जब हाई कोर्ट से मिली दिल्ली के चांदनी चौक के 150 साल पुराने बरगद को नई जिंदगी!

0
194

हाल ही में हाई कोर्ट से दिल्ली के चांदनी चौक के 150 साल पुराने बरगद को नई जिंदगी मिल चुकी है! 150 से भी ज्यादा साल गुजर गए, चांदनी चौक का वह वट वृक्ष सब देख रहा है। बरगद का यह पेड़ दिल्‍ली पर अंग्रेजों की हुकूमत से लेकर स्वाधीनता तक और फिर आधुनिक भारत के निर्माण का गवाह है। शायद उसे किसी की नजर लग गई थी। कंस्‍ट्रक्‍शन के चक्कर में बरगद को चोट पहुंचाई गई। उसकी हालत देखकर दिल्‍ली हाई कोर्ट भी हैरान रह गया। अदालत ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए बरगद की देखरेख का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस बरगद की उम्र करीब 300 साल मानी थी, मगर वन विभाग ने इसकी उम्र 140-160 साल आंकी। अपने आदेश में हाई कोर्ट ने कहा कि यह बरगद ‘पिछले तीन शताब्दियों से दिल्ली शहर के इतिहास का एक मूक और धैर्यवान दर्शक रहा है’। अदालत ने कहा कि यह उस ‘बिल्डर के आंगन में अमूल्य विरासत’ की तरह है, जिसने लिविंग एरिया को बढ़ाने के लिए इसे काट दिया। HC ने कहा कि अब वन विभाग और अन्य एजेंसियां लगातार बरगद के पेड़ की देखभाल करेंगी।हाई कोर्ट 2020 में दायर एक याचिका पर विचार कर रहा था जिसमें आरोप लगाया गया था कि बिल्डिंग प्लान से अलग जाते हुए चांदनी चौक की प्रॉपर्टी में अनधिकृत निर्माण किया जा रहा था। याचिका में कहा गया था कि निर्माण से पेड़ को व्यापक क्षति हुई थी। हाई कोर्ट ने अनुमान लगाया था कि पेड़ लगभग 300 वर्ष पुराना था, लेकिन वन विभाग ने इसकी आयु लगभग 150-160 वर्ष बताई।जस्टिस प्रतीक जालान ने लोकल ट्री ऑफिसर और एमसीडी को नियमित समय पर पेड़ का मुआयना करने का आदेश दिया है। अदालत के सामने वन विभाग ने अपनी रिपोर्ट पेश की। पता चला कि करीब 5-6 फीट खुदाई की गई है जिससे पेड़ की जड़ प्रणाली को नुकसान होगा। एक दीवार बनाई गई है जो पेड़ के रूट जोन को डीस्‍टैबलाइज कर सकती है। मौके पर से भारी मात्रा में लोहे के गार्डर/रॉड पाए गए।

इसी साल अगस्‍त में, फॉरेस्‍ट डिपार्टमेंट और MCD ने जॉइंट इंस्‍पेक्‍शन किया। इसके बाद अधिकारी ऐक्‍शन में आए। लगभग 300 वर्ष पुराना था,एमसीडी को नियमित समय पर पेड़ का मुआयना करने का आदेश दिया है। अदालत के सामने वन विभाग ने अपनी रिपोर्ट पेश की। पता चला कि करीब 5-6 फीट खुदाई की गई है जिससे पेड़ की जड़ प्रणाली को नुकसान होगा। एक दीवार बनाई गई है जो पेड़ के रूट जोन को डीस्‍टैबलाइज कर सकती है। मौके पर से भारी मात्रा में लोहे के गार्डर/रॉड पाए गए।MCD ने भी HC में एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की। हाई कोर्ट ने कहा कि पेड़ के चारों तरफ मौजूद प्‍लेटफॉर्म को नहीं हटाया गया है क्योंकि वह उसे सपोर्ट देने के लिए जरूरी है।

हाई कोर्ट 2020 में दायर एक याचिका पर विचार कर रहा था जिसमें आरोप लगाया गया था कि बिल्डिंग प्लान से अलग जाते हुए चांदनी चौक की प्रॉपर्टी में अनधिकृत निर्माण किया जा रहा था। कंस्‍ट्रक्‍शन के चक्कर में बरगद को चोट पहुंचाई गई। उसकी हालत देखकर दिल्‍ली हाई कोर्ट भी हैरान रह गया। अदालत ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए बरगद की देखरेख का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस बरगद की उम्र करीब 300 साल मानी थी, मगर वन विभाग ने इसकी उम्र 140-160 साल आंकी।याचिका में कहा गया था कि निर्माण से पेड़ को व्यापक क्षति हुई थी। अदालत ने कहा कि यह उस ‘बिल्डर के आंगन में अमूल्य विरासत’ की तरह है, जिसने लिविंग एरिया को बढ़ाने के लिए इसे काट दिया। HC ने कहा कि अब वन विभाग और अन्य एजेंसियां लगातार बरगद के पेड़ की देखभाल करेंगी।हाई कोर्ट 2020 में दायर एक याचिका पर विचार कर रहा था जिसमें आरोप लगाया गया था कि बिल्डिंग प्लान से अलग जाते हुए चांदनी चौक की प्रॉपर्टी में अनधिकृत निर्माण किया जा रहा था। याचिका में कहा गया था कि निर्माण से पेड़ को व्यापक क्षति हुई थी।हाई कोर्ट ने अनुमान लगाया था कि पेड़ लगभग 300 वर्ष पुराना था,एमसीडी को नियमित समय पर पेड़ का मुआयना करने का आदेश दिया है। अदालत के सामने वन विभाग ने अपनी रिपोर्ट पेश की। पता चला कि करीब 5-6 फीट खुदाई की गई है जिससे पेड़ की जड़ प्रणाली को नुकसान होगा। एक दीवार बनाई गई है जो पेड़ के रूट जोन को डीस्‍टैबलाइज कर सकती है। मौके पर से भारी मात्रा में लोहे के गार्डर/रॉड पाए गए। लेकिन वन विभाग ने इसकी आयु लगभग 150-160 वर्ष बताई।