Sunday, December 22, 2024
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क्या जेडीएस आ चुकी है एनडीए के पास?

वर्तमान में जेडीएस एनडीए के पास आ चुकी है! संसद से महिला आरक्षण बिल पास होते ही पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा की पार्टी जेडीएस ने एनडीए से हाथ मिला लिया है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान ही इसकी पटकथा लिखी गई थी। उस वक्त पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर महिला आरक्षण बिल पर फिर से विचार करने का आग्रह किया था। हालांकि देवेगौड़ा ने इस मुद्दे को तब इसलिए उछाला था क्योंकि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में महिलाओं के वोटों को जेडीएस के पाले में लाया जा सके, लेकिन कांग्रेस बाजी मार ले गई थी। जेडीएस की हार के बाद से ही एनडीए से उसकी नजदीकियां बढ़ने लगीं। देवेगौड़ा ने कहा भी कि अगला लोकसभा चुनाव हम बीजेपी के साथ मिल कर लड़ेंगे। देवेगौड़ा बीजेपी के प्रति अचानक इतने आग्रही नहीं हो गए, बल्कि इसके लिए उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से काम किया। एचडी देवेगौड़ा जब यूनाइटेड जनतांत्रिक मोर्चा यूडीएफ के नेता के रूप में प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने सबसे पहले 1996 में महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश किया, लेकिन समाजवादी नेताओं के विरोध के कारण बिल पास नहीं हो सका। मुलायम सिंह यादव, शरद यादव और लालू प्रसाद यादव जैसे नेताओं ने बिल का प्रबल विरोध किया था। इसी क्रम में लालू ने कहा भी था कि बिल उनकी लाश पर ही पास होगा। ठीक यही अंदाज लालू का तब भी था, जब बिहार से अलग झारखंड की बात अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में हुई। तब भी लालू ने यही डायलॉग दोहराया। हालांकि इसके बावजूद अब से तकरीबन 23 साल पहले साल 2000 में झारखंड बन गया था। खैर, अब चूंकि देवेगौड़ा ने ही पहली बार महिला आरक्षण बिल पेश किया था, तो इसे उनका ही सपना मानना चाहिए।

महिला आरक्षण बिल जैसे ही संसद के दोनों सदनों से पास हुआ, देवेगौड़ा ने एनडीए में शामिल होने की हरी झंडी दिखा दी। पार्टी के नेता कुमार स्वामी दिल्ली आए। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनकी मुलाकात और बात हुई। कुछ ही देर बाद जेपी नड्डा ने जेडीएम के एनडीए में शामिल होने की घोषणा कर दी। कर्नाटक में बीजेपी सरकार चला चुकी है। विपक्षी दलों के एक होने यानी ‘इंडिया’ अलायंस बनने पर जेडीएस को किसी ने पत्ता नहीं दिया। ऐसी स्थिति में उसे एक मजबूत साथी की तलाश थी। अनुकूल अवसर देख कर जेडीएस ने एनडीए में शामिल होने की सहमति दे दी।

देवेगौड़ा ने पीएम को लिखे पत्र में कहा था कि ‘हम जल्दी ही नए संसद भवन में प्रवेश करने वाले हैं। अगर इस मौके पर महिला आरक्षण बिल को फिर से संसद में पेश कर पास कराने की कोशिश हो तो बेहतर होगा।’ 10 अप्रैल 2023 को देवेगौड़ा ने पीएम को पत्र लिखा था। पत्र में देवेगौड़ा ने लिखा- ‘जब चुनाव आयोग ने हाल ही में कर्नाटक में चुनावों की घोषणा की और राज्य में पात्र महिला मतदाताओं की संख्या जारी की तो मालूम हुआ कि वे कुल मतदाताओं का लगभग 50 प्रतिशत थीं। भारत के अन्य राज्यों के आंकड़े भी इसी तरह के हैं। इसने मुझे विधानसभाओं और संसद में महिलाओं के लिए आरक्षण पर फिर से विचार करने के लिए प्रेरित किया।’

देवेगौड़ा ने आगे लिखा- ‘आपको याद होगा, मैं ही पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री रहते हुए महिला आरक्षण बिल संसद में लाया था, लेकिन इसे पारित होता देखने में असफल रहा। फिर 2008 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने भी इसके लिए प्रयास किए, पर वे भी तार्किक निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे। दोनों बार जब बिल पारित करने का प्रयास किया गया, तब सरकार के पास स्पष्ट बहुमत नहीं था। गठबंधन के कुछ सहयोगी दल बिल के खिलाफ थे। सरकार अपने गठबंधन के सहयोगी दलों पर निर्भर थीं।’ जेपी नड्डा ने जेडीएम के एनडीए में शामिल होने की घोषणा कर दी। कर्नाटक में बीजेपी सरकार चला चुकी है। विपक्षी दलों के एक होने यानी ‘इंडिया’ अलायंस बनने पर जेडीएस को किसी ने पत्ता नहीं दिया। ऐसी स्थिति में उसे एक मजबूत साथी की तलाश थी। अनुकूल अवसर देख कर जेडीएस ने एनडीए में शामिल होने की सहमति दे दी।मोदी को उन्होंने कहा- ‘आप भाग्यशाली हैं कि आपके पास संसद में बहुमत है और शायद आप इसे पारित करने में सफल भी हों जाएंगे।’ इसे देवेगौड़ा का आग्रह मानें या एनडीए सरकार की इच्छा, आखिरकार पीएम मोदी ने पहल की और महिला आरक्षण बिल संसद के दोनों सदनों से पास हो गया। अपनी इच्छा पूर्ण होते ही देवेगौड़ा का प्रेम मोदी के प्रति बढ़ गया और उनकी पार्टी ने एनडीए के साथ आने का फैसला किया।

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