वर्तमान में ओवैसी चुनावो को लेकर एक गणित लगाने में लगे हुए हैं! ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को तराजू के एक पलड़े में रख दिया है। उन्होंने दोनों को जुड़वा भाई बताया है। इस नई थ्योरी के सपोर्ट में उन्होंने तर्क भी पेश किए हैं। ओवैसी बोले हैं कि जो राहुल गांधी का वोटर है, वो मोदी को हीरो मानता है। कांग्रेस ओवैसी पर लगातार बीजेपी की ‘बी’ टीम होने का आरोप लगाती है। इसके उलट ओवैसी इस बात को हमेशा नकारते रहे हैं। ओवैसी यह भी कहते रहे हैं कि कांग्रेस, बीजेपी हो या सपा और बसपा, किसी भी दल ने मुसलमानों का भला नहीं किया है। हालांकि, मोदी और राहुल को जुड़वा भाई बताकर जो थ्योरी ओवैसी ने दी है, वह बिल्कुल नई है। आइए, यहां इस थ्योरी को समझने की कोशिश करते हैं। पिछले कुछ सालों में ओवैसी की एआईएमआईएम का विस्तार हुआ है। हैदराबाद की छोटी सी पार्टी को ओवैसी ने देशभर में पहचान दिलाई है। अब इसने राजस्थान में भी खम ठोंक दिया है। पहले ही पार्टी महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, बंगाल, यूपी जैसे कई राज्यों में अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुकी है। राजस्थान के रण में भी उसने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। ओवैसी ने खुद को मुसलमानों का सबसे बड़ा खैरख्वाह साबित करने की कोशिश की है। हालांकि, उस पर ‘वोट कटवा’ का टैग भी लगता आया है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत कई दल उसे बीजेपी की ‘बी’ टीम बताते हैं। वो दावा करते हैं कि ओवैसी के कारण मुसलमानों का वोट कटता है। इससे सिर्फ बीजेपी को फायदा पहुंचता है।
दूसरी तरफ ओवैसी दावा करते हैं कि कांग्रेस समेत तमाम दलों ने मुसलमानों को सिर्फ वोट के नाम पर ठगा है। उनका भला किसी ने नहीं किया। इस तरह वह खुद को मुसलमानों को इकलौता हमदर्द बताने की कोशिश करते हैं। मोदी और राहुल को जुड़वा भाई बताने के पीछे भी ओवैसी की मंशा यही है। इसके जरिये वह मुसलमानों को लामबंद करना चाहते हैं।
जिन मुसलमानों का वोट पहले कभी चुनाव की हवा बदल देता था, पिछले कुछ सालों में वह लगातार बेमानी साबित होता रहा है। इसकी वजह उनके वोटों का अलग-अलग दलों में बंट जाना रहा है। मुसलमान टैक्टिकल वोटिंग करते हैं। वे देखते हैं कि बीजेपी के मुकाबले जो पार्टी भारी है, वे एकमुश्त उसे वोट करते हैं। हालांकि, पिछले कुछ चुनाव में ऐसा नहीं हो पाया। उनका वोट कई दलों में बंट गया। अब ओवैसी दोबारा मुसलमानों के इसी वोटबैंक को समेटकर एक जगह लाना चाहते हैं। वह सिर्फ मुसलमानों के हितों की बात करते हैं। यही वजह है कि कांग्रेस, बीजेपी ही नहीं, आम आदमी पार्टी और अन्य दलों को भी वह निशाने पर लेते हैं। वह मुसलमानों को एकजुट कर एक ताकत की तरह पेश करना चाहते हैं।
ओवैसी ने राजस्थान में अपने भाषण के दौरान कहा कि नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी जुड़वा भाई हैं। जो राहुल गांधी और अशोक गहलोत का वोटर है, वह मोदी को हीरो मानता है।सालों में ओवैसी की एआईएमआईएम का विस्तार हुआ है। हैदराबाद की छोटी सी पार्टी को ओवैसी ने देशभर में पहचान दिलाई है। अब इसने राजस्थान में भी खम ठोंक दिया है। पहले ही पार्टी महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, बंगाल, यूपी जैसे कई राज्यों में अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुकी है। राजस्थान के रण में भी उसने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। ओवैसी ने खुद को मुसलमानों का सबसे बड़ा खैरख्वाह साबित करने की कोशिश की है। हालांकि, उस पर ‘वोट कटवा’ का टैग भी लगता आया है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत कई दल उसे बीजेपी की ‘बी’ टीम बताते हैं। वो दावा करते हैं कि ओवैसी के कारण मुसलमानों का वोट कटता है। बीजेपी पर निशाना साधते हुए ओवैसी यह भी बोले कि भगवा पार्टी भारत की राजनीति से मुसलमानों को साफ करना चाहती है। चेहरे पर दाढ़ी और टोपी देखकर नफरत की जाती है। आरोप लगाया कि 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद नफरत बढ़ी है। अगर लोगों को नफरत और सांप्रदायिकता खत्म करनी है तो अपनी राजनीतिक ताकत समझनी होगी। ओवैसी दोबारा मुसलमानों के इसी वोटबैंक को समेटकर एक जगह लाना चाहते हैं। वह सिर्फ मुसलमानों के हितों की बात करते हैं। यही वजह है कि कांग्रेस, बीजेपी ही नहीं, आम आदमी पार्टी और अन्य दलों को भी वह निशाने पर लेते हैं। वह मुसलमानों को एकजुट कर एक ताकत की तरह पेश करना चाहते हैं।लोगों के पास वोट देने के लिए सिर्फ भारतीय जनता पार्टी भाजपा और कांग्रेस थी, लेकिन अब उनके पास एआईएमआईएम का विकल्प है।