क्या भारत और कनाडा के बीच बढ़ चुका है विवाद?

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वर्तमान में भारत और कनाडा के बीच विवाद बढ़ता ही जा रहा है! करीब 7 साल पहले, 2016 में भारत ने कनाडा को हरदीप सिंह निज्जर की ‘ब्रिटिश कोलंबिया के मिलिगन हिल्स में खालिस्तान आंदोलन से जुड़े सिख चरमपंथी समूहों के लिए गुप्त प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने’ में शामिल होने के बारे में सतर्क किया था। भारतीय अधिकारियों ने अपने कनाडाई समकक्षों को आतंकी ट्रेनिंग के वीडियो भी दिए थे, लेकिन कनाडा ने कोई कार्रवाई नहीं की। आतंकी निज्जर की इस साल जून में कनाडाई धरती पर हत्या कर दी गई थी, जिससे भारत और कनाडा के बीच विवाद बढ़ गया है। वह खालिस्तान टाइगर फोर्स केटीएफ नाम के अलगाववादी समूह से जुड़ा हुआ था। 1990 के दशक में पंजाब में उग्रवाद में निज्जर सक्रिय रूप से शामिल था। खालिस्तान अलगाववादी आंदोलन में उसकी बड़ी भूमिका था। कनाडा से एक आपराधिक गिरोह चलाने और एक गुरुद्वारे की अध्यक्षता करने तक निज्जर के सफर पर आइए एक नजर डालते हैं।

कनाडा में इमिग्रेशन अधिकारियों के सामने दाखिल अपने हलफनामे में निज्जर ने दावा किया कि उसे पंजाब पुलिस ने उसे टॉर्चर किया था। उसने आगे दावा किया कि उसने पुलिस को 50,000 रुपये की रिश्वत दी और अपनी पहचान छिपाने के लिए अपने बाल कटवाए। वह पंजाब से भाग गया और उत्तर प्रदेश में अपने एक रिश्तेदार के घर छिप गया। फरवरी 1997 में, वह रवि शर्मा के नाम पर जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके कनाडा भाग गया।

नवंबर 1998 में, कनाडाई शरणार्थी पैनल ने शुरू में निज्जर की शरण याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पुलिस द्वारा “यातना” का आरोप लगाते हुए उसने जो दस्तावेज सौंपे थे, वे फर्जी और गढ़े हुए लग रहे हैं। इसके बाद एक पखवाड़े से भी कम समय में, निज्जर ने ब्रिटिश कोलंबिया की एक महिला से शादी करने के बाद कनाडाई नागरिकता प्राप्त करने का पैंतरा चला।

हालांकि, इमिग्रेशन अधिकारियों ने उसके आवेदन को खारिज कर दिया क्योंकि उन्हें शक था कि ये असली शादी नहीं, बल्कि इमिग्रेशन को सुविधाजनक बनाने के लिए शादी का नाटक किया गया है। निज्जर ने तब अदालत का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने भी 2001 में उसके आवेदन को खारिज कर दिया। हालांकि, सिख प्रवासी समाज की मदद से, निज्जर आखिरकार 2007 में कनाडाई नागरिकता और पासपोर्ट हासिल करने में कामयाब हो गया। सरे में वह प्लंबर के रूप में काम कर रहा था।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA के अनुसार, निज्जर को गुरनेक सिंह नेका ने गैंगस्टर जीवन में प्रवेश दिलाई। उसने उसे अपराध की दुनिया में स्थापित होने में मदद की। बाद में निज्जर गुरदीप सिंह उर्फ दीपा हेरणवाला से जुड़ गया था, जो खालिस्तान कमांडो फोर्स (KCF) का आतंकवादी था। हेरणवाला पर कथित रूप से 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत में पंजाब में 200 से अधिक हत्याएं करने का आरोप था।

कनाडा भागने के बाद निज्जर पाकिस्तान स्थित KTF सरगना जगदीप सिंह तारा के संपर्क में आया। NIA के अनुसार, वह अप्रैल 2012 में पाकिस्तान गया और पाकिस्तान में एक पखवाड़े के लिए हथियारों और विस्फोटकों का प्रशिक्षण लिया। कनाडा लौटने के बाद उसने कनाडा में ड्रग्स और हथियारों की तस्करी में लगे अपने सहयोगियों के माध्यम से आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन की व्यवस्था करनी शुरू कर दी।

निज्जर ने तारा के साथ पंजाब में एक आतंकवादी हमला करने की योजना बनाई और कनाडा में एक गैंग खड़ा किया। गैंग में मंदीप सिंह धालीवाल, सरबजीत सिंह, अनुपवीर सिंह और दर्शन सिंह शामिल थे। उन्हें दिसंबर 2015 में ब्रिटिश कोलंबिया के मिलिगन हिल्स में हथियारों की ट्रेनिंग दी गई। 2014 में, निज्जर ने हरियाणा के सिरसा में डेरा सच्चा सौदा मुख्यालय पर आतंकवादी हमला करने की योजना बनाई थी। लेकिन भारत ने उसे वीजा देने से इनकार कर दिया। बाद में उसने पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पंजाब स्थित गैंगस्टर अर्शदीप सिंह गिल की अध्यक्षता में एक आपराधिक गिरोह खड़ा किया।

उसने गिल को पिता-पुत्र की जोड़ी मनोहर लाल अरोड़ा और जतिंदरबीर सिंह अरोड़ा की हत्या करने का काम सौंपा। मनोहर लाल की 2020 में बठिंडा में उनके घर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई लेकिन उनके बेटे बच निकले थे। NIA के अनुसार, निज्जर ने उनकी हत्या के लिए कनाडा से पैसे भेजे थे।

2021 में, निज्जर ने गिल को भरत सिंह पुरा गांव के पुजारी की हत्या करने का काम सौंपा। हालांकि, पुजारी बच गया। निज्जर का संबंध प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस से भी था, जो इसके कनाडा चैप्टर का प्रमुख था। उसने कनाडा में हिंसक भारत विरोधी प्रदर्शन भी आयोजित किए थे और भारतीय राजनयिकों को धमकाया था। उसने कनाडा में स्थानीय गुरुद्वारों की तरफ से आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेने से भारतीय दूतावास के अधिकारियों को प्रतिबंधित करने का आह्वान किया था।

कनाडा के ओन्टारियो और ब्रिटिश कोलंबिया प्रांतों में सिख प्रवासी समुदाय में पंजाब से ताल्लुक रखने वाले आपराधिक गिरोहों की लगातार वृद्धि देखी जा रही है। अब वे बड़े पैमाने पर टोरंटो और वैंकूवर से काम करते हैं। एक अधिकारी ने कहा, ‘हत्या, हत्या के प्रयास और UAPA मामलों के आरोपों का सामना करते हुए पंजाब से कनाडा आने वाले गैंगस्टरों की संख्या बढ़ रही है, जिनमें लखबीर सिंह लांडा, गोल्डी बराड़ और अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श डल्ला शामिल हैं।’

अधिकारी ने कहा, ‘खालिस्तान मुद्दा गुरुद्वारों में एक विभाजनकारी मुद्दा रहा है। खालिस्तानी नेतृत्व वाले गुरुद्वारे इस आंदोलन को समर्थन देने वाली गतिविधियों में धन की व्यवस्था करते हैं। भारत के भीतर ऐसे समूहों को बढ़ावा देने और समर्थन देने के लिए सिविल सोसाइट ग्रुप के जरिए डोनेशन दिया जा रहा है।’

इस बीच, निज्जर मामले के संभावित नुकसान और भारत की कथित संलिप्तता के आरोपों की गूंज अमेरिका में भी बढ़ती दिख रही है। इंटरसेप्ट की रिपोर्ट है कि एफबीआई एजेंटों ने अमेरिका में सिख कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर उन्हें चेतावनी दी है कि उनकी जान को खतरा हो सकता है।