आखिर पाकिस्तान में कैसे खत्म हो रहे हैं भारत के मोस्ट वांटेड आतंकी?

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वर्तमान में पाकिस्तान में भारत के मोस्ट वांटेड आतंकी खत्म होते जा रहे हैं! रियाज अहमद, परमजीत सिंह पंजवार, बशीर अहमद पीर, मिस्त्री जहूर इब्राहिम, ये उन दहशतगर्दों के नाम हैं, जो भारत में ‘मोस्‍ट वॉन्‍टेड’ रहे, अब नहीं हैं। क्योंकि पिछले दो साल के भीतर ‘मोस्‍ट वॉन्‍टेड लिस्ट’ में शामिल कई आतंकियों की पाकिस्तान में रहस्यमयी तरीके से हत्‍या कर दी गई। ये सभी लश्‍कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्‍मद और हिजबुल मुजाहिदीन और अलगाववादी खालिस्तान आंदोलन से जुड़े हुए थे। पाकिस्‍तान और इन प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों ने हत्‍याओं पर चुप्पी साध रखी है। नवंबर के पहले पखवाड़े में ही, LeT/JeM के तीन आतंकियों को गोली मार दी गई। इनमें मौलाना मसूद अजहर और LeT के चीफ रिक्रूटर का करीबी भी शामिल है। इन हत्याओं का सिलसिला 2021 से शुरू हुआ। तब लाहौर में लश्‍कर के सरगना और 2008 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद पर असफल हमला हुआ था। भारत में आतंक फैलाने के आरोपी आतंकवादियों की पाकिस्तान में टारगेटेड हत्‍याओं का एक ही पैटर्न रहा है। इनमें से ज्यादातर की अज्ञात हमलावरों ने हत्या कर दी। इन आतंकियों की हत्‍याओं को स्वीकार करने में पाकिस्तान की हिचक के पीछे फायनेंशियल एक्‍शन टास्‍क फोर्स का दबाव मालूम होता है। पाकिस्‍तान ने FATF को भरोसा दिया था कि वह अपनी जमीन पर आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।मोटरसाइकिल पर अज्ञात बंदूकधारी आते हैं और गोली मारकर फुर्र हो जाते हैं। जांच में लगे पाकिस्तानी अधिकारी ‘दुश्मन देश की खुफिया एजेंसी’ पर ठीकरा फोड़ते हैं। घटनाक्रम से वाकिफ एक अधिकारी ने कहा कि दुश्मन की खुफिया एजेंसी ने स्थानीय हमलावरों का एक ऑर्गेनाइज्‍ड नेटवर्क बनाया है। इनमें से कुछ पूर्व कानून प्रवर्तन अधिकारी हैं जो अपनी सरकार से नाखुश हैं। उन्‍होंने आरोप लगाया कि इस नेटवर्क को खाड़ी देश में मौजूद ऑपरेटिव्‍स के जरिए भारत कंट्रोल करता है।

इन हत्याओं पर पाकिस्तानी अधिकारियों से लेकर मीडिया तक ने चुप्पी साध रखी है। 2021 में जब हाफिज सईद के लाहौर वाले घर के बाहर धमाका हुआ था, तब पाकिस्तान के तत्कालीन गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उसके बाद से आतंकवादी संगठनों से जुड़े आतंकियों की हत्‍याओं पर इस्लामाबाद चुप ही रहा है। इन हत्याओं को पाकिस्तान ने डाउनप्‍ले किया ताकि आतंकियों की पहचान छिपी रहे।

पाकिस्‍तानी खुफिया सूत्रों के अनुसार, भारत ने पिछले सालों मे इस्लामाबाद को कई आतंकियों के नाम-पते सौंपे थे। इनमें से ज्यादातर की अज्ञात हमलावरों ने हत्या कर दी। इन आतंकियों की हत्‍याओं को स्वीकार करने में पाकिस्तान की हिचक के पीछे फायनेंशियल एक्‍शन टास्‍क फोर्स का दबाव मालूम होता है। पाकिस्‍तान ने FATF को भरोसा दिया था कि वह अपनी जमीन पर आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।

जो मारे गए, उन्‍हें न तो पाकिस्तान सरकार ने, न ही मीडिया ने आतंकवादी के रूप में पहचाना। मौलाना मसूद अजहर के करीबी मौलाना रहीम उल्लाह तारिक की 13 नवंबर को कराची में अज्ञात बंदूकधारियों ने हत्या कर दी। इस घटना को एक स्‍थानीय मौलवी की हत्या की तरह दिखाया गया।

लश्‍कर के पूर्व आतंकी, अकरम गाजी को खैबर पख्तूनख्वा में 9 नवंबर को ढेर कर दिया गया था। पाकिस्‍तानी मीडिया ने उसे ‘मुअज्जिन’ बताया, कोई ऐसा व्यक्ति जो अजान के लिए आवाज लगाता है! 5 नवंबर को ख्वाजा शाहिद (मियां मुजाहिद का अपहरण करके हत्या कर दी गई। उसकी सिर कटी लाश लाइन ऑफ कंट्रोल के पास PoK में मिली। वह 2018 के सुजवां आतंकी हमले का मास्टरमाइंड था। सितंबर 2023 ढांगरी आतंकी हमले के मास्टरमाइंड रियाज अहमद को PoK की एक मजिस्द में मारा गया। आतंकवादियों की पाकिस्तान में टारगेटेड हत्‍याओं का एक ही पैटर्न रहा है। मोटरसाइकिल पर अज्ञात बंदूकधारी आते हैं और गोली मारकर फुर्र हो जाते हैं। जांच में लगे पाकिस्तानी अधिकारी ‘दुश्मन देश की खुफिया एजेंसी’ पर ठीकरा फोड़ते हैं। घटनाक्रम से वाकिफ एक अधिकारी ने कहा कि दुश्मन की खुफिया एजेंसी ने स्थानीय हमलावरों का एक ऑर्गेनाइज्‍ड नेटवर्क बनाया है।LeT के मौलाना जियाउर रहमान को कराची में गोली मारी गई। बाहर धमाका हुआ था, तब पाकिस्तान के तत्कालीन गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उसके बाद से आतंकवादी संगठनों से जुड़े आतंकियों की हत्‍याओं पर इस्लामाबाद चुप ही रहा है। इन हत्याओं को पाकिस्तान ने डाउनप्‍ले किया ताकि आतंकियों की पहचान छिपी रहे।मई में खालिस्तान कमांडो फोर्स के परमजीत सिंह पंजवार की लाहौर में हत्या हुई। मार्च में हिजबुल के बशीर अहमद पीर को रावलपिंडी में ढेर किया गया। मार्च 2022 में JeM के मिस्त्री जहूर इब्राहिम को कराची में अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर निपटाया।