महुआ मोइत्रा की तरह पहले भी सांसदों की सांसदी जा चुकी है! कैश फॉर क्वेरी मामले में तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता चली गई है। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के मामले में शुक्रवार को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया, जिसे सदन ने मंजूरी दे दी। TMC ने लोकसभा स्पीकर से आग्रह किया कि मोइत्रा को सदन में पक्ष रखने का मौका मिले, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इससे इनकार कर दिया और कहा कि उन्हें समिति के सामने बोलने का मौका मिला है। विपक्ष की ओर से इस निष्कासन पर सवाल खड़े किए गए वहीं बीजेपी ने कैश फॉर क्वेरी मामले में मोइत्रा के लोकसभा से निष्कासन को उचित ठहराया और कहा कि यह मामला महिलाओं से जुड़ा मुद्दा नहीं है। साथ ही बीजेपी की ओर से यह भी कहा गया कि टीएमसी सांसद ने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से गिफ्ट लेने की बात स्वीकार की है। विपक्ष के सवाल पर बीजेपी की ओर से कहा गया कि कांग्रेस ने एक दिन में 10 सांसदों को निलंबित कर दिया था। संसद में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है इसकी शुरुआत 1951 में ही हो गई थी।
कांग्रेस सांसद एचजी मुद्गल सदन से निष्कासित होने वाले पहले सांसद थे। मुद्गल को 1951 में संसद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। संसद में सवाल पूछने के एवज में इन्हें लोकसभा से हटाया गया। उस वक्त देश में पहला आमचुनाव नहीं हुआ था। सुब्रमण्यम स्वामी को उनके गलत व्यवहार के लिए 1976 में राज्यसभा से निष्कासित कर दिया गया था। उन पर संसद को लेकर गलत कमेंट करने के आरोप लगे थे।
पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी का निष्कासन 14 दिसंबर, 1978 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई द्वारा पेश किए गए एक प्रस्ताव और सदन द्वारा मतदान के आधार पर हुआ था। जब प्रस्ताव को मतदान के लिए रखा गया तो 279 सांसदों ने इसके पक्ष में वोट किया, जबकि 138 इसके विरोध में गए। इंदिरा गांधी लोकतंत्र में विशेषाधिकार हनन के आरोप में फंसने वाली पहली पूर्व प्रधानमंत्री बनीं। साल 2005 के कैश फॉर क्वेरी मामले में लोकसभा के 10 और राज्यसभा के 1 सदस्य को निष्कासित कर दिया गया था। 10 लोकसभा सदस्य – बीजेपी से अन्नाशाह एम के पाटिल, वाई जी महाजन, सुरेश चंदेल, प्रदीप गांधी और चंद्र प्रताप सिंह, बसपा से नरेंद्र कुमार कुशवाह, लाल चंद्र कोल और राजाराम पाल कांग्रेस से मनोज कुमार (राजद) और रामसेवक सिंह को निष्कासन का सामना करना पड़ा। यह कदम सदन में सवाल उठाने के बदले पैसे लेते हुए कैमरे में कैद होने के बाद उठाया गया। छत्रपाल सिंह लोढ़ा को राज्यसभा से निष्कासित कर दिया गया था।
सांसद विजय माल्या को राज्यसभा से निष्कासन का सामना करना पड़ा, जब संसदीय पैनल ने उनके 9,400 करोड़ रुपये से अधिक के कथित लोन डिफॉल्ट से संबंधित मामले की जांच करते हुए सर्वसम्मति से कार्रवाई का समर्थन किया। यहि नहीं आपको बता दें कि कैश फॉर क्वेरी मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द हो गई है। लोकसभा की एथिक्स कमिटी ने उनकी सदस्यता खत्म करने की सिफारिश की थी। शुक्रवार को कमिटी की रिपोर्ट पर लोकसभा में चर्चा हुई और संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद पटेल ने टीएमसी सांसद की सदस्यता रद्द करने का प्रस्ताव रखा। प्रस्ताव पास होने के बाद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द हो गई। सदन में चर्चा के दौरान 2005 के कैश फॉर क्वेरी मामले का भी जिक्र उठा जब लोकसभा के 10 और राज्यसभा के 1 सदस्य को निष्कासित कर दिया गया था।
महुआ मोइत्रा पर उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी से महंगे उपहार के एवज में उनकी तरफ से संसद में सवाल पूछने का आरोप है। इतना ही नहीं, उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने संसदीय लॉग इन आईडी और पासवर्ड को भी हीरानंदानी को बता रखा था ताकि वह सीधे सवाल पूछ सकें। महुआ मोइत्रा मामले में एथिक्स कमिटी की सिफारिश पर लोकसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस मामले में सरकार की तरफ से ‘जल्दबाजी’ का आरोप लगाया। इस पर संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने 2005 के कैश फॉर क्वेरी मामले का जिक्र करते हुए कहा कि तब तो 10 सांसदों को बिना उनका पक्ष सुने ही निष्कासित कर दिया गया था। बाद में टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने भी एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान कहा कि महुआ मोइत्रा को भी अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए। वैसे, एथिक्स कमिटी ने मोइत्रा को भी तलब किया था।