ये सवाल उठना लाजमी है कि इस खतरनाक हमले के बाद इजरायल क्या करेगा! हमास की ओर से ये हमला इस तनाव के मद्देनजर 50 सालों में सबसे बड़ी घटना है। हाल ही में ‘अरब अपराइजिंग’ का मुद्दा पीछे चला गया था और ग्लोबल पॉलिटिक्स की सारी प्राथमिकताएं बदल गई थी। हालांकि अब ऐसा लगता है कि अरब अपराइजिंग का मुद्दा एक बार फिर सतह पर आएगा। ये देखना दिलचस्प होगा कि हाल ही में होने वाली संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की बैठक में चीन और रूस का कैसा रुख रहेगा। क्योंकि ऐसा लगता नहीं कि रूस और चीन किसी भी इजरायल समर्थक प्रस्ताव को पास होने देंगे। ये जाहिर है कि वो चाहेंगे कि इजरायल की आलोचना करने वाला एक प्रस्ताव लाया जाए। इस मसले के बाद अब्राहम एकॉर्ड के टिकाऊ होने पर भी सवाल उठ रहे हैं। फिलिस्तीनी राष्ट्रपति अब्बास की प्रतिक्रिया देखें तो उन्होंने हमास को पूरी तरह से सपोर्ट कर दिया है। यानी फिलिस्तीनी लीडरशिप एकजुट हो गई है। इस मामले में देशों की प्रतिक्रियाएं बहुत कुछ कह रही है। सऊदी अरब, कतर, यूएई की छवि ऐसे देशों के तौर पर रही है जो कि गल्फ देशों में हैं जो तुलनात्मक रूप से प्रो इजरायल माने जाते रहे हैं। लेकिन हालिया घटना के बाद उनकी प्रतिक्रिया देखकर लगता है कि उन्होंने इजरायल की आलोचना करने या फिर उसे जिम्मेदार ठहराने में जरा भी वक्त नहीं लगाया। एक तरह से ये उनकी बोली में एक बदलाव है। वहीं तुर्की ने इजरायल के प्रति खासी नरम प्रतिक्रिया दिखाई है, यहां तक कि उसने दोनों के बीच बातचीत कराने की भी पेशकश की है। ऐसे में लगता है कि इजरायल-गल्फ का नॉर्मलाइजेशन का प्रोसेस अब पीछे चला गया है।
घटना के बाद इजरायल की अभेद्य सुरक्षा पर सवाल उठे हैं। लेकिन अभी गुरिल्ला वॉर की जो रणनीति हमास ने इस्तेमाल की है, वो कोई बड़ी रणनीति नहीं, बल्कि छोटी मोटी कमजोरियों का ही फायदा उठाकर इस हमले को अंजाम दिया गया है। ऐसा लगता है कि हमास को बड़े इंटरनैशनल प्लेयर्स का साथ मिल गया है। बता दें कि फिलिस्तीनी राष्ट्रपति अब्बास की प्रतिक्रिया देखें तो उन्होंने हमास को पूरी तरह से सपोर्ट कर दिया है। यानी फिलिस्तीनी लीडरशिप एकजुट हो गई है। इस मामले में देशों की प्रतिक्रियाएं बहुत कुछ कह रही है। सऊदी अरब, कतर, यूएई की छवि ऐसे देशों के तौर पर रही है जो कि गल्फ देशों में हैं जो तुलनात्मक रूप से प्रो इजरायल माने जाते रहे हैं। लेकिन हालिया घटना के बाद उनकी प्रतिक्रिया देखकर लगता है कि उन्होंने इजरायल की आलोचना करने या फिर उसे जिम्मेदार ठहराने में जरा भी वक्त नहीं लगाया। एक तरह से ये उनकी बोली में एक बदलाव है।
वहीं तुर्की ने इजरायल के प्रति खासी नरम प्रतिक्रिया दिखाई है, यहां तक कि उसने दोनों के बीच बातचीत कराने की भी पेशकश की है। कहा जा रहा है कि इसमें रूस की ओर से मदद मिली है। इसके अलावा उनके नए मिसाइल लॉन्चर के स्त्रोत के बारे में भी सवाल उठ रहे हैं। इसे मुहैया कराने वालों में ईरान, रूस और चीन में से कोई भी देश हो सकता है। हमास को इस तरह का समर्थन चिंता का विषय है और ये एक नया पैटर्न है। इस घटना के बाद हमास के साथी हिजबुल्लाह अब एक्टिव मोड में है।
यूक्रेन यूद्ध अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। यूक्रेन के बहाने रूस और चीन ने अपनी पश्चिम विरोधी रणनीति को बहुत धार दी थी। लेकिन अब यूक्रेन संघर्ष में रूस के लहजे से लगता है कि ये अब समाधान की ओर जा रहा है, क्योंकि रूस मान रहा है कि उससे वहां गलती हुई और अब पीछे हटना पड़ेगा।इसमें रूस की ओर से मदद मिली है। इसके अलावा उनके नए मिसाइल लॉन्चर के स्त्रोत के बारे में भी सवाल उठ रहे हैं। इसे मुहैया कराने वालों में ईरान, रूस और चीन में से कोई भी देश हो सकता है। हमास को इस तरह का समर्थन चिंता का विषय है और ये एक नया पैटर्न है। इस घटना के बाद हमास के साथी हिजबुल्लाह अब एक्टिव मोड में है। ऐसा लगता है कि अब हालिया तनाव पश्चिम विरोध की तरफ होगा, ऐसा ही कुछ अमेरिकी गुट भी करते दिखेगा। नए हालातों में रूस और चीन हमास को सपोर्ट करते दिखें तो हैरानी नहीं होनी चाहिए। ये दोनों देश अब बेहद अरब समर्थक और फलस्तीन समर्थक अप्रोच दिखा सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इसी तरह के कूटनीतिक तेवर अख्तियार किए जा सकते हैं।