आज हम आपको बताएंगे कि आखिर LAC पर चीन को जवाब कैसे दिया गया है! चीन के साथ भारत का सीमा विवाद का मुद्दा लगातार चर्चा में बना हुआ है। विपक्ष की तरफ से खासकर कांग्रेस की तरफ से केंद्र सरकार लगातार निशाने पर हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी हाल ही में लद्दाख के दौरे पर गए थे। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है। बीजेपी नेता सुब्रह्मणयन स्वामी भी चीन की तरफ से भारत की जमीन को कब्जाए जाने की बात कह चुके हैं। वहीं, पीएम मोदी साफ कर चुके हैं कि चीन ने हमारी जमीन पर एक इंच भी कब्जा नहीं किया है। आखिर सही स्थिति क्या है? चीन ने क्या वास्तव में हमारी जमीन पर कब्जा किया या यह सिर्फ सरकार के विरोध के लिए किया जा रहा है। इस मुद्दे पर पीएम मोदी के खास माने जाने और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान स्थिति साफ की। चीन के भारत की जमीन पर कब्जे के आरोप पर जयशंकर ने कहा कि 1962 में ही यह जमीन गई थी। जयशंकर ने कहा कि जो भी जमीन गई वह 1962 में गई। साल 2020 मे लॉकडाउन था। जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ 1993 और 1996 के दो समझौते हैं। इस समझौते के तहत बॉर्डर के पास दोनों देश सैनिक नहीं ला सकते हैं। चीन ने इस समझौते का उल्लंघन किया। उसने सीमा की अग्रिम भाग में सैनिकों की तैनाती की। पीएम मोदी ने उस समय सोचा कि अगर हमें चीन से कोई खतरा है तो हमें अपने सैनिकों को तैनात करना चाहिए। भारत ने सैनिक से लेकर टैंक तक एयरलिफ्ट कर वहां पहुंचाया। जयशंकर ने कहा कि यूपीए के सरकार के समय बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान ही नहीं दिया गया। पिछले 10 में बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी काम हुआ है। उन्होंने कहा कि हमने हजारों की संख्या में वहां तैनाती की। यह मोदी सरकार के कारण ही हो रहा है।
पीएम मोदी ने यह कह चुके हैं कि चीन की तरफ से हमारी जमीन पर कोई कब्जा नहीं किया है। विदेश मंत्री ने चीन पर कब्जे की एक्चुअल पोजिशन के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हमारी फौज अपने-अपने बेस कैंप में रहती है। कैंप से निकलकर पैट्रोलिंग करती है। हम लाइन के दक्षिण में हैं। कैंप और लाइन के बीच दूरी काफी अधिक है। उनकी तरफ कई जगह में कम दूरी है। विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने पिछले 40 साल में इंफ्रास्ट्रकचर बना लिया था। अब क्या हुआ है कि 2020 के बाद अग्रिम मोर्चे पर तैनाती हो चुकी है। यहां पर अब बाहर जाकर अपनी पोस्ट बना ली है। तो अभी जो है पिछले 3 साल में बहुत सारी जगह थी जहां हम नजदीक आ चुके हैं। जयशंकर ने कहा कि गलवान में जो घटना हुई वो इसलिए हुई कि दोनों तरफ से सैनिक नजदीक आ चुके थे। अब दोनों देश चाहते हैं कि अपने पोस्ट में वापस चले जाएं।
जयशंकर ने कहा दोनों तरफ फॉरवर्ड डिप्लॉय है। फौज पूरी तरह से हथियार के साथ तैनात है। ऐसे में वहां पर दुर्घटना होने के चांस ज्यादा है। ऐसे में संभव है कि पहले जैसा फिर हो सकता है। विदेश मंत्री ने कहा कि अब जो बातचीत चल रही है कि इतना आप पीछे जाएं और हम इतना ही पीछे जाएंगे। विदेश मंत्री ने इस संबंध में उत्तराखंड के बाराहोटी का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उस समय बाराहोटी में चीन और भारत के सैनिक दोनों तरफ से आगे बढ़। उस समझौते में उस समय भारत की सरकार ने तय किया कि हम थोड़ा पीछे हटेंगे। इसके बाद 1986 में अरुणाचल प्रदेश में एक जगह से खबर आई कि चाइनीज घुस गए हैं। वहां पर 9 साल बाद समझौता हुआ। इसके बाद कुछ हम पीछे हटे और कुछ वो पीछे हटे।
विदेश मंत्री ने कहा कि सीमा पर विवाद तो है। उन्होंने कहा कि ये मेरे लिए चिंता का विषय है। जब समझौते हो चुके हैं कि ये हो सकता है कि ये मेरा जमीन है, वो कह रहे हैं कि मेरा जमीन है। इस बार सबसे अधिक मुख्य मुद्दा यह है कि हमारा समझौता है। समझौते के तहत किसी भी जगह पर एरिया में बड़ी संख्या में फौज नहीं लाना चाहिए था। जब उन्होंने इसका उल्लंघन किया तो साफ है कि उनके मन में दबाव डालने का है। चीन हम पर दबाव डालना चाहता है। उन्होंने कहा कि अगर दुनिया में एक देश हेड टू हेड मुकाबला कर रहा है वो भारत है। उन्होंने कहा कि कोविड के समय में फौज को एकत्रित करके भेजना चुनौती थी। उस समय में ट्रूप्स की मूवमेंट बड़ी संख्या में हुई।
पीएम मोदी के चीनी प्रधानमंत्री मंत्री को झूला झूलाने के सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा कि कूटनीति में हर देश चाहता है कि उनके रिश्ते बेहतर हों। कई बार ऐसा होता कि आपको जमीनी स्तर पर भी तैयारी करनी होती है। उन्होंने कहा कि तब और अब में फर्क है कि 2014 के बाद बॉर्डर इंफ्रास्ट्रकचर में क्या प्रगति हुई। रोड, टनल और ब्रिज बनने का काम दो गुना या तीन गुना बढ़ा है। उन्होंने कहा कि पहले हमारे वहां पहुंचने का लॉजिस्टिक नहीं था। जयशंकर ने कहा कि अब जब हम वहां फौज को तैनात कर चुके हैं तो ये प्रशंसा की बात होनी चाहिए। ये मुकाबला अभी जारी है। उन्होंने सवाल उठाया कि अभी जो लोग डरने की बात कह रहे हैं इससे सेना का मनोबल बढ़ेगा? जयशंकर ने कहा कि कारगिल के समय भी लोग सभी मतभेद भुलाकर साथ दिया था। अरुणाचल में मॉडल विलेज का जिक्र हुआ था। यह वहीं जगह थी जहां 1959 में चीन ने कब्जा किया था।