क्या यूपी में चमत्कार दिखाएंगे ओबीसी?

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अब ओबीसी जाति यूपी में चमत्कार दिखा सकती है! उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टियों की तैयारी शुरू हो गई है। प्रदेश में भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंदी पार्टी सपा है, जिसने पीडीए- पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक के अपने नए नारे के साथ चुनावी ताल ठोक दी है। सपा ने इसके जरिए अपने परंपरागत वोटबैंक को और मजबूत करने का प्रयास किया है। इसके अलावा इस दिशा में समाजवादी पार्टी का एक और कदम बेहद महत्वपूर्ण है और जिसने बीजेपी की नींद उड़ा दी है, वह है-जाति जनजनगणना का मुद्दा। हालांकि, अब भारतीय जनता पार्टी ने इससे भी निपटने को लेकर बड़ा कदम उठाया है। साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी विपक्ष की जातीय जनगणना के वार की काट तलाशने में जुट गई है। सोमवार को भाजपा प्रदेश मुख्यालय में बीजेपी ओबीसी मोर्चा की बैठक में तय किया गया कि दिसंबर से ओबीसी के जातीय सम्मेलन कराए जाएंगे। इसके लिए हर जिले में अलग टीम बनाई जा रही है। इस टीम का एक प्रभारी बनाया जाएगा। इसके साथ ही हर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव में उतारने के लिए बीजेपी 500 ओबीसी कार्यकर्ता तैयार कर रही है। यह टीम जल्दी ही हर विधानसभा क्षेत्र में तैयार हो जाएगी।

बीजेपी का ओबीसी मोर्चा युवाओं पर फोकस कर काम करने में जुटा हुआ है। इसके लिए यूपी की सभी 403 विधानसभा पर 10 पिछड़े समाज के 500 कार्यकर्ता तैयार किए गए हैं। इन्हें लोकसभा चुनाव से पहले ओबीसी योद्धा के रूप में उतारा जाएगा। दरअसल बीजेपी ने विपक्ष के जातीय जनगणना के दांव को फेल करने के लिए ओबीसी पर फोकस करना शुरू कर दिया है। वह 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ओबीसी को अपने पक्ष में करने में किसी भी तरह से पीछे नहीं रहना चाहती है। बीजेपी ओबीसी की सभी जातियों में काम करेगी।

इसके लिए वह अलग-अलग जातियों के जातीय सम्मेलन करने की योजना बना रही है। इन सम्मेलनों में मौर्य, शाक्य, सैनी, कुशवाहा, प्रजापति, कुर्मी, यादव और अलग-अलग जातियों के सम्मेलन होंगे। इन्हें पहले जिला स्तर पर और फिर प्रदेश स्तर पर आयोजित कराया जाएगा। इसी महीने इन सम्मेलनों का पूरा प्लान तैयार हो जाएगा। बीजेपी ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र कश्यप के मुताबिक इन टोलियों के जरिए पिछड़ा वर्ग के सक्रिय कार्यकर्ता और नेता तैयार किए जाएंगे, जा लोकसभा चुनाव तक पूरे प्रचार की कमान भी संभालेंगे। ये कार्यकर्ता ऐसे होंगे, जिन्हें ट्रेनिंग देकर सरकार के कामकाज के बारे में बताया जाएगा। मोर्चे का लक्ष्य है कि दो लाख से ज्यादा ओबीसी कार्यकर्ता तैयार किए जाएं। यहि नहीं आपको बता दें कि राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ओबीसी मतदाताओं को अपनी ओर खींचने के लिए चुनाव से पहले यह बड़ा दांव चला है. राजस्थान में ओबीसी रिजर्वेशन को बढ़ाने की मांग काफी समय से चलती आई है. दिसंबर से ओबीसी के जातीय सम्मेलन कराए जाएंगे। इसके लिए हर जिले में अलग टीम बनाई जा रही है। इस टीम का एक प्रभारी बनाया जाएगा। इसके साथ ही हर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव में उतारने के लिए बीजेपी 500 ओबीसी कार्यकर्ता तैयार कर रही है। यह टीम जल्दी ही हर विधानसभा क्षेत्र में तैयार हो जाएगी। कांग्रेस नेताओं की भी मांग थी कि पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को बढ़ाकर 27 फीसदी किया जाए. ऐसे में चुनाव से पहले मूल ओबीसी को अलग से रिजर्वेशन देने का फैसला लेकर सीएम गहलोत ने बड़ा सियासी दांव चला है!

गौरतलब है कि साल 2023 के अंत में ही विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके लिए कांग्रेस सरकार हर वर्ग को साधने में लग गई है. विश्व आदिवासी दिवस पर पहले आदिवासी वर्ग को साधने के लिए मानगढ़ धाम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी आए. अब इसी दिन सीएम गहलोत ने पिछड़े वर्ग को बड़ा लाभ देने का एलान किया है! इससे पिछले 40 वर्षों से चली आ रही ओबीसी आरक्षण नीति के वैचारिक ढांचे और व्यावहारिक परिपालन में बदलाव आने की संभावना है. दिसंबर से ओबीसी के जातीय सम्मेलन कराए जाएंगे। इसके लिए हर जिले में अलग टीम बनाई जा रही है। इस टीम का एक प्रभारी बनाया जाएगा। इसके साथ ही हर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव में उतारने के लिए बीजेपी 500 ओबीसी कार्यकर्ता तैयार कर रही है। यह टीम जल्दी ही हर विधानसभा क्षेत्र में तैयार हो जाएगी।रिपोर्ट के अनुसार, पैनल का कहना है कि विभिन्न जातियों और उप-जातियों को वर्गीकृत करने के पीछे का उद्देश्य ओबीसी के बीच एक नया पदानुक्रम स्थापित करना नहीं है, बल्कि सभी को समान अवसर पर रखकर सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना है. मूल रूप से यह सभी जातियों और उपजातियों की समानता पर केंद्रित है!