आज हम आपको महाठग अनूप चौधरी के बारे में बताने वाले हैं! करोड़ों रुपये ठगी मामले में यूपी एसटीएफ ने जिस महाठग अनूप चौधरी को अरेस्ट किया है, उसके कारनामे जानकर आप हैरान हो जाएंगे। वह खुद को बीजेपी का वरिष्ठ पदाधिकारी बताकर लोगों पर खूब रौब जमाता था। ट्विटर अकाउंट पर तो उसने अपने आप को भारत सरकार का सदस्य और यूपी सरकार का पूर्व सदस्य लिख रखा है। इतना ही नहीं, चौधरी सबको बताता था कि वह महाराष्ट्र बीजेपी के अनुसूचित मोर्चे का पदाधिकारी, बीजेपी युवा मोर्चा का बिहार सह प्रभारी और बीजेपी अनुसूचित मोर्चे की राष्ट्रीय कार्यसमिति का सदस्य भी रह चुका है। रेल मंत्रालय की क्षेत्रीय रेल उपभोक्ता सलाहकार समिति और भारतीय खाद्य निगम का सदस्य बताकर भी उसने फर्जीवाड़ा किया है। वह लक्जरी गाड़ी में अपने साथ एक ओएसडी और सरकारी गनर भी लेकर चलता था। उसका जलवा देखकर लोग झांसे में आ जाते थे।और तो ओर, अनूप चौधरी कई मीडिया चैनलों में बीजेपी नेता के रूप में इंटरव्यू भी दे चुका है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान ने उसके ऊपर इनाम रखा हुआ है। इन राज्यों में उसके ऊपर 10 मुकदमे दर्ज हैं। हैरानी की बात तो ये है कि गाजियाबाद पुलिस सालों से इस महाठग को सुरक्षा उपलब्ध करा रही है। अनूप चौधरी की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी गाजियाबाद पुलिस में तैनात है। प्रधानमंत्री के काम को आम जनता तक पहुंचाने के नाम पर अनूप विभिन्न राज्यों में सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाता था।
सरकारी गेस्ट हाउसों में रुकने से लेकर पुलिस एस्कार्ट तक के लिए फर्जीवाड़ा करता था। वह जिस राज्य भी अपने ठगी के धंधे को अंजाम देने जाता था, फर्जी लेटरपैड भेजकर वीआईपी प्रोटोकॉल दिए जाने की मांग करता था। उसका तामझाम देखकर अफसर भी ज्यादा पूछताछ नहीं किया करते थे। अनूप ने बाकायदा श्रीनिवास नराला नाम के एक व्यक्ति को अपना ओएसडी नियुक्त कर रखा था। सरकारी सुविधाओं की मांग संबंधी लेटर और ईमेल वगैरह भेजने का काम यही करता था। उत्तराखंड पुलिस ने उस पर 15 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा है।
आम जनता को झांसे में लेकर ठगी करने के लिए अनूप चौधरी ने एक कंपनी बना रखी थी। खुद को बीजेपी का सक्रिय सदस्य दिखाने के लिए वह अपने ट्विटर और फेसबुक पेज पर लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य बड़े नेताओं की योजनाओं की सराहना करता रहता था। अयोध्या में सोमवार देर रात जब यूपी एसटीएफ ने अनूप को अरेस्ट किया, उस समय वह मंदिर में दर्शन के लिए जा रहा था। स्कॉर्पियो गाड़ी में आगे की सीट पर पवन कुमार नाम का सरकारी गनर बैठा हुआ था। उसने एसटीएफ को बताया कि उसकी तैनाती गाजियाबाद पुलिस में है।
अनूप चौधरी अयोध्या के सर्किट हाउस में भी ठगी के धंधे को लेकर रुका हुआ था। वह लखनऊ के कारोबारी सतेंद्र वर्मा को झूठ बोलकर अयोध्या ले आया था। एसटीएफ से पूछताछ में सतेंद्र ने बताया कि अनूप और उनकी मुलाकात एयरपोर्ट पर हुई थी। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान ने उसके ऊपर इनाम रखा हुआ है। इन राज्यों में उसके ऊपर 10 मुकदमे दर्ज हैं। हैरानी की बात तो ये है कि गाजियाबाद पुलिस सालों से इस महाठग को सुरक्षा उपलब्ध करा रही है। अनूप चौधरी की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी गाजियाबाद पुलिस में तैनात है। प्रधानमंत्री के काम को आम जनता तक पहुंचाने के नाम पर अनूप विभिन्न राज्यों में सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाता था।वह तीर्थस्थलों पर दर्शन करवाने के लिए हेलीकॉप्टर सेवा को लेकर एक कंपनी बनाना चाहता था।बता दें कि उसने अपने आप को भारत सरकार का सदस्य और यूपी सरकार का पूर्व सदस्य लिख रखा है।
इतना ही नहीं, चौधरी सबको बताता था कि वह महाराष्ट्र बीजेपी के अनुसूचित मोर्चे का पदाधिकारी, बीजेपी युवा मोर्चा का बिहार सह प्रभारी और बीजेपी अनुसूचित मोर्चे की राष्ट्रीय कार्यसमिति का सदस्य भी रह चुका है। उसका तामझाम देखकर अफसर भी ज्यादा पूछताछ नहीं किया करते थे। अनूप ने बाकायदा श्रीनिवास नराला नाम के एक व्यक्ति को अपना ओएसडी नियुक्त कर रखा था। सरकारी सुविधाओं की मांग संबंधी लेटर और ईमेल वगैरह भेजने का काम यही करता था। उत्तराखंड पुलिस ने उस पर 15 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा है।रेल मंत्रालय की क्षेत्रीय रेल उपभोक्ता सलाहकार समिति और भारतीय खाद्य निगम का सदस्य बताकर भी उसने फर्जीवाड़ा किया है। वह उनको इस कंपनी का पार्टनर बनाना चाहता था। अनूप चौधरी ठगी की अपनी एक और कोशिश में सफल होता, इससे पहले ही एसटीएफ ने उसे धर लिया।