाख पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना न चुकाने पर उन्हें छह महीने की सजा और काटनी होगी। इसी के साथ इमरान खान 5 साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित हो गए हैं। दोषी ठहराए जाने के बाद इमरान खान को लाहौर स्थित उनके जमान पार्क वाले घर से गिरफ्तार कर लिया गया और अब उन्हें इस्लामाबाद की कोर्ट में पेश किया जाएगा। इस बीच इमरान खान के वकील सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। हालांकि, इस सजा से इमरान खान के राजनीतिक करियर पर ही सवाल उठने लगे हैं। पाकिस्तान में वर्तमान सरकार का कार्यकाल 12 अगस्त को खत्म हो रहा है। इसके बाद अक्टूबर या नवंबर में पाकिस्तान में आम चुनाव होने हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि तोशाखाना केस क्या है, जिसने इमरान खान को जेल की हवा खिला दी। तोशाखाना के फारसी शब्द है। इसका मतलब एक ऐसे कमरे से होता है, जहां शासन का खजाना या शहंशाहों के मिलने वाले उपहारों को रखा जाता है। पाकिस्तान में तोशाखाना की स्थापना 1974 के साल में की गई थी। इसे विदेश दौरों पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, कैबिनेट मंत्री, सरकारी अधिकारियो को मिलने वाले तोहफो को रखने के लिए बनाया गया था। पाकिस्तान में 1978 में कानून बना था कि प्रधानमंत्री को मिलने वाला हर एक उपहार 30 दिनों की समयसीमा के भीतक तोशाखाना में जमा होगा। इसका जिम्मा पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय को दिया गया था। हालांकि, इमरान खान पर आरोप है कि उन्होंने 2018 से 2021 के बीच प्रधानमंत्री रहने के दौरान विदेशों से मिले उपहारों को तोशाखाना में जमा नहीं किया। उन्होंने इन उपहारों को बाजार में बेचकर पैसा कमाया। जब उस वक्त इमरान खान की सरकार से सवाल पूछा गया तो उन्होंने इसे स्टेट सीक्रेट घोषित कर दिया।

पाकिस्तानी तोशाखाना अधिनियम के अनुसार, विदेशों से मिलने वाले उपहारों को एक तय कीमत से ऊपर होने पर उसे तोशाखाना में जमा कराना होता है। अगर कोई प्रधानमंत्री किसी गिफ्ट को अपने पास रखना चाहता है, तो उसे एक कीमत चुकानी होती है, हालांकि यह कीमत उपहार के वास्तविक कीमत से कम होती है। उपहारों की कीमतों को तय करने के लिए एक कमेटी भी बनी हुई है। उपहार मिलने पर पाकिस्तानी नेताओं को उसकी अनुमानित कीमत को कैबिनेट डिविजन को बताना होता है। अगर कोई गिफ्त ऐतिहासिक महत्व का है तो उसे किसी भी कीमत पर नहीं बेचा जा सकता है। ऐसे उपहारों को तोशाखाना में ही रखा जाता है।

सितंबर 2021 में पाकिस्तान के एक पूर्व कैबिनेट सेक्रेटरी ने तोशाखाना केस को लेकर बड़ा खुलासा किया था। उन्होंने दावा किया था कि उस वक्त के प्रधानमंत्री इमरान खान तोशाखाना के नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। उन्होंने विदेशों से मिले कुछ उपहारों को छिपा लिया था और कुछ को बेच दिया था। आरोप है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी ने तोशाखाना से 14.2 करोड़ रुपये के 112 उपहारों को मात्र 4 करोड़ रुपये देकर हड़प लिया था। इसमें दुनिया के अलग-अलग देशों ने इमरान खान को मिलीं रोलेक्स की सात घड़ियों के साथ दूसरी मंहगी घड़ियां, सोने और हीरे के गहने, महंगे पेन, सोने की कफ लिंक, अंगूठी, लाखों रुपये के डिनर सेट से लेकर इत्र सहित कई उपहार थे।

इमरान खान को मिला सबसे महंगा उपहार रोलेक्स की एक गोल्डन घड़ी थी। पाकिस्तान सरकार ने इसकी कीमत 8 करोड़ 50 लाख रुपये आंकी थी। इस घड़ी को सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद ने 18 सितंबर 2018 को इमरान खान को दिया था। इमरान खान ने इस घड़ी को लेने के लिए पाकिस्तानी तोशाखान में सिर्फ 1 करोड़ 70 लाख रुपये ही जमा करवाए। यह किसी पाकिस्तानी राष्ट्राध्यक्ष को दिया गया अब तक का सबसे महंगा विदेशी उपहार है। इसके अलावा यह किसी प्रधानमंत्री के खुद के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला भी सबसे महंगा उपहार है। इस घड़ी को इमरान खान ने बाद में 5 करोड़ रुपये में किसी दूसरे व्यक्ति को बेंच दिया था।

पाकिस्तानी कोर्ट के फैसले के बाद इमरान खान के राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अगर ऊपरी कोर्ट इमरान खान को मिली सजा पर रोक लगा देती है तो वह आने वाले चुनाव में हिस्सेदारी कर सकते हैं। हालांकि, अगर उन्हें राहत नहीं मिलती है तो चुनाव से दूर रहना पड़ेगा। पाकिस्तान पर करीबी नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट से इमरान खान को राहत मिल सकती है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक इमरान खान के मामले की सुनवाई को लेकर कोई तारीख तय नहीं की है। पाकिस्तान में यह भी माना जा रहा है कि चुनाव के दौरान इमरान खान की जेल को एक मुद्दे के रूप में भी भुनाया जा सकता है।