वर्तमान में उत्तर प्रदेश में घोसी विधानसभा में उपचुनाव होने वाला है! उत्तर प्रदेश में मऊ की घोसी उपचुनाव दिलचस्प होता चला आ रहा है। घोसी सूबे की एक एकमात्र ऐसी विधानसभा है जो पिछले एक दशक से उपचुनाव का दंश झेल रही है। 2017 में भी फागू चौहान के बिहार राज्य का राज्यपाल बनाए जाने के बाद रिक्त सीट से विजय राजभर उपचुनाव में विधायक चुने गए। ठीक वैसे ही 2022 के विधानसभा चुनाव में दारा सिंह चौहान के सत्तमोह के चलते घोसी विधानसभा एक बार फिर उपचुनाव के भेंट चढ़ गई। और सत्ताशील पार्टी भाजपा से अनारक्षित सीट होते हुए भी पिछड़ा कार्ड खेला और सपा ने इस पर सवर्ण कार्ड खेला है। एक तरफ घोसी के सड़कों की तुलना जहां मखमल से होती थी तो वहीं दूसरी तरफ घोसी का सरायसादी गांव एशिया का पहला ऐसा गांव था जिसकी सारी जरूरतें सौर ऊर्जा के द्वारा पूर्ण होती थी। 1992 में घोसी से मऊ के बीच एक डबल डेकर बस चला करती थी जो पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर निर्भर थी। इन सारे विकास कार्यों का श्रेय जनपद के जन्मदाता विकासपुरुष कल्पनाथ राय को जाता था। समय का पहिया धीरे धीरे बदलता गया और घोसी में विकास की गति को राजनैतिक तिकड़मों के भेंट चढ़ गया। घोसी विधानसभा में अगर सवर्ण ब्राम्हण,भूमिहार,क्षत्रिय,कायस्थ समाज के मतदाताओं की बात की जाए तो इनकी संख्या लगभग 80 से 90 हजार के आस पास है जिनमे सर्वाधिक संख्या 48500 भूमिहार मतदाताओं की है। घोसी विधानसभा के उपचुनाव में सपा को छोड़कर प्रायः सभी दलों ने अनारक्षित सीट पर आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को उतारकर सवर्णों को एक बार फिर छला है। जिससे नाराज़ सवर्ण अगर सत्ताधारी पार्टी की नैया में छेद कर दिए तो घोसी की तस्वीर बदल जाएगी। कहने को तो घोसी की सीट अनारक्षित है।
अनारक्षित सीट पर भी जब आरक्षित वर्ग के ही उम्मीदवार उतारे जाएंगे तो भला सवर्णों की हसरतें कहां पूरी होंगी? यह ग़लती कोई भूल या मजबूरी नहीं कही जा सकती। क्यों कि ग़लती एक बार हो सकती है,दो बार हो सकती है, तीन बार हो सकती है। बार-बार नहीं हो सकती। मगर,जब बार-बार यही ग़लती की जा रही है तो यह कोई ग़लती नहीं, बल्कि सवर्णों को एक तरह से चुनौती ही दी जा रही है।
वैसे अगर पिछले कुछ चुनाव परिणामों पर नजर डाल ली जाए तो सवर्ण मतदाताओं ने निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव में इस चुनौती का पूर्ण रूप से जवाब भी दे दिया है। भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान एक तरफ जहां हाल ही में बेवजह सत्ता के लालच में इस्तीफा देकर उपचुनाव का दंश झेल रहे हैं तो वहीं सवर्णों की भारी नाराजगी का सामना भी कर रहे हैं।मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट पर पांच सितंबर को मतदान होगा व आठ सितंबर को मतगणना होगी। यह सीट हाल ही में सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान के इस्तीफा देने के कारण रिक्त हुई है। सपा छोड़कर भाजपा में घर वापसी करने वाले दारा सिंह चौहान को बीजेपी ने उपचुनाव में टिकट दिया है। आपको बता दें कि घोसी विधानसभा उपचुनाव में राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ, राधा मोहन सिंह, चौधरी भूपेंद्र सिंह, डिप्टी सीएम केशव मौर्य, डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, धर्मपाल सिंह, महेंद्र नाथ पांडे, अरुण सिंह सूर्य प्रताप शाही, स्वतंत्र देव सिंह, पंकज चौधरी, कौशल किशोर, बेबी रानी मोर्य, नंद गोपाल गुप्ता नंदी, अनिल राजभर, एके शर्मा, प्रवीण जायसवाल, गिरीश यादव, असीम अरुण, धरम वीर प्रजापति, जेपीएस राठौर, दयाशंकर सिंह, दयाशंकर मिश्र दयालु, नरेंद्र कश्यप, संकल्प दीप राजभर, संगीता यादव, अमरपाल मौर्य, अनूप गुप्ता, संजय राय, धर्मेंद्र सिंह, जयप्रकाश निषाद, रामविलास चौहान, देवेंद्र सिंह भाजपा की ओर से प्रत्याशी दारा सिंह चौहान का चुनाव प्रचार करेंगे।
लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे घोसी विधानसभा के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के ‘पीडीए’ की भी पहली परीक्षा होगी।मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट पर पांच सितंबर को मतदान होगा व आठ सितंबर को मतगणना होगी। यह सीट हाल ही में सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान के इस्तीफा देने के कारण रिक्त हुई है। सपा छोड़कर भाजपा में घर वापसी करने वाले दारा सिंह चौहान को बीजेपी ने उपचुनाव में टिकट दिया है। सपा इस सीट को किसी भी कीमत पर गंवाना नहीं चाहती है। यही वजह है कि सपा ने इस सीट से दो बार के विधायक रहे सुधाकर सिंह पर दांव लगाया है।