क्या भारतीय खुफिया एजेंसियों को इजरायल से सबक लेना चाहिए?

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भारतीय खुफिया एजेंसियों को इजरायल से जरूर सबक लेना चाहिए! इजरायल पर हुए हमास के हमले को लेकर दुनियाभर में चर्चा के साथ ही कई सवाल खड़े हो रहे हैं। इस मुद्दे पर राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के महानिदेशक एमए गणपति ने कहा कि आतंकवाद विरोधी पेशेवरों को इजरायल में हुए अभूतपूर्व हमलों की जांच करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसकी कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि आतंकवादी बेहद हाईटेक टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर के रडार में आ सकते हैं। साथ ही इतने बड़े पैमाने पर भयानक कृत्य को अंजाम दे सकते हैं। एनएसजी चीफ दिल्ली में गुरुवार को डीआरडीओ भवन में आयोजित राज्य विशेष बलों के साथ एनएसजी स्थापना दिवस सेमिनार में बोल रहे थे। एनएसजी डीजी ने कहा कि खुफिया एजेंसियों के सामने आतंकी समूहों के इरादों और गतिविधियों से एक कदम आगे रहने की चुनौती हमेशा मौजूद रहती है। उन्होंने कहा कि आतंकी संगठन अपने नेटवर्क, टेक्नोलॉजी एक्पलोटेशन और बाहरी या आंतरिक रूप से फंडिंग के परिणामस्वरूप बढ़ते रहते हैं। गणपति ने आतंकवाद विरोधी पेशेवरों के लिए दो प्रमुख सबक बताए। डीजी गणपति ने कहा कि ये आखिरकार मानव और हथियार का संयोजन है जो आतंकवाद विरोधी प्रयासों में निर्णायक अंतर लाता है। उन्होंने कहा कि हमें आतंकवादी परिदृश्यों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर संकट प्रबंधन प्रतिक्रिया की एक रूपरेखा बनाने की आवश्यकता है। दूसरा, टेक्नोलॉजी पर निर्भरता बहुत जरूरी होने के बावजूद हाई स्किल लोग होने जरूरी हैं।

उन्होंने कहा कि हमें अपने कर्मियों के स्किल को अपग्रेड करने में लगातार निवेश करने की आवश्यकता है। ये लोग ही हमें आतंकी खतरों से निपटने में मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें यह सबक हमेशा याद रखना चाहिए कि आखिरकार आदमी और हथियार ही हैं, जो अंतिम अंतर पैदा करते हैं। एनएसजी चीफ ने कहा कि हमें हर समय इस तरह के हमलों से निपटने की तैयारी बनाए रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम हमास जैसे हमले के परिदृश्यों पर भी चर्चा करेंगे।

एनएसजी डीजी ने कहा कि आतंकी नेटवर्क के पूरे स्पेक्ट्रम को व्यापक रूप से समझना और उनके भविष्य में ऑपरेटिंग और ट्रेनिंग की रणनीतियों को रोकना जरूरी है। इसके लिए सभी हितधारकों को एक साथ आना होगा। साथ ही समन्वित और सहक्रियात्मक तरीके से सामूहिक रूप से जबाव देना होगा। उन्होंने आगे कहा कि एनएसजी के साथ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विशेष बलों के प्रमुखों के बीच बातचीत हमारी परिचालन प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाने और बेहतर करने, तालमेल बनाने और एकीकृत आतंकवाद विरोधी ग्रिड में गैप को भरने में काफी मदद करेगी। बता दें कि शिन बेट, इजरायली घरेलू खुफिया सर्विस, मोसाद और इजरायली सेना के रहते यह आश्चर्यजनक है कि किसी ने भी ऐसा होते हुए नहीं देखा। या अगर उन्होंने इसे देखा भी तो वे कार्रवाई करने में विफल रहे। इजरायल के पास यकीनन मध्य पूर्व में सबसे व्यापक और ताकतवर इंटेलिजेंस एजेंसियां हैं। इन एजेंसियों के फिलिस्तीनी आतंकवादी समूहों के साथ-साथ लेबनान, सीरिया और अन्य जगहों पर भी मुखबिर और एजेंट हैं। इजरायली खुफिया एजेंसियों ने पहले भी आतंकवादी संगठनों की सभी गतिविधियों की जानकारी रखते हुए उनके नेताओं की सटीक समय पर हत्याएं की हैं।

इजरायली खुफिया एजेंसियों ने अपने दुश्मनों को मारने के लिए कभी ड्रोन हमलों तो कभी मोबाइल फोन से फटने वाले बम का इस्तेमाल किया है। अक्सर इजरायली एजेंट अपने दुश्मनों की कार पर जीपीएस ट्रैकर लगा देते हैं और उन्हें इजरायली मिसाइलें इतना सटीक निशाना बनाती हैं कि बचना नामुमकिन होता है। जमीन पर गाजा और इजरायल की तनावपूर्ण सीमा पर बाड़ के पास कैमरे, ग्राउंड मोशन सेंसर और नियमित गश्त करने वाली सैन्य टुकड़ियां तैनात होती हैं। माना जाता है कि कंटीली तारों वाली बाड़ एक स्मार्ट बैरियर का काम करती हैं, जो ठीक उसी तरह की घुसपैठ को रोकती है, जैसा इस हमले में हुआ है।

इसके बावजूद हमास के आतंकवादियों ने इनके बीच से अपना रास्ता बना लिया। उन्होंने तारों को काटकर होल बनाया। कुछ ने समुद्र का रास्ता चुना तो कुछ ने पैराग्लाइडर के जरिए इजरायल में प्रवेश किया। इजरायली नागरिकों की नाक के नीचे हजारों रॉकेटों को इकट्ठा करना, उन्हें फायरिंग से जुड़े समन्वित, जटिल हमले की तैयारी और कार्यान्वयन के लिए हमास को असाधारण स्तर की परिचालन सुरक्षा की आवश्यकता होगी। आश्चर्य की बात नहीं है कि इजरायल में सेना और नेताों से सवाल पूछा जा रहा है कि यह सब कैसे हो सकता है, वो भी इजरायल के दुश्मनों के किए गए एक और हमले की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर। माना जा रहा है कि इजरायल की यह जांच वर्षों तक चलेगी, लेकिन वर्तमान में उसके सामने अलग प्राथमिकताएं हैं, जो ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। इजरायल को अपनी दक्षिणी सीमा पर घुसपैठ को और अधिक नियंत्रित करने की जरूरत है। उन्हें अंदर घुस चुके हमास आतंकवादियों को भी खदेड़ना होगा। इसके साथ ही इजरायली नागरिकों के मुद्दों को हल करने की जरूरत होगी, जिन्हें या तो सशस्त्र बचाव अभियान के माध्यम से या बातचीत के माध्यम से दुश्मन के कैद से छुड़ाना होगा।