क्या अतीक के खात्मे के पीछे उसकी खुद की साजिश शामिल थी?

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हाल ही में एक रिपोर्ट के मुताबिक अतीक के खात्मे के पीछे उसकी ही साजिश शामिल थी! एक पिस्टल से निकली गोली ने लिख दी अतीक के पूरे परिवार की नीयती। एक पिस्टल की वजह से खत्म हो गया उत्तर प्रदेश के माफिया का परिवार। अतीक अहमद ने बचपन अपने बच्चों को हथियारों से खेलना सिखाया। बचपन से किताबों की जगह उनके हाथ में बंदूक थमा दी। कई बार ऐसी तस्वीरें और वीडियो भी सामने आए जब उत्तर प्रदेश का माफिया अतीक अहमद और भाई अशरफ बच्चों को बंदूक चलाना सिखा रहा था। ये वो दौर था जब माफिया का पूरा परिवार उत्तर प्रदेश में दहशत फैलाए हुए था। अब खबर सामने आई है कि 24 फरवरी के दिन अतीक की पिस्टल हाथ में लेकर ही असद उमेश पाल को मारने निकला था। अतीक की पिस्टल कोल्ट से निकली गोलियों से हुआ था उमेश पाल का मर्डर और उनके दो गनर का मर्डर। ये गोलिया असद ने चलाई थी। ये पिस्टल बाद में अतीक के चकिया वाले ऑफिस में मिली थी। इसे जांच के लिए भेजा गया था । अब लखनऊ एफएसएल की रिपोर्ट आई है। बैलिस्टिक रिपोर्ट के मुताबिक उमेश पाल के शरीर में फंसी गोलियों व मौके से बरामद खोखों की रिपोर्ट से ये साफ है कि ऑटो कोल्ट पिस्टल से ही उमेश पाल की हत्या की गई थी जो असद के हाथ में थी।

24 फरवरी 2023 तक सब कुछ सामान्य था। अतीक-अशरफ जेल में थे। अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन अपने बच्चों के साथ घर पर थी, लेकिन दिन दहाड़े हुए इस हत्याकांड ने सब कुछ बदल दिया। असद की उम्र महज 17 साल थी, लेकिन निशाना इतना मजबूत की 3 लोगों की हत्या कर डाली। अगर उस दिन असद ने राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल का कत्ल न किया होता तो आज अतीक अहमद और उसका परिवार सुरक्षित होता।

अतीक अहमद सालों तक उत्तर प्रदेश में दहशत फैलाता रहा और उसने अपने बेटों को भी बचपन से वैसा ही बनाने की सोची। उसे लगा कि उसकी तरह ही उसके बेटे भी काला धंधों के जरिए राज्य में माफियागिरी करेंगे, लेकिन यही चीज उसके लिए परिवार के अंत का कारण बन गई। 17 साल की उम्र पढ़ने लिखने की होती है, लेकिन असद हथियारों को चलाने में इतना एक्सपर्ट हो चुका था कि वो खुद गैंग के साथ उमेश पाल की हत्या के लिए निकल गया।

बाद में उमेश पाल हत्याकांड में अतीक समेत उसकी पत्नी, बेटा और 10 और लोगों को आरोपी बनाया गया। ये खबरें सामने आई कि अतीक और उसके परिवार ने मिलकर उमेश पाल की हत्या की साजिश रची थी। इस हत्याकांड के बाद असद पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। जबकि अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या कर दी गई। लोगों के बीच उमेश पाल हत्यकांड के बाद अतीक के परिवार के लिए नफरत कई गुना बढ़ गई और इसी का नतीजा था अतीक और उसके भाई पर गोलियां दागना। अतीक ने कभी ये नहीं सोचा होगा कि उसकी खुद की बंदूक से निकली गोलियां उसके अपने ही परिवार को हमेशा के लिए खत्म कर देंगी। आपको बता दें कि एक बड़ा सवाल ये भी कि अगर अशरफ के हाथ अतीक वाली हथकड़ी से नहीं बंधे होते तो क्या उसकी जान बच सकती थी. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि जैसी ही अतीक पर हमला होता है अशरफ भागने की कोशिश करता है लेकिन उसका हाथ अतीक के साथ हथकड़ी में बंधा होता है इसलिए वो एक झटका खाता है तभी उस पर भी गोलियां चल जाती हैं. जिंदगी और मौत के बीच कुछ सेकेंडों का ही फर्क था. तीन हमलावरों ने घेर रखा था!

जिस अंदाज में फायरिंग हो रही थी दोनों का बचना मुश्किल था. लेकिन अगर अशरफ का हाथ नहीं बंधा होता तो शायद एक मौका उसको मिल सकता था खुद को बचाने का. हालांकि चश्मदीदों के मुताबिक अतीक पर पहली गोली चलते ही अशरफ पर दूसरे हमलावर ने सेकेंड के 100वें हिस्सें में ही फायरिंग कर दी थी. अतीक और अशरफ की हत्या जिस समय हुई उस वक्त दोनों के आस-पास पत्रकार अपना कैमरा लिए मौजूद थे. मीडिया के कैमरे में ये साफ देखा गया कि अतीक और अशरफ के हाथ एक ही हथकड़ी में बंधा हुए थे. 1978 में सुनील बत्रा बनाम दिल्ली एडमिनिस्ट्रेशन और अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ये कह चुका है कि राज्यों को हथकड़ी का अंधाधुध इस्तेमाल नहीं करना चाहिए!