आखिर कौन थे अमरमणि और मधुमिता?

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आज हम आपको अमरमणि और मधुमिता की कहानी सुनाने जा रहे है! एक बेहद पावरफुल नेता, एक तेज तर्रार कवयित्री, दोनों के बीच रिश्ते बनते हैं, प्यार होता है और फिर ये कवयित्री प्रेग्नेंट हो जाती है, लेकिन इसके बाद जो होता है वो देश की राजनीति में भूचाल ला देता है। उत्तर प्रदेश से एक ऐसी खबर आती है जिसे सुनकर पूरा देश सन्न रह जाता है। प्यार, पैसा, पावर का खेल कत्ल पर जाकर खत्म होता है। कत्ल एक मशहूर कवयित्री का और कातिल होता है देश का एक जाना-माना राजनेता। अमरमणि त्रिपाठी और मधुमिता शुक्ला की लव स्टोरी कैसे बन गई मौत की कहानी। उसकी कविताओं में वीर रस था। उसकी आवाज में एक कशिश थी। उसके शब्द राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा देते थे। अपनी कविताओं से बेहद छोटी उम्र मधुमिता ने एक पहचान बना ली थी। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की रहने वाली मधुमिता 16 साल से वीर रस कविताओं की लिख रही थी और खुद उन कविताओं को गाती भी थी। उत्तर प्रदेश में मधुमिता की पहचान बन चुकी थी। बस इसी दौरान इस कवयित्री की मुलाकात अमरमणि त्रिपाठी से हुई।

अमरमणि त्रिपाठी तब उत्तर प्रदेश में एक बड़ा नाम हुआ करते थे। बड़े राजनेता, लेकिन मधुमिता का जादू अमरमणि पर ऐसा चला कि दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठे। मुलाकातें होती रही, नजदीकियां बढ़ी, शारीरिक संबंध भी बने। मधुमिता का अमरमणि के घर भी आना जाना था। आपको बता दें कि अमरमणि बेहद पावरफुल था, लेकिन मधुमिता के परिवार ने भी हार नहीं मानी वो सालों तक अमरमणि के खिलाफ लड़ते रहे। आखिरकार निचली अदालत ने अमरमणि, उनकी पत्नी, उनके भतीजे समेत एक शूटर को दोषी ठहराया। साल 2007 में नैनीताल हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बनाए रखा और अमरमणि और उनकी पत्नी को उम्र कैद की सजा हुई। अमरमणि की पत्नी और मां से भी मधुमिता के अच्छे रिश्ते थे। लंबे समय अमरमणि और मधुमिता के बीच रिश्ता चला, लोगों के बीच भी इस रिश्ते को लेकर चर्चाएं थी लेकिन 9 मई 2003 में एक चौंकाने वाली खबर आई।

लखनऊ में पेपर मिल सोसाइटी में रहने वाली मधुमिता को सुबह-सुबह किसी ने गोली मार दी थी। खून से लथपथ मधुमिता अपने बेड पर पड़ी हुई थीं। लाश का पोस्टमार्टम हुआ तो एक और हैरान करने वाली बात सामने आई। मधुमिता पांच महीने की प्रेग्नेंट थी। वो शादीशुदा नहीं थी, लेकिन प्रेग्नेंट थीं और ये बात पहली बार पोस्टमार्टम के वक्त ही सामने आई थी। अमरमणि और मधुमिता के रिश्ते किसी से छुपे नहीं थे। परिवारवालों ने केस दर्ज करवाया। जांच हुई तो पता चला कि मधुमिता के पेट में अमरमणि का बच्चा था।

अमरमणि और मधुमिता के बीच रिश्ते थे, लेकिन जब वो प्रेग्नेंट हुईं तो ये बात अमरमणि और उसके परिवार को नागवार गुजरी। जांच शुरू हुई तो पता चला कि मधुमिता की हत्या करवाने में अमरमणि की पत्नी मधुमणि भी शामिल थी। केस चलता रहा। अमरमणि बेहद पावरफुल था, लेकिन मधुमिता के परिवार ने भी हार नहीं मानी वो सालों तक अमरमणि के खिलाफ लड़ते रहे। आखिरकार निचली अदालत ने अमरमणि, उनकी पत्नी, उनके भतीजे समेत एक शूटर को दोषी ठहराया। साल 2007 में नैनीताल हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बनाए रखा और अमरमणि और उनकी पत्नी को उम्र कैद की सजा हुई।

तब से अमरमणि और मधुमणि जेल में ही बंद थे, लेकिन कुछ समय पहले यूपी सरकार ने उन्हें छोड़ने का फैसला लिया था। जेल में अमरमणि और मधुमणि के अच्छे आचरण की वजह से उन्हें जेल से रिहाई दी जा रही थी। इस फैसले के खिलाफ मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के फैसले पर रोक लगाने से मना कर दिया है। अमरमणि और मधुमिता के रिश्ते किसी से छुपे नहीं थे। परिवारवालों ने केस दर्ज करवाया। जांच हुई तो पता चला कि मधुमिता के पेट में अमरमणि का बच्चा था।यानी अब 20 साल बाद अमरमणि और उनकी पत्नी की रिहाई होगी।

मधुमिता का परिवार इस बात से बेहद दुखी है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद अब निधि शुक्ला ने उत्तर प्रदेश सरकार ने गुहार लगाई है कि उसकी बहन के कातिल को ऐसे ना छोड़ा जाए। निधि शुक्ला का कहना है कि ये अन्याय होगा, जिसके लिए हम इतने सालों से लड़ते आए हैं उसको ऐसे छोड़ना सही नहीं है।