एक समय ऐसा था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक देश एक चुनाव पर अपना भाषण दिया था! केंद्र की मोदी सरकार की ओर से संसद का विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर के बीच बुलाया गया है। जैसे ही खबर आई उसके बाद यह चर्चा शुरू हो गई कि आखिर इस वक्त सत्र क्यों बुलाया गया। अभी यह चर्चा चल ही रही थी कि यह खबर सामने आती है कि सरकार संसद के इसी विशेष सत्र में एक देश-एक चुनाव का बिल ला सकती है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसको प्रधानमंत्री खुद लंबे समय से उठाते रहे हैं। वन नेशन- वन इलेक्शन को लेकर सर्वदलीय बैठक भी पूर्व में बुलाई जा चुकी है लेकिन इसका कोई हल नहीं निकला। कुछ दल इसके समर्थन में खड़े हुए तो वहीं कुछ दल इसका विरोध करते हुए दिखाई पड़े। लोकसभा चुनाव में करीब 6 महीने का वक्त बाकी है और उसके पहले एक बार फिर इस मुद्दे की चर्चा शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे का जिक्र संसद में भी कर चुके हैं। 2019 में दोबारा से बीजेपी को चुनाव में ऐतिहासिक जीत मिली थी और नरेंद्र मोदी एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बने। 26 जून 2019 का दिन जब राष्ट्रपति अभिभाषण पर राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए नरेन्द्र मोदी ने खासतौर पर एक देश एक चुनाव का जिक्र किया। उन्होंने लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के एक साथ चुनाव कराने के विचार को चुनाव सुधार प्रक्रिया का अहम हिस्सा बताया। मोदी ने विपक्षी दलों से एक देश एक चुनाव के विचार को चर्चा किए बिना ही खारिज नहीं जाने की अपील की थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनाव सुधार का काम 1952 से ही हो रहा है और यह होते भी रहना चाहिए। मैं मानता हूं कि इसकी चर्चा भी लगातार खुले मन से होती रहनी चाहिए लेकिन दो टूक यह कह देना उचित नहीं है कि एक देश एक चुनाव के हम पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा कि इस पर चर्चा किए बिना ही इस विचार को खारिज नहीं करना चाहिए। मोदी ने कहा कि एक देश एक चुनाव के विचार को खारिज करने वाले तमाम नेता व्यक्तिगत चर्चाओं में कहते हैं कि इस समस्या से मुक्ति मिलनी चाहिए। सभी दलों के नेताओं की दलील रही है कि पांच साल में एक बार चुनाव का उत्सव हो और बाकी के समय देश के काम हों। लेकिन सार्वजनिक तौर पर इसे स्वीकारने में दिक्कत होती होगी।
मोदी ने कहा कि क्या यह समय की मांग नहीं है कि कम से कम मतदाता सूची तो पूरे देश की एक हो। इससे जनता के पैसे की बहुत मात्रा में बर्बादी को रोका जा सकेगा। उन्होंने इसे चुनाव सुधार प्रक्रिया का हिस्सा बताते हुए कहा कि देश में पहले एक देश एक चुनाव ही होता था और कांग्रेस को ही इसका सर्वाधिक लाभ मिलने का हवाला देते हुये अब इस पर कांग्रेस के विरोध पर आश्चर्य जताया। मोदी ने देश और राज्य के एक साथ चुनाव कराए जाने पर मतदाताओं को अपने मत का फैसला करने में दिक्कत होने की विपक्षी दलों की दलील को नकारते हुये कहा कि ओडिशा इसका सबसे ताजा उदाहरण है।
प्रधानमंत्री ने दलील दी कि ओडिशा में अभी लोकसभा और विधानसभा के एकसाथ हुए चुनाव में मतदाताओं ने लोकसभा के लिये एक मतदान किया और विधानसभा के लिये दूसरा मतदान किया। उन्होंने कहा कि इसका मतलब साफ है कि मतदाताओं में एक ही समय अलग अलग सदनों के लिये मतदान का फैसला करने का विवेक है। क्षेत्रीय दलों के खत्म होने की दलील पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लोकसभा चुनाव के साथ जिन चार राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए उन सभी में क्षेत्रीय दलों की ही सरकार बनी।
प्रधानमंत्री ने उस वक्त राज्यसभा में जो बात कही उसका कांग्रेस ने विरोध किया। कांग्रेस ने एक देश-एक चुनाव के विचार को अव्यावहारिक करार दिया था। बता दें कि मोदी ने देश और राज्य के एक साथ चुनाव कराए जाने पर मतदाताओं को अपने मत का फैसला करने में दिक्कत होने की विपक्षी दलों की दलील को नकारते हुये कहा कि ओडिशा इसका सबसे ताजा उदाहरण है। उच्च सदन में कांग्रेस के तत्कालीन उपनेता आनंद शर्मा ने कहा था कि एक देश-एक चुनाव का विचार व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने कहा था कि राज्यों में जब सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाए या सरकार गिर जाए तो ऐसी स्थिति में क्या होगा। शर्मा ने सवाल किया कि वैसी स्थिति में वैकल्पिक सरकार कैसे बनेगी।