प्रणब मुखर्जी ने क्यों उठाए राहुल गांधी पर सवाल?

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एक समय ऐसा था जब प्रणब मुखर्जी ने राहुल गांधी पर ही सवाल उठा दिए थे! पूर्व राष्‍ट्रपति और कांग्रेस के दिग्‍गज नेता रहे प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्‍ठा की किताब ने सनसनी फैला दी है। उनकी किताब में एक से बढ़कर एक दावे किए गए हैं। शर्मिष्‍ठा मुखर्जी ने अपनी किताब ‘प्रणब माई फादर’ में अपने पिता और गांधी परिवार के साथ उनके रिश्‍तों की कई अनसुनी बातें उजागर की हैं। उन्होंने बताया है कि प्रणब को पहले से पता था कि सोनिया गांधी उन्‍हें प्रधानमंत्री नहीं बनाएंगी। किताब में कहा गया है कि प्रणब मुखर्जी ने राहुल गांधी की नेतृत्‍व क्षमता पर सवाल उठाए थे। यहां तक कहा था कि राहुल गांधी के ऑफ‍िस को AM और PM में फर्क नहीं पता तो पीएमओ क्‍या संभालेंगे। शर्मिष्ठा मुखर्जी कांग्रेस की प्रवक्‍ता रह चुकी हैं। अपनी किताब में उन्‍होंने राहुल गांधी पर अपने पिता की आलोचनात्मक टिप्पणियों और गांधी परिवार के साथ उनके संबंधों से जुड़े कई पहलुओं के बारे में बताया है। शर्मिष्‍ठा ने बताया कि एक सुबह मुगल गार्डन अब अमृत उद्यान में राहुल प्रणब से मिलने पहुंचे। यह सुबह का समय था। प्रणब को सुबह की सैर और पूजा के दौरान कोई भी रुकावट पसंद नहीं थी। फिर भी उन्होंने राहुल से मिलने से मना नहीं किया। असल में राहुल का प्रणब से शाम को मिलने का कार्यक्रम था। लेकिन, उनके राहुल के कार्यालय ने गलती से उन्हें सूचित कर दिया कि बैठक सुबह है। शर्मिष्‍ठा को एक एडीसी से इस घटना के बारे में पता चला। जब उन्‍होंने अपने पिता से पूछा तो उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा ‘अगर राहुल का ऑफिस AM और PM के बीच फर्क नहीं कर सकता तो वह एक दिन पीएमओ चलाने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?

यह किताब प्रणब मुखर्जी की डायरी पर आधारित है। इसमें समकालीन भारतीय राजनीति पर उनके विचार शामिल हैं। 2020 में प्रणब का निधन हो गया था। उन्‍होंने गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ काम किया। दशकों के शानदार करियर में सरकार में शीर्ष मंत्रालय संभाले। जिन वर्षों में राहुल गांधी अमेठी से सांसद के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू कर रहे थे, उस दौरान प्रणब मुखर्जी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में वित्त और रक्षा मंत्री थे।

किताब में उस घटना का जिक्र भी है, जिससे प्रणब मुखर्जी काफी निराश थे। वह राहुल गांधी के बारे में सोचते थे। शर्मिष्ठा मुखर्जी लिखती हैं, ‘आम चुनावों में कांग्रेस की हार के बमुश्किल छह महीने बाद 28 दिसंबर 2014 को पार्टी के 130वें स्थापना दिवस पर एआईसीसी में ध्वजारोहण समारोह के दौरान वह मौजूद नहीं थे।’ प्रणब मुखर्जी की बेटी के मुताबिक, उन्होंने अपनी डायरी में लिखा, ‘राहुल एआईसीसी समारोह में मौजूद नहीं थे। मुझे कारण नहीं पता लेकिन ऐसी कई घटनाएं हुईं। चूंकि उन्हें सब कुछ इतनी आसानी से मिल जाता है, इसलिए वह इसकी कद्र नहीं करते। सोनिया जी अपने बेटे को उत्तराधिकारी बनाने पर तुली हुई हैं। लेकिन राहुल में करिश्मा और राजनीतिक समझ की कमी एक समस्या पैदा कर रही है। क्या वह कांग्रेस को पुनर्जीवित कर सकते हैं? क्या वह लोगों को प्रेरित कर सकते हैं? मुझे नहीं पता।’

इसी किताब में 2004 की उठापटक का भी जिक्र है। तब बीजेपी लोकसभा चुनाव में हारी थी। कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। पूरी उम्‍मीद थी कि कांग्रेस अध्‍यक्ष होने के नाते सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनेंगी। उन्‍हें सहयोगियों का भी पूरा समर्थन मिला था। हालांकि, सोनिया गांधी ने पीएम नहीं बनने का फैसला किया। असल में राहुल का प्रणब से शाम को मिलने का कार्यक्रम था। लेकिन, उनके राहुल के कार्यालय ने गलती से उन्हें सूचित कर दिया कि बैठक सुबह है। शर्मिष्‍ठा को एक एडीसी से इस घटना के बारे में पता चला। जब उन्‍होंने अपने पिता से पूछा तो उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा ‘अगर राहुल का ऑफिस AM और PM के बीच फर्क नहीं कर सकता तो वह एक दिन पीएमओ चलाने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?इसके बाद दावेदारों में प्रणब मुखर्जी और मनमोहन सिंह के नामों की चर्चा होने लगी थी। यह और बात थी कि प्रणब जानते थे कि सोनिया गांधी उन्‍हें पीएम नहीं बनाएंगी।सोनिया जी अपने बेटे को उत्तराधिकारी बनाने पर तुली हुई हैं। लेकिन राहुल में करिश्मा और राजनीतिक समझ की कमी एक समस्या पैदा कर रही है। क्या वह कांग्रेस को पुनर्जीवित कर सकते हैं? क्या वह लोगों को प्रेरित कर सकते हैं? मुझे नहीं पता।’ इस बारे में उन्‍होंने बेटी को पहले ही बता दिया था। हुआ भी वही। पीएम के तौर पर मनमोहन सिंह को चुना गया।