देश के वकीलों के लिए क्या बोले चीफ जस्टिस?

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हाल ही में चीफ जस्टिस ने देश के वकीलों के लिए एक बयान दिया है! प्रधान न्यायाधीश सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ ने मंगलवार को नागरिकों को न्याय तक पहुंच आसान करने पर जोर देते हुए कहा कि अदालत व्यक्तियों को उनके जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए एक सुरक्षित लोकतांत्रिक जगह देती है। उन्होंने वकीलों की तारीफ करते हुए कहा कि उनके बिना, उनकी निडरता के बिना जज तो समय की रेत में शून्य जैसे होंगे। सुप्रीम कोर्ट बार असोसिएशन एससीबीए की तरफ से आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘हमारे लिए इस तथ्य को पहचानना महत्वपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट बार देश की अग्रणी बार के रूप में कानून के शासन की रक्षा के लिए खड़ा है।’ उन्होंने वकीलों का जिक्र करते हुए कहा, ‘आपके वकीलों के बिना, आपकी निडरता के बिना, आपकी स्वतंत्रता के बिना, हम न्यायाधीश वास्तव में समय की रेत में सिफर होंगे।’

सीजेआई ने कहा, ‘जब मुझे बार के किसी सदस्य से कभी-कभी किसी मामले को उसी दिन तुरंत उठाने का अनुरोध मिलता है, तब भी मैं इसे बहुत ध्यान से सुनता हूं और जल्द से जल्द एक पीठ गठित करता हूं, क्योंकि हमारे सिस्टम का असली मकसद हमारे नागरिकों को न्याय तक पहुंच प्रदान करना है।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘हमारे स्वतंत्रता संग्राम ने हाशिये पर पड़े और वंचितों को आधिपत्य, सामाजिक संरचना के प्रभाव के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए एक संवैधानिक स्थान दिया। इसने न्याय दिलाने के लिए शासन की संस्थाओं को लोगों की पीड़ाओं पर सक्रिय रूप से प्रतिक्रिया देने का आदेश दिया।’

उन्होंने कहा कि पिछले 76 वर्षों में हमें अहसास हुआ है कि प्रत्येक संस्था ने हमारे राष्ट्र की आत्मा को मजबूत करने में योगदान दिया है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘यह महत्वपूर्ण है कि हम यह पहचानें कि राष्ट्र की सभी संस्थाएं, कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका राष्ट्र निर्माण के सामान्य कार्य से जुड़ी हैं।’ उन्होंने कहा, ‘और इस अवसर को हमारे सामूहिक लक्ष्यों और संस्थागत आकांक्षाओं को पुन: व्यवस्थित करने के अवसर के रूप में काम करना चाहिए।’

सीजेआई ने आगे कहा, ‘हमारा संविधान यह सुनिश्चित करने के लिए न्यायपालिका के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका की परिकल्पना करता है कि शासन की संस्थाएं परिभाषित संवैधानिक सीमाओं के भीतर काम करती हैं।’ चंद्रचूड़ ने कहा, ‘इसके अलावा, अदालत व्यक्तियों को उनके जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए सुरक्षित लोकतांत्रिक स्थान प्रदान करती है। सुप्रीम कोर्ट विशेष रूप से, न्याय तक पहुंच बढ़ाने और संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने वाले संस्थागत शासन का अगुआ रहा है।’ यहि नहीं आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को दो नए जज शपथ लेंगे। सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में शपथ लेने वालों में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और एडवोकेट केवी विश्वनाथन शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की तरफ से 16 मई को सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट केवी विश्वनाथन और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त करने के लिए केंद्र से सिफारिश की थी। केंद्र सरकार की तरफ से 48 घंटे में ही सुप्रीम कोर्ट जजों के लिए इन नामों पर मुहर लगा दी गई। इसके बाद राष्ट्रपति की तरफ से इन दोनों की नियुक्ति को लेकर लेटर जारी कर दिया है। ऐसे में आपके मन में यह सवाल तो उठता होगा कि क्या सुप्रीम कोर्ट जज के लिए कोई परीक्षा होती है। आखिर बिना परीक्षा के कोई वकील कैसे सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में नियुक्त हो जाता है।

जब भी सुप्रीम कोर्ट में जज की वेकेंसी होती है तो उस पद को भरने के लिए चीफ जस्टिस के नेतृत्व वाला कॉलेजियम जज के नाम की सिफारिश करता है। यह सिफारिश केंद्रीय कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री को भेजी जाती है। सुप्रीम कोर्ट के जज की नियुक्ति के लिए देश के चीफ जस्टिस की राय सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर मोस्ट जज के कॉलेजियम के सलाह से होनी चाहिए। यदि देश के अगले सीजेआई चार सीनियर मोस्ट उप-जज में से एक नहीं हैं, तो उन्हें कॉलेजियम का हिस्सा बनाया जाएगा क्योंकि जजो के सेलेक्शन में उनका भी हाथ होना चाहिए जो देश के सीजेआई के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान कार्य करेंगे।

भारत के चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट के उस सीनियर मोस्ट जज की राय जानेंगे जो, उस हाईकोर्ट से आते हैं जहां से अनुशंसित व्यक्ति आता है। यदि उस जज को उस व्यक्ति की योग्यता और अवगुणों का कोई ज्ञान नहीं है, तो अगले सीनियर मोस्ट सुप्रीम कोर्ट जज से सलाह लेनी होती है। जैसे ही नियुक्ति को मंजूरी दी जाती है, न्याय विभाग में भारत सरकार के सचिव की तरफ से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को सूचित करते हैं। इसके बाद चुने गए व्यक्ति से सिविल सर्जन या जिला चिकित्सा अधिकारी की तरफ से हस्ताक्षरित फिजिकल फिटनेस का प्रमाण पत्र प्राप्त करना होता है। नियुक्ति के लिए चयनित सभी व्यक्तियों से मेडिकल सर्टिफिकेट प्राप्त किया जाना होता है चाहे वे नियुक्ति के समय राज्य की सेवा में हों या नहीं। सर्टिफिकेट प्रपत्र में संलग्न होना चाहिए।