क्या इजराइल का समर्थन पीएम मोदी को नुकसान देगा?

0
98

यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या इजराइल का समर्थन पीएम मोदी को नुकसान देगा या फायदा! रूस-यूक्रेन युद्ध के उलट भारत ने इजरायल पर हमास के हमले में तुरंत प्रतिक्रिया दी। न सिर्फ प्रतिक्रिया दी, बल्कि अपना रुख भी साफ रखा। उसने इजरायल पर हुए हमले की आलोचना की। इसे आतंकी हमला करार दिया। भारत के अंदर ही कुछ जानकारों ने इस पर ऐतराज जताया। उन्‍होंने कहा कि ऐसा करना अरब देशों को नाराज कर सकता है। उनके साथ हमारे संबंध खराब हो सकते हैं। अगर इस तर्क को मानें तो क्‍या भारत ने इस मामले में प्रतिक्रिया देने में जल्‍दबाजी कर दी है? सच तो यह है कि इस पूरे मामले में भारत का रुख बहुत सधा हुआ है। उसने बहुत सोच-विचारकर इजरायल को बिना शर्त समर्थन दिया है। भारत ने इसके जरिये दिखा दिया है कि वह किसी भी रूप में आतंकी हमलों की निंदा करता है। आज अगर वह चुप्‍पी मारकर बैठ जाता तो आतंक के खिलाफ अपने पक्ष में उसे दुनिया के दूसरे देशों को साथ में लाना मुश्किल हो जाता। भारत से ज्‍यादा भला कौन आतंकवाद से पीड़‍ित रहा है। यहां तक भारत में कई मुस्लिम संगठनों ने भी इजरायल में निर्देषों को निशाना बनाए जाने को लेकर हमास की निंदा की है। लिहाजा, पीएम के बयान को भी मुस्लिम विरोधी के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। इजरायल पर हमास के हमले के मामले में भारत ने अपना रुख बड़ा साफ तरीके से रखा है। किसी को भी पीएम मोदी के बयान को मुस्लिम विरोधी के रूप में नहीं देखना चाहिए। पीएम के बयान को भी मुस्लिम विरोधी के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। इजरायल पर हमास के हमले के मामले में भारत ने अपना रुख बड़ा साफ तरीके से रखा है। उसने हमास या फिलिस्‍तीन का नाम लिए बगैर आतंकी हमलों की आलोचना की है। शन‍िवार यानी 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास ने हमला किया था। तमाम वर्ल्‍ड लीडर्स के साथ उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी प्रतिक्रिया आई थी।उसने हमास या फिलिस्‍तीन का नाम लिए बगैर आतंकी हमलों की आलोचना की है। शन‍िवार यानी 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास ने हमला किया था। तमाम वर्ल्‍ड लीडर्स के साथ उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी प्रतिक्रिया आई थी। उन्‍होंने ट्वीट करते हुए लिखा था कि भारत इजरायल में आतंकी हमलों की खबर से गहरे सदमे में है। हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं। हम इस कठिन समय में इजरायल के साथ एकजुटता से खड़े हैं।

10 अक्टूबर को इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के साथ टेलीफोन पर बातचीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी का एक और बयान आया। इसमें यह बात जोड़ी गई कि भारतपीएम के बयान को भी मुस्लिम विरोधी के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। इजरायल पर हमास के हमले के मामले में भारत ने अपना रुख बड़ा साफ तरीके से रखा है। उसने हमास या फिलिस्‍तीन का नाम लिए बगैर आतंकी हमलों की आलोचना की है। शन‍िवार यानी 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास ने हमला किया था। तमाम वर्ल्‍ड लीडर्स के साथ उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी प्रतिक्रिया आई थी। 7 अक्टूबर के हमले के लिए कोई औचित्य स्वीकार नहीं करता। वह ‘सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में’ आतंकवाद की निंदा करता है।’

इस तरह की खबरें हैं कि शीर्ष स्‍तर पर इसे लेकर किसी भी तरह की कन्‍फ्यूजन नहीं है। भारत अभी किसी द्विपक्षीय मुद्दे पर बात नहीं कर रहा है। भारत का रुख बिल्कुल स्पष्ट है कि वह किसी भी रूप में आतंकी हमलों की निंदा करता है। मामला कुछ भी हो। ऐसी स्थिति में किसी को भी पीएम मोदी के बयान को मुस्लिम विरोधी के रूप में नहीं देखना चाहिए। पीएम के बयान को भी मुस्लिम विरोधी के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। इजरायल पर हमास के हमले के मामले में भारत ने अपना रुख बड़ा साफ तरीके से रखा है। उसने हमास या फिलिस्‍तीन का नाम लिए बगैर आतंकी हमलों की आलोचना की है। शन‍िवार यानी 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास ने हमला किया था। तमाम वर्ल्‍ड लीडर्स के साथ उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी प्रतिक्रिया आई थी।कारण है कि कई भारतीय मुस्लिम संगठनों ने भी इजरायल में निर्दोष लोगों पर हमास के आतंकी हमले की निंदा की है।

खबरों के अनुसार, यहां तक कि मुस्लिम समुदाय के वरिष्ठ लोगों ने भी सरकार से संपर्क करके समर्थन दिया है। उन्‍होंने कहा है कि वे भारतीय मुसलमानों को शिक्षित करने और उन्हें इजरायल-फिलिस्तीन विवाद और इस आतंकवादी हमले के बीच अंतर बताने के लिए तैयार हैं।