आखिर कौन है वे भारतीय जिन्हें कतर में दी गयी है मौत की सजा?

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आज हम आपको उन भारतीयों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें कतर में मौत की सजा दी गई है! भारत के 8 पूर्व नौसैनिक संकट में हैं। कतर की एक अदालत उन्हें मौत की सजा सुना चुकी है। रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि इन लोगों पर इजरायल की तरफ से कतर के खिलाफ जासूसी करने के गंभीर आरोप लगे हैं। हालांकि आधिकारिक रूप से कतर ने कुछ भी नहीं बताया है। भारत कानूनी विकल्प तलाश रहा है कि अपने लोगों की जान कैसे बचाई जाए। ये लोग कतर की सेना से जुड़ी एक प्राइवेट कंपनी में काम कर रहे थे। यह कंपनी कतर की डिफेंस एजेंसियों को प्रशिक्षण और दूसरी सेवाएं प्रदान करती है। इन पूर्व नेवी अफसरों ने नौसेना में 20 साल तक की सेवा की है और तैनाती के दौरान महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे हैं। जिस कंपनी में ये काम कर रहे थे उसके मालिक रॉयल ओमान एयरफोर्स के रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर हैं। गुरुवार को अल दहरा कंपनी के 8 भारतीय कर्मचारियों से जुड़े मामले में फैसला सुनाया है। हम मौत की सजा के फैसले से गहरे सदमे में हैं और विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं। हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं, और सभी कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं।उन्हें भी अरेस्ट किया गया था लेकिन नवंबर 2022 में छोड़ दिया गया। सूत्रों के हवाले से रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि मौत की सजा पाए कुछ भारतीय एक बेहद संवेदनशील प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे जो इटली की टेक्नॉलजी पर आधारित स्टील्थ विशेषताओं वाली पनडुब्बी से जुड़ा था। कैप्टन नवतेज सिंह गिल,कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल, नाविक रागेश! जी हां, मौत की सजा पाए कमांडर पूर्णेंदु तिवारी को साल 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान दिया गया था। यह प्रवासी भारतीयों को दिया जाने वाला सबसे बड़ा सम्मान है। तब दोहा के भारतीय दूतावास ने कहा था कि कमांडर तिवारी को यह सम्मान विदेश में भारत की छवि बढ़ाने के लिए दिया गया है। वह अल दहरा ग्लोबल टेक्नॉलजी एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के एमडी थे। जब वह भारतीय नौसेना में थे तो उन्होंने कई युद्धपोतों की कमान संभाली थी।

54 साल के कमांडर पकाला का परिवार विशाखापत्तनम में रहता है। उनका 18 दिसंबर को जन्मदिन है। परिवार अब भी उम्मीद लगाए है कि सरकार के हस्तक्षेप पर वह जन्मदिन से पहले घर लौट आएंगे। जब से खबर आई है उनके घर पर लोगों के आने का सिलसिला थमा नहीं है। वह 18 साल की उम्र में नौसेना में शामिल हुए थे। 2013 में नौसेना से रिटायर हुए। बचपन के दोस्त कह रहे हैं कि पकाला सज्जन व्यक्ति हैं। वह कोई गलत काम कर ही नहीं सकते हैं।

रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने कतर की दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टिंग सर्विसेज में काम किया, जो एक निजी कंपनी है जो कतर की रक्षा और सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण और अन्य सेवाएं प्रदान करती है। पिछले साल अगस्त में इन आठ व्यक्तियों को कतर अधिकारियों ने इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। भारतीय अधिकारी उनके कारावास के समय से ही उन्हें राजनयिक पहुंच प्रदान कर रहे हैं। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान में कहा, ”कतर की प्रथम दृष्टया अदालत ने गुरुवार को अल दहरा कंपनी के 8 भारतीय कर्मचारियों से जुड़े मामले में फैसला सुनाया है। हम मौत की सजा के फैसले से गहरे सदमे में हैं और विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं। हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं, और सभी कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं।

इसके अलावा आगे कहा, हम इस मामले को बहुत महत्व देते हैं और इस पर करीब से नजर रख रहे हैं। हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान दिया गया था। यह प्रवासी भारतीयों को दिया जाने वाला सबसे बड़ा सम्मान है। तब दोहा के भारतीय दूतावास ने कहा था कि कमांडर तिवारी को यह सम्मान विदेश में भारत की छवि बढ़ाने के लिए दिया गया है। वह अल दहरा ग्लोबल टेक्नॉलजी एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के एमडी थे। जब वह भारतीय नौसेना में थे तो उन्होंने कई युद्धपोतों की कमान संभाली थी।हम फैसले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाएंगे। बयान में आगे कहा गया है कि इस मामले की कार्यवाही की गोपनीय प्रकृति के कारण, इस समय कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।