नीतीश कुमार अब विपक्ष के INDIA से कुछ नयी चाह रखने लगे हैं! सीएम नीतीश कुमार का तीसरा दांव भी खाली गया। ये दावा हमारा नहीं बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुराने करीबी का है। दावा है कि नीतीश ने पटना की पहली बैठक में अपना पहला दांव खेला, लेकिन वो बाकी दलों को पसंद नहीं आया। दूसरा दांव बेंगलुरू की दूसरी बैठक में खेला गया, लेकिन वो भी बेकार चला गया। आखिर में मुंबई की तीसरी बैठक में नीतीश ने अपना ‘तीसरा’ चला, लेकिन वो न तो ‘इंडिया’ यानी I.N.D.I.A. को पसंद आया और न ही राहुल या सोनिया गांधी को। दावा तो यहां तक है कि नीतीश कुमार ने इन तीनों बैठकों में ‘कमाया’ कुछ नहीं, उल्टे ‘गंवाया’। जब सीएम नीतीश कुमार विपक्षी एकता की पहल करने दिल्ली पहुंचे तो उनके मन में एक उम्मीद थी कि वो पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक बड़ा मोर्चा खड़ा करने में कामयाब रहेंगे। उनके साथ सियासत के सबसे मंझे हुए खिलाड़ी लालू प्रसाद यादव भी थे। इसके बाद ममता बनर्जी में पटना में ही विपक्ष की एकजुट बैठक बुलाने का सुझाव दिया। नीतीश कुमार इस मामले में कामयाब भी रहे। नीतीश कुमार के करीबी के मुताहिक यही उनका पहला दांव था कि वो इस बैठक में गठबंधन के एक महत्वपूर्ण चेहरे के रूप में उभरें, सूत्रधार बनें। लेकिन पहली बैठक में इस मुद्दे पर कोई चर्चा ही नहीं हुई।
अब सवाल ये कि नीतीश कुमार का दूसरा क्या था? नीतीश के उसी करीबी के मुताबिक नीतीश ने बेंगलुरू में विपक्ष की दूसरी बैठक में अपना दूसरा प्रस्ताव दिया। ये प्रस्ताव गठबंधन के नाम से जुड़ा था। इस बैठक में नीतीश ने I.N.D.I.A. के नाम पर ऐतराज जताया। बदले में नीतीश ने एक दूसरा नाम भी पेश किया। लेकिन ये नाम भी सोनिया-राहुल या गठबंधन के किसी भी दल को पसंद नहीं आया।
पहली बैठक में जब नीतीश की असहमति के बावजूद I.N.D.I.A. नाम रख लिया गया। इसके बाद मुंबई में इसकी बैठक बुलाई गई। इस बैठक में सभी दलों के नेता मौजूद थे। लालू यादव खुद बेटे तेजस्वी यादव के साथ पहुंचे। इस बैठक में नीतीश के पास उनका ‘तीसरा’ दांव था। ये दांव नीतीश बिहार में चल चुके हैं और इसको लेकर वो फ्रंटफुट पर खेल भी रहे हैं। ये तीसरा दांव था जाति आधारित गणना का। नीतीश के पुराने करीबी का दावा है कि उन्होंने मुंबई की बैठक में ये प्रस्ताव रखा कि देश भर में जाति आधारित गणना को I.N.D.I.A. अपना मुख्य चुनावी एजेंडा बनाए। लेकिन नीतीश के करीबी का दावा है कि नीतीश का ये तीसरा दांव भी खाली गया।
अब आप सोच रहे होंगे कि सीएम नीतीश कुमार से जुड़ा ये दावा आखिर किसने किया। बता दें कि ममता बनर्जी में पटना में ही विपक्ष की एकजुट बैठक बुलाने का सुझाव दिया। नीतीश कुमार इस मामले में कामयाब भी रहे। नीतीश कुमार के करीबी के मुताहिक यही उनका पहला दांव था कि वो इस बैठक में गठबंधन के एक महत्वपूर्ण चेहरे के रूप में उभरें, सूत्रधार बनें। लेकिन पहली बैठक में इस मुद्दे पर कोई चर्चा ही नहीं हुई। तो हम आपको नाम भी बता देते हैं। ये दावा किसी और ने नहीं बल्कि जन सुराज यात्रा चला रहे प्रशांत किशोर उर्फ पीके ने किया है। पीके ने तो यहां तक दावा किया है कि ‘मैं आपको जो फैक्ट है वो बता रहा हूं कि तीनों बैठकों में नीतीश कुमार की जो अपेक्षा थी वो तो उन्हें मिल नहीं रहा था। आपके जदयू वाले नहीं बताएंगे, हम बताएंंगे। क्योंकि बैठक में और जो लोग थे वो सीधे तौर से हमसे जुड़े हुए लोग हैं।’ अब सवाल तो ये भी है कि प्रशांत किशोर का दावा कितना सही है। नीतीश बिहार में चल चुके हैं और इसको लेकर वो फ्रंटफुट पर खेल भी रहे हैं। ये तीसरा दांव था जाति आधारित गणना का। नीतीश के पुराने करीबी का दावा है कि उन्होंने मुंबई की बैठक में ये प्रस्ताव रखा कि देश भर में जाति आधारित गणना को I.N.D.I.A. अपना मुख्य चुनावी एजेंडा बनाए। लेकिन नीतीश के करीबी का दावा है कि नीतीश का ये तीसरा दांव भी खाली गया।क्या वो अटकलों को आधार बनाकर दावा कर रहे हैं या वाकई इंडिया गठबंधन से उन्हें सच में जानकारी मिल रही है? अगर सच में मिल रही है तो फिर ये बिहार के महागठबंधन के लिए बड़ी मुश्किल वाली बात है।