डीएमके अब पूरी तरह से कांग्रेस को ले डूबेगी! हाल में हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी शिकस्त के लिए उसकी सहयोगी डीएमके के नेताओं की बदजुबानी को एक बड़ा फैक्टर माना गया। कांग्रेस के ही नेता प्रमोद कृष्णम एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पार्टी की हार को ‘सनातन का शाप’ करार दिया। सनातन धर्म का जड़ से मिटाने का आह्वान करने वाले डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन ने चुनाव नतीजों के बाद अपने बयान पर सफाई दी कि गलत मतलब निकाला गया। लेकिन अब डीएमके के ही एक नेता डीएनवी सेंथिल कुमार ने चुनाव नतीजों के बहाने देश को एक तरह से बांटने की कोशिश की है, वह भी देश की संसद में। कांग्रेस ने डैमेज कंट्रोल करते हुए खुद को डीएमके सांसद के बयान से दूरी बनाने में देरी नहीं की। वैसे भी लोकसभा चुनाव सिर पर है और I.N.D.I.A. गठबंधन के नेताओं की बदजुबानी इसी तरह जारी रही तो कांग्रेस को फिर नुकसान उठाना पड़ सकता है। दूसरी तरफ, बीजेपी इस मुद्दे पर आक्रामक है। बवाल बढ़ा तो सेंथिल कुमार ने अगले दिन उन्होंने बयान पर सदन में माफी भी मांग ली। हालिया विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने न सिर्फ प्रचंड बहुमत के साथ मध्य प्रदेश की सत्ता बरकरार रखी बल्कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सत्ता से कांग्रेस को बेदखल कर दिया। हालांकि, देश की सबसे पुरानी पार्टी को तेलंगाना में जीत से कुछ सांत्वना जरूरी मिली जहां उसने बीआरएस चीफ के. चंद्रशेखर राव की सत्ता को उखाड़ फेंका। हिंदी पट्टी के 3 राज्यों में करारी हार के बाद कांग्रेस के कुछ नेता ईवीएम राग छेड़ चुके हैं। सोशल मीडिया पर पार्टी के कुछ हमदर्द जो हार को नहीं पचा पा रहे थे, वे तो जनता को ही खारिज करने लगे। वोटर को ही खारिज करने लगे। नतीजों के आधार पर देश को दक्षिण और उत्तर में बांटकर उत्तर भारतीयों पर जहर उगलने लगे। हिंदी पट्टी के वोटर अनपढ़ हैं, बच्चे ज्यादा पैदा करते हैं, हिंदुत्व के हिमायती हैं, काऊ बेल्ट हमेशा भारत का सिर नीचा करता है, हिंदी पट्टी के लोग सिर्फ गोमूत्र और गोबर पर वोट देते हैं, साउथ इंडिया नॉर्थ इंडिया से ज्यादा समझदार है, आदि आदि। हालांकि, कांग्रेस के किसी बड़े नेता ने खुद उत्तर-दक्षिण को बांटने की कोशिश करने वाली दलीलें नहीं दी। हां, पार्टी सांसद कार्ति चिदंबरम ने जरूर एक्स पर दो अक्षर का एक पोस्ट किया- ‘साउथ इंडिया’, जिसे भारत को उत्तर और दक्षिण के संकीर्ण चश्मे से देखने की कोशिश के तौर पर देखा गया। यहां तक तो ठीक था कि सोशल मीडिया पर सिर्फ कांग्रेस के कुछ हमदर्द या बीजेपी के विरोधी ही भारत को उत्तर-दक्षिण के चश्मे से बांटने की कोशिश कर रहे थे। डीएमके सांसद सेंथिलकुमार तो संसद में ही इसी तर्ज पर बोल गए। जम्मू-कश्मीर से जुड़े एक बिल पर चर्चा के दौरान डीएमके सांसद ने उत्तर भारत के बारे में टिप्पणी कर दी जिसे सदन की कार्यवाही से निकालना पड़ा। हिंदू धर्म में गाय पवित्र मानी जाती है और इसको लेकर उन्होंने उत्तर भारतीयों पर शर्मनाक टिप्पणी कर दी। सदन में हंगामा हुआ। डीएमके चीफ एम. के. स्टालिन के निर्देश के बाद सांसद ने पहले सोशल मीडिया पोस्ट पर अपने बयान को लेकर माफी मांगी फिर लोकसभा अध्यक्ष से मिलकर माफी मांगने की भी बात कही।
सेंथिल कुमार के बयान को लपकते हुए बीजेपी हमलों का रुख मुख्य विपक्षी कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी की तरफ मोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। पार्टी नेताओं ने डीएमके पर पलटवार करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी से पूछा कि क्या वह अपने गठबंधन साझेदार की उत्तर भारतीयों के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी के साथ हैं। कांग्रेस भले ही अपने सहयोगी दल के नेता की टिप्पणी से दूरी बनाए लेकिन बीजेपी इस मुद्दे को आसानी से हाथ से जाने नहीं देना चाहती। बुधवार को सत्ताधारी पार्टी के सदस्यों ने डीएमके सांसद के एक दिन पहले के बयान का विरोध करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भी उनके पुराने बयान को लेकर लपेटने की भरपूर कोशिश की। संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने बुधवार को लोकसभा में राहुल के ‘विभाजनकारी बयान’ का जिक्र किया। दरअसल, करीब 2 साल पहले राहुल गांधी भी एक तरह से उत्तर भारत के मतदाताओं के विवेक पर सवाल उठा चुके हैं। 2019 में राहुल गांधी अपनी परंपरागत सीट अमेठी में हार गए थे लेकिन वह केरल की वायनाड सीट से भी लड़े थे जहां उन्हें जीत हासिल हुई थी। फरवरी 2021 में तिरुवनंतपुरम में एक कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने कहा था, ‘पहले 15 वर्ष मैं उत्तर भारत में सांसद था। मैं एक अलग तरह की राजनीति का आदी हो चुका था। मेरे लिए केरल आना बहुत ही अच्छा था क्योंकि अचानक मैंने पाया कि यहां के लोग मुद्दों में रुचि रखते हैं, सिर्फ सतही तौर पर नहीं बल्कि डीटेल में जाते हैं।’ उस समय भी उनके इस बयान पर विवाद हुआ था।
सनातन धर्म के खिलाफ डीएमके नेताओं के जहर उगलने से हालिया विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा। यह पार्टी के ही एक नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम का कहना है। वह तो कांग्रेस की ‘हार को सनातन’ का शाप बता रहे हैं। बीजेपी ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में सनातन के अपमान के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। इसे लेकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोर्चा संभाला था। चुनाव की तारीखों का जब ऐलान तक नहीं हुआ था, तब मध्य प्रदेश के बीना में एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री ने कांग्रेस और I.N.D.I.A. गठबंधन पर भारत की संस्कृति और सनातन परंपरा को खत्म करने की कोशिश का आरोप लगाया। 38 मिनट के भाषण में पीएम मोदी 5 मिनट सिर्फ सनातन के खिलाफ विपक्षी नेताओं की टिप्पणियों के मुद्दे पर बोलते रहे। इसके बाद वह तीनों राज्यों में चुनावी रैलियों के दौरान यह मुद्दा लगातार उठाते रहे।
हालिया विधानसभा चुनावों के नतीजे आए तो कांग्रेस के हाथों से राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सत्ता फिसल गई। राजस्थान में वह 69 तो छत्तीसगढ़ में 35 सीटों पर सिमट गई जबकि बीजेपी को क्रमश: 115 और 54 सीटें मिलीं। मध्य प्रदेश में जहां कांग्रेस जीत को लेकर आश्वास्त थी, वहां उसे सिर्फ 66 सीटों से संतोष करना पड़ा जबकि बीजेपी को 163 सीटें मिलीं। अगर कांग्रेस के सहयोगी दलों की तरफ से ऐसी ही विभाजनकारी और आपत्तिजनक टिप्पणियां होती रहें तो 2024 के लोकसभा चुनाव में भी उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है।