एक ऐसी घटना जिसमें बीस सालों तक मौत का खेल रचा गया! 20 साल तक पुलिस उसे मरा हुआ मानती रही। बीस साल तक वो अपनी मौत का नाटक करता रहा, लेकिन बीस साल बाद अब जो हकीकत सामने आई है उसे सुनकर रुह कांप जाएगी। एक नेवी ऑफिसर कैसे बन गया हैवान। दिल्ली के इस शख्स की कहानी किसी को डरा सकती है। ऊपर लगी तस्वीर जो आप देख रहे हैं ये एक ही शख्स की है। बीस साल पहले और बीस साल बाद। हां नाम जरूर बदल गए हैं। तस्वीर एक ही इंसान की, चेहरा भी ज्यादा नहीं बदला, हां नाम एकदम अलग है, पहचान एकदम अलग है। खैर फिलहाल हम इस शख्स बलेश कुमार के नाम से ही बुलाएंगे। बलेश कुमार की शातिर कहानी को जानने के लिए 20 साल पीछे यानी साल 2004 में जाना होगा क्योंकि इसकी शुरुआत यही से होती है।
साल 2004 में दिल्ली के नरेला में एक राजेश नाम के एक शख्स का कत्ल होता है। इस कत्ल के आरोप लगते हैं बलेश कुमार पर। कहानी सामने आती है कि बलेश कुमार के राजेश की पत्नी से नाजायज संबंध थे और इसलिए बलेश ने उसका कत्ल कर दिया। बलेश के खिलाफ पुलिस के पास सारे सबूत होते हैं। ये साफ था कि कत्ल बलेश ने ही किया है, लेकिन तभी पुलिस को पता चलता है कि बलेश की एक ट्रक में जलने से मौत हो गई है। अब जबकि कातिल की ही मौत हो गई है तो पुलिस केस को बंद कर देती है। मामला रफा दफा हो जाता है।
20 साल बाद यानी कुछ दिन पहले पुलिस को खबर मिलती है कि बलेश कुमार जिंदा है। 20 साल पहले उसकी मौत नहीं हुई। पुलिस दंग रह जाती है, क्योंकि ट्रक में तो उसकी और एक और शख्स की लाश भी मिल चुकी थी। अब सवाल ये था कि जो उस दौरान ट्रक में जलकर मरे वो थे कौन? पुलिस सबसे पहले इस केस तलाश शुरू करती है। पता चलता है कि बलेश कुमार नजफगढ़ में अमन सिंह बनकर रह रहा है। वो प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता है। पुलिस उसके ठिकाने पर पहुंचकर उसे गिरफ्तार कर लेती है।
अब जो कहानी बलेश कुमार पुलिस को बताता है वो बेहद खतरनाक है। राजेश का कत्ल करने के बाद बलेश कुमार अपनी झूठी मौत की स्क्रिप्ट लिखता है। इस स्क्रिप्ट को पूरा करने के लिए वो एक खूनी खेल खेलता है बता दे कि ऊपर लगी तस्वीर जो आप देख रहे हैं ये एक ही शख्स की है। बीस साल पहले और बीस साल बाद। हां नाम जरूर बदल गए हैं। तस्वीर एक ही इंसान की, चेहरा भी ज्यादा नहीं बदला, हां नाम एकदम अलग है, पहचान एकदम अलग है। खैर फिलहाल हम इस शख्स बलेश कुमार के नाम से ही बुलाएंगे। बलेश कुमार की शातिर कहानी को जानने के लिए 20 साल पीछे यानी साल 2004 में जाना होगा क्योंकि इसकी शुरुआत यही से होती है। और इसके लिए दे देता है दो लोगों की जिंदगी की बलि। खुद को बचाने के लिए ये ट्रक में दो लोगों को जला देता है ताकि पुलिस को लगे कि ट्रक ये चला रहा था और जलकर इसकी मौत हो गई है। सारे सबूत भी इसी तरह से रखता है कि पुलिस को लगता है मौत बलेश की ही हुई है।
खुद बलेश कुमार अमन सिंह बनकर अपनी नॉर्मल जिंदगी जीता है। इतना ही नहीं इसकी पत्नी भी इसका इस काम में पूरा साथ देती है। वो पति की झूठी मौत के बारे में सब कुछ जानती है, लेकिन फिर अनजान बनी रहती है। यही नहीं 20 साल पहले उसकी मौत नहीं हुई। पुलिस दंग रह जाती है, क्योंकि ट्रक में तो उसकी और एक और शख्स की लाश भी मिल चुकी थी। अब सवाल ये था कि जो उस दौरान ट्रक में जलकर मरे वो थे कौन? पुलिस सबसे पहले इस केस तलाश शुरू करती है। पता चलता है कि बलेश कुमार नजफगढ़ में अमन सिंह बनकर रह रहा है। वो प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता है। पुलिस उसके ठिकाने पर पहुंचकर उसे गिरफ्तार कर लेती है।ये ट्रक में दो लोगों को जला देता है ताकि पुलिस को लगे कि ट्रक ये चला रहा था और जलकर इसकी मौत हो गई है। सारे सबूत भी इसी तरह से रखता है कि पुलिस को लगता है मौत बलेश की ही हुई है। 20 साल तक वो सरकार से पेंशन भी लेती है क्योंकि बलेश पहले नेवी में था। दोनों पति-पत्नी इस खूनी खेल को बखूबी पूरा करते हैं, लेकिन 20 साल बाद अब इनकी हकीकत सामने आ ही गई।