वर्तमान में G20 दुनिया में अपनी ताकत दिखाने का एक अच्छा मौका है! जी20 भारत में अब तक का सबसे बड़ा कूटनीतिक इवेंट होगा। दिल्ली में होने वाले इस इवेंट में दुनिया के दो दर्जन से अधिक सबसे ताकतवर देशों के प्रमुख 9-10 सितंबर को शिरकत करेंगे। इससे पहले सम्मेलन से जुड़ी 200 बैठक देश के 50 शहरों में आयोजित हो चुकी हैं। कहा जा रहा है कि भारत के लिए यह मौका पूरे विश्व को अपनी सॉफ्ट पावर से रूबरू कराने का है। साथ ही कूटनीतिक मोर्चे पर भी भारत के पास अपना स्टैंड दिखाने का मौका है। आइए जानते हैं कि जी20 का यह इवेंट भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है। रूस से कच्चा तेल खरीदने के मसले पर भारत भी यूरोपीय देशों को साफ संदेश दिया था कि यह उसका हित है। कई विशेषज्ञों ने भारत के इस तटस्थ स्टैंड पर सवाल भी उठाए। लेकिन अब तक भारत इसमें संतुलन बनाने में सफल रहा है। जी20 पर इसका कितना असर होगा, यह सम्मेलन का सबसे बड़ा फोकस होगा। इसका सबसे बड़ा पैमाना होगा कि क्या सम्मेलन के अंत में सभी देश आपसी सहमति से जवॉइंट स्टेटमेंट जारी करते हैं या नहीं। अब तक हुए तमाम सम्मेलनों में इस मोर्चे पर गतिरोध देखा गया है। अगर भारत ऐसा संतुलन बनाए रखने में सफल रहा तो यह बड़ी कूटनीतिक जीत होगी।
कोविड के बाद बदली दुनिया में जहां रिवर्स ग्लोबलाइजेशन की आहट दिखी, खाने-पीने की चीजों में महंगाई दिखी, देशों के बीच टैक्स को लेकर गतिरोध दिखा और क्लाइमेट चेंज पर विकसित और विकासशील देश आमने-सामने दिखे। तो ऐसे में भारत क्या इन ताकतवर देशों के बीच एक सेतु का काम करेगा? इस सम्मेलन का यह भी सबसे बड़ा हासिल होगा।रूस चाहता है कि भारत को ग्लोबल लीडरशिप रोल निभाने का मौका मिले। हम इसके लिए अपना पूरा समर्थन देंगे। पीएम मोदी भी अलग-अलग मंच से इसके महत्व को बात कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि भारत अपने साथ विश्व के विकासशील देशों को साथ ले चलने को तैयार है। जिन्हें अक्सर विकसित देश पीछे छोड़ते चले जा रहे हैं।
जी20 ऐसे समय में हो रहा है जब नए ग्लोबल ऑर्डर देखने को मिल रहे हैं। पिछले एक साल में रूस-युक्रेन युद्ध ने कोल्ड वार के नये सिरे से शुरू होने के संकेत दिए हैं। लेकिन भारत ने पूरे युद्ध के दौरान अपनी तटस्थता बनाई रखी। दोनों पक्षों से युद्ध का रास्ता छोड़ने की अपील भी की। साथ ही सभी मंचों पर स्पष्ट किया कि युद्ध के बीच भारत अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा। किसी दबाव में कोई स्टैंड नहीं लेगा। शुरू में ऐसी भी खबरें भी आईं कि भारत के रुख से अमेरिका और पश्चिमी देश नाराज हैं, लेकिन अभी तक किसी ने भी भारत के रुख पर कोई निगेटिव टिप्पणी नहीं की है।
आपको बता दें कि भारत, अमेरिका, रूस, चीन, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मेक्सिको, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, और यूरोपीय संघ ईयू शामिल हैं। इसके अलावा भारत ने इसमें शामिल होने के लिए बांग्लादेश, यूएई, मॉरीशस, अफ़्रीकी यूनियन, रवांडा नाइजीरिया और ओमान को भी आमंत्रण दिया है। बता दें कि जी 20 शिखर सम्मेलन का आयोजन 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में होना है. बतौर अध्यक्ष इस सम्मेलन के लिए एजेंडे को अंतिम रूप देने की जिम्मेदारी भारत के पास ही है. इस मकसद से पिछले 8 महीने से जी 20 से जुड़ी कई बैठकों का आयोजन देश के 50 से भी ज्यादा शहरों में किया गया. अप्रैल मध्य तक जी 20 के बैनर तले करीब सौ बैठकें हो चुकी थी और अध्यक्षता के पूरे कार्यकाल के दौरान करीब दो बैठकें होनी है. इन बैठकों के जरिए भारत की विविधता को दुनिया के सामने दिखाने का भी मौका मिला!
बैठक में शामिल होने वाले देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की सूची से समझा जा सकता है कि जी 20 शिखर सम्मेलन कितना बड़ा आयोजन है. ये पहला मौका है जब भारत में जी20 का शिखर सम्मेलन हो रहा है. जो भी देश समूह का अध्यक्ष होता है, वहीं शिखर सम्मेलन का भी आयोजन किया जाता है. भारत में होने वाला समिट जी20 का 18वां शिखर सम्मेलन है. ये एक ऐसा मौका होता है जिसके जरिए मेजबान देश वैश्विक बिरादरी में अपनी ताकत का एहसास करा सकता है और भारत इसके लिए पूरी तरह से तैयार है! भारत मंडपम’ ये भी दर्शाता है कि बुनियादी ढांचे के विकास को लेकर भारत के कदम कितने आगे बढ़ गए हैं. करीब 123 एकड़ में फैले परिसर क्षेत्र के साथ आईईसीसी कॉम्प्लेक्स को भारत के सबसे बड़े एमआईसीई गंतव्य के रूप में विकसित किया गया है. आयोजनों के लिए उपलब्ध कवर एरिया के लिहाज से आईईसीसी कॉम्प्लेक्स दुनिया के शीर्ष प्रदर्शनी और सम्मेलन परिसरों में शामिल हो गया है. इसके भव्य मल्टीपरपज हॉल और प्लेनरी हॉल की संयुक्त क्षमता सात हजार लोगों की है. ये ऑस्ट्रेलिया के मशहूर सिडनी ओपेरा हाउस की बैठने की क्षमता से भी ज्यादा है. इसके शानदार एम्फीथिएटर में 3,000 लोगों के बैठने की क्षमता है!