एक ऐसी घटना जिसमें 925 करोड रुपए की राबरी कांस्टेबल के चलते फेल हो गई! वो निकल चुके थे बैंक लूटने। हाथ में बंदूक और दूसरे हथियार, बस उनका मकसद था बैंक में रखे 925 करोड़ को चुराकर फरार हो जाना। सारी प्लानिंग हो चुकी थी। लूट की स्क्रिप्ट बहुत पहले लिखी जा चुकी थी। रेकी हो चुकी थी बस उस रात बैंक में धावा बोलकर इस गैंग ने सारे पैसे चुराने थे। हथियारों के दम पर करनी थी देश की सबसे बड़ी लूट। साल 2018 का फरवरी महीना था। देश में अच्छी खासी ठंड पड़ रही थी। ठंड की वजह से लोग रात होते ही जल्द जल्दी अपने घरों के अंदर घुस गए थे। जयपुर का जी स्कीम इलाके में था ये बैंक जो लुटेरों के निशाने पर था। ये बैंक सेन्ट्रलाइज्ड चेस्ट ब्रांच थी जहां अलग-अलग शाखाओं से पैसा आता है। सोमवार के दिन इस ब्रांच में सबसे ज्यादा पैसा होता है और इसलिए लुटेरों ने सोमवार की रात को चुना था।
उस वक्त बैंक की इस ब्रांच में 925 करोड़ रुपये थे। रात करीब 12 बजे बैंक के आसपास 12-13 लुटेरे इकट्ठा हुए। इनके चेहरे पर काला मास्क लगा हुआ था। सिर ढके हुए थे, तकरीबन हर किसी के हाथ में हथियार थे। कुछ के पास बैग भी मौजूद थे। ये पूरी प्लानिंग के साथ आए थे। ऐसा लग रहा था कि इन्हें बैंक के बारे में पूरी जानकारी है। ये हथियारबंद लुटेरे बैंक के शटर पास पहुंचे। वहां पर एक सुरक्षाकर्मी मौजूद था। सबसे पहले इन लुटेरों ने बंदूक दिखाकर सुरक्षाकर्मी के हाथ पैर बांध दिए। उसके मुंह पर टेप चिपका दी। इसके बाद ये शटर को काटने लगे। शटर काट के ये सारे बैंक के अंदर दाखिल हो रहे थे। सुरक्षाकर्मी के मुंह पर टेप चिपकी हुई थी। किसी को कुछ भी पता नहीं था कि बैंक में क्या हो रहा है, लेकिन इसी बीच बैंक अंदर मौजूद एक पुलिसकर्मी सीताराम की नजर इनपर पड़ गई।
दरअसल इस बैंक के गेट के बाहर एक सुरक्षाकर्मी मौजूद रहता है जबकि अंदर पुलिसकर्मी। ये बात शायद इन लुटेरों को नहीं पता थी। इन्हें शटर काटकर ये सीधा अंदर पहुंच जाएंगे। खैर ये 13 नकाबपोश हथियारों के साथ थे, लेकिन बावजूद इसके कॉन्स्टेबल सीताराम ने हिम्मत नहीं हारी। इन रॉबर्स को देखने के बाद भी सीताराम ने फायरिंग शुरू कर दी। ये बैंक अंदर बढ़ने की कोशिश करते रहे और सामने से सीताराम फायरिंग करते रहे। 12-13 रॉबर्स का न सिर्फ अकेले मुकाबला किया बल्कि इतनी देर में सुरक्षा अलार्म का बटन भी दबा दिया।
बैंक अलार्म बजते ही पास की पुलिस थाने तक सूचना पहुंच चुकी थी। पुलिस की गाड़ी मौके पर पहुंचने लगी। ये लुटेरे समझ चुके थे कि इनका लूट का प्लान बेकार हो चुका है। पुलिस की टीम को आता देख ये वहां से फरार हो गए। सीताराम करीब 5 मिनट तक नॉन स्टॉप फायरिंग करते रहे। एक कॉन्स्टेबल की वजह से ये लूट पूरी न हो पाई। अगर ये बैंक लूट लिया जाता तो देश के इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी लूट होती।
बाद में इस केस में जांच हुई। लुटेरे सीसीटीवी में कैद हुए, लेकिन चेहरा ढका होने की वजह से वो पहचान में नहीं आ पाए। बैंक के अंदर काफी लापरवाही भी पाई गई थी। सुरक्षा के इंतजाम भी पुख्ता नहीं थे। यहां तक की कैश चेस्ट के अंदर लॉक नहीं था बल्कि बाहर ही खुला रखा गया था।
यहि नहीं आपको बता दें कि चलती ट्रेन किसी यात्री को अपना चोरी सामान वापस पाने के लिए ट्रेन को रोकना पड़ेगा, क्योंकि जब तक ऐसा नहीं करते आरपीएफ खोजबीन ही नहीं करती। शुक्रवार तड़के भी ऐसा ही हुआ। उधना के पास चलती ट्रेन में एक यात्री का बैग चोरी हो गया तो सैकड़ों यात्रियों ने पहले उधना उसके बाद सूरत में ट्रेन को चेन पुलिंग कर पांच बार रोका। उन्होंने कहा कि जब तक बैग वापस नहीं मिलता तब तक ट्रेन को आगे नहीं बढ़ने देंगे। उसके बाद आरपीएफ ने एक घंटे में बैग को बरामद कर यात्री को दे दिया। शुक्रवार तड़के करीब 3.30 बजे पुणे से वेरावल जा रही 11018 पुणे-वेरावल एक्सप्रेस के एस 9 स्लीपर कोच में एक यात्री का बैग उधना के पास चलती ट्रेन में ही बदमाशों ने चुरा लिया। इससे सैकड़ों यात्रियों ने हंगामा कर दिया और चोर को पकड़ने के लिए उधना के पास बीच रास्ते में ही चेन पुलिंग कर ट्रेन रोक दी। चोर अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गया। उसके बाद ट्रेन जब सूरत स्टेशन पहुंची तो फिर से यात्रियों ने चेन पुलिंग कर दी। आरपीएफ और रेल अधिकारियों ने यात्रियों को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे मानने को तैयार नहीं हुए और ट्रेन को रोके रखा। उसके बाद ने एक घंटे में आरपीएफ के जवान बैग को बरामद कर सूरत स्टेशन लेकर आए। संबंधित यात्री को उसका बैग लौटाया गया तो यात्रियों ने हंगामा करना बंद किया। फिर पुणे-वेरावल एक्सप्रेस को रवाना किया गया। उसके पीछे एक के बाद एक खड़ी 7 ट्रेनों को भी रवाना किया गया।