विपक्ष वर्तमान में बीएसपी से दूरी बनाए हुए हैं! भारतीय जनता पार्टी के सांसद रमेश बिधूड़ी ने फिजूल मक्खी हुसकाने का काम किया है। उनकी बदजुबानी ने एक झटके में सियासी समीकरण बदल दिए हैं। इसने बैठे-बैठाए एक ऐसे बड़े दल को विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की ओर धकेल दिया है जो अब तक पूरी पिक्चर में ‘न्यूट्रल’ बना हुआ था। बहुजन समाज पार्टी ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। वह I.N.D.I.A और NDA दोनों में से किसी भी बड़े ब्लॉक का हिस्सा नहीं है। हालांकि, दानिश अली के खिलाफ बिधूड़ी के अपशब्द बीएसपी को विपक्षी गठबंधन से जुड़ने के लिए बढ़ावा देंगे। इसकी बानगी शुक्रवार से ही दिखने लगी। सहानुभूति का मरहम लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल उनके घर पर मिलने के लिए पहुंच गए। चुनावी माहौल में यह बीजेपी के खेमे के लिए कतई अच्छी खबर नहीं है। खासतौर से तब जब बीजेपी के सहयोगी घट रहे हैं। बीते दिनों ही दक्षिण में उसके अहम सहयोगी दल अन्नाद्रमुख ने अपने रास्ते अलग कर लेने का ऐलान किया। बिधूड़ी के बयान का कोई एक्सक्यूज ही नहीं है। यही कारण है कि बीजेपी ने भी खेद प्रकट करने में देर नहीं लगाई। ऐक्शन लेते हुए उसने अपने नेता को कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिया। NDA बनाम I.N.D.I.A की लड़ाई में बीएसपी चुप्पी मारकर बैठी हुई थी। उसने अब तक दोनों से दूरी बनाकर रखी थी। लेकिन, बीजेपी के चश्मे से देखें तो दानिश अली के खिलाफ बिधूड़ी के बयान ने एक झटके में सब गड़बड़ कर दी है। बिधूड़ी के बयान से बीएससी की ‘न्यूट्रलिटी’ पर निश्चित तौर पर असर पड़ेगा। ऐसा बेवजह हुआ है। दानिश अली के खिलाफ बिधूड़ी ने जिन आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया, उनकी न तो जरूरत थी न वे संसदीय मर्यादा के अनुरूप थे। हर लिहाज से तटस्थ दुश्मन से बेहतर होता है। लेकिन, बिधूड़ी के बयान ने एक तटस्थ दल को और I.N.D.I.A ब्लॉक की तरफ धकेलने का काम कर दिया है।
विपक्षी दल I.N.D.I.A गठबंधन को बड़ा और व्यापक बनाने की पुरजोर कोशिश में जुटे हुए हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने उन्हें मौका दे दिया है। वे एक ताकतवर और बड़े दल को खुलकर अपने खेमे से जुड़ने के लिए कंविंस कर सकते हैं। दानिश पर जुबानी हमले के बाद राहुल गांधी का उनके घर पर मिलने पहुंच जाना इसी साफ बानगी देता है। यह निश्चित तौर पर I.N.D.I.A गठबंधन को मौका देगा कि वह बीएसी को भी अपने साथ जुड़ने के लिए मना ले।
लोकसभा चुनाव से पहले अगर बीएसपी भी I.N.D.I.A गठबंधन में शामिल होती है तो विपक्ष की ताकत बढ़ेगी। दूसरी तरफ बीजेपी की मुश्किलें बढ़ेंगी। यूपी में बसपा एक बड़ी ताकत रही है। उसके पास अपना मजबूत वोट बैंक रहा है। बीते कुछ समय में बसपा बेशक कमजोर होती गई है, लेकिन यह वोट बैंक पूरी तरह खिसका नहीं है। I.N.D.I.A गठबंधन ने सीटों के बंटवारे में चतुराई दिखाई तो यह वोट बैंक विपक्षी ब्लॉक में पड़ेगा।
दूसरी तरफ बीजेपी की एक और मुश्किल है। उसके सहयोगी दल उससे बिदक रहे हैं। इसका सबसे ताजा उदाहरण अन्नाद्रमुक है। बता दें कि बीजेपी के चश्मे से देखें तो दानिश अली के खिलाफ बिधूड़ी के बयान ने एक झटके में सब गड़बड़ कर दी है। बिधूड़ी के बयान से बीएससी की ‘न्यूट्रलिटी’ पर निश्चित तौर पर असर पड़ेगा। ऐसा बेवजह हुआ है। दानिश अली के खिलाफ बिधूड़ी ने जिन आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया, उनकी न तो जरूरत थी न वे संसदीय मर्यादा के अनुरूप थे। हर लिहाज से तटस्थ दुश्मन से बेहतर होता है। लेकिन, बिधूड़ी के बयान ने एक तटस्थ दल को और I.N.D.I.A ब्लॉक की तरफ धकेलने का काम कर दिया है। हाल में उसने बीजेपी के साथ अपने गठबंधन को तोड़ने का ऐलान किया।उसके पास अपना मजबूत वोट बैंक रहा है। बीते कुछ समय में बसपा बेशक कमजोर होती गई है, लेकिन यह वोट बैंक पूरी तरह खिसका नहीं है। I.N.D.I.A गठबंधन ने सीटों के बंटवारे में चतुराई दिखाई तो यह वोट बैंक विपक्षी ब्लॉक में पड़ेगा। अन्नाद्रमुक दक्षिण भारत में बीजेपी के अहम सहयोगी दलों में था। बीजेपी ने अपने सांसद की गलती को तुरंत भी भांप लिया था। यही कारण है कि बिधूड़ी ने गुरुवार को लोकसभा में जैसे ही दानिश अली के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया, सदन के उपनेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खेद जताया। बिधूड़ी ने भारत के चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ की सफलता और अंतरिक्ष क्षेत्र में देश की उपलब्धियों के विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए दानिश अली के खिलाफ टिप्पणी की थी।