वर्तमान में धार्मिक आस्थाओं पर क्यों हो रही है राजनीति?

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वर्तमान में धार्मिक आस्थाओं पर राजनीति का दौर अब बढ़ चुका है! देश में आजकल धर्म, भगवान और संस्कृति पर खूब बयानबाजी हो रही है। बिहार की सत्ताधारी आरजेडी का सेकेंड लेयर लीडरशिप आजकल इसमें इन्वॉल्व दिख रहा है। इलेक्टोरल राजनीति में लालू प्रसाद को इसका कितना फायदा मिलेगा, फिलहाल कहना मुश्किल है। मगर, मीडिया में माहौल तो मिल ही जाता है। आढ़े-टेढ़े बयानों की वजह से सुर्खियों में रहनेवाले आरजेडी कोटे से शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने इस बार पैगंबर मोहम्मद को लेकर बयान दिया है। इससे पहले वो रामचरितमानस को लेकर भी विवादित बयान दे चुके हैं। बुधवार को बिहार आरजेडी अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने भी एक खास समाज को नीचा दिखाने वाला बयान दिया था। कुल मिलाकर ये लोग हिंदू समाज के प्रतीकों को टारगेट कर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ इनके नेता लालू यादव सिद्धिविनायक से लेकर हरिहरनाथ के दरबार में हाजिरी लगा चुके हैं, बाबा धाम जाने की तैयारी कर रहे हैं। प्रो.चंद्रशेखर ने कहा कि ‘जब शैतानियत बढ़ गई दुनिया में, ईमान खत्म हो गया, बेइमान और शैतान ज्यादा हो गए तो मध्य एशिया के इलाके में ईश्वर ने, प्रभु ने, परमात्मा ने, एक शानदार महायोद्धा… पता नहीं…मर्यादा पुरुषोत्तम जो भी कह दीजिए… मोहम्मद साहब को पैदा किए, ईमान लाने के लिए। इस्लाम बेइमानी और शैतानी के खिलाफ आया। मगर बेइमान भी खुद को मुसलमान कहते हैं तो इसकी इजाजत इस्लाम नहीं देता है।’ खास बात ये कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। हिलसा के बाबा अभयनाथ धाम में गुरुवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में बिहार शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर शामिल हुए थे।

इससे पहले बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ‘रामचरितमानस’ को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बता चुके हैं। मीडिया से बात करते हुए कहा था कि रामचरितमानस समाज में नफरत फैलाने का ग्रंथ है। ये समाज में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है। उन्हें उनका हक दिलाने से रोकता है। उन्होंने कहा कि मनुस्मृति को क्यों जलाया गया क्योंकि उसमें एक बड़े तबके के खिलाफ अनेकों गालियां दी गई। चंद्रशेखर ने कहा था कि मनुस्मृति ने समाज में नफरत का बीज बोया। फिर उसके बाद रामचरित मानस ने समाज में नफरत पैदा की। नालंदा ओपेन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के दौरान विवादित बयान दिया था।

दरअसल, भगवान राम के लिए आमतौर पर मर्यादा पुरुषोत्तम शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के इस बयान पर बीजेपी ने आपत्ति जाताई है। बिहार बीजेपी के प्रवक्ता अरविंद सिंह ने मीडिया से कहा है कि शिक्षा मंत्री दिमागी दोष के शिकार हो गए हैं। राजद न तो हिंदू का है और न मुसलमान का। ये एक परिवार का गुलाम हो गया है। ये कभी हिंदुओं को तो कभी मुसलमानों को, कभी रामायण तो कभी मोहम्मद साहब के बारे में बात करता है। ये लोग जातियों और धर्मों को लड़ाकर वोट की राजनीति करते हैं। जितनी निंदा की जाए कम है।

लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने भी एक समाज के खिलाफ नफरत फैलाने वाला बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि ‘टीका लगाकर घूमने वालों ने भारत को गुलाम बनाया। भारत जब गुलाम हुआ तो न कर्पूरी ठाकुर थे, न लालू प्रसाद थे, न राम मनोहर लोहिया थे। सिर पर टीका लगाकर घूमने वालों के कारण भारत गुलाम बना। हिंदू-मुसलमान में भारत को बांटने से काम नहीं चलेगा। हिंदू-मुसलमान में भारत को बांटने से काम नहीं चलेगा। बना लो मंदिर और तोड़ तो मस्जिद, इससे भारत नहीं चलेगा।’

हिंदू धर्म के प्रतीकों के खिलाफ लालू यादव के दो ‘जूनियर कमांडर’ बयान पर बयान दिए जा रहे हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो माइनॉरिटी वोट को कंसोलिडेट करने के लिए आरजेडी के दो नेता इस तरह का बयान दे रहे हैं। ताकि अगर 2024 में वोटों का ध्रवीकरण हो तो, इसका फायदा उन्हें मिले। चूंकि महागठबंधन दलों में मुस्लिम वोटों का बादशाह बनने की भी आपसी रेस चल रही है। इसमें जेडीयू से आगे आरजेडी दिखना चाह रही है। वहीं, दूसरी ओर आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव हर सप्ताह कहीं ना कहीं मंदिर में पूजा-अर्चना करते दिख जाते हैं। ताकि पॉलिटिकल बैलेंस बना रहे। मुंबई में सिद्धिविनायक की अराधना के बाद सोनपुर में हरिहरनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना किए। अब बाबा धाम की तैयारी है।

बिहार की मधेपुरा सीट से लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी के विधायक हैं चंद्रशेखर। उन्होंने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की है। महागठबंधन की पिछली सरकार में आपदा प्रबंधन मंत्री थे, इस बार शिक्षा मंत्री बने हैं। मूल रूप से मधेपुरा के भलेवा गांव के रहने वाले हैं और इनके पिताजी टीचर थे। चंद्रशेखर के बड़े भाई रामचंद्र यादव दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर थे, जो रिटायर होने के बाद कुछ दिन पहले बीजेपी में शामिल हो गए। वैसे, चंद्रशेखर ने अपनी राजनीति की शुरुआत पूर्व सांसद पप्पू यादव के समर्थन से की थी। जिनका नाम लेकर चंद्रशेखर ने राजनीति की शुरुआत की उन्हीं को 2020 हरा दिया। वैसे, औरंगाबाद के रामलखन सिंह यादव कॉलेज के प्रोफेसर भी हैं चंद्रशेखर, वहां वो जंतु विज्ञान के टीचर हैं।