हाल ही में यूपी में कामकाजी महिलाओं के साथ एक घटना घटित हो गई है! महिला सशक्तीकरण को लेकर तमाम बातें लोग करते रहते हैं। सरकारें तमाम दावे करती हैं। समाज के कई क्षेत्रों में महिलाएं आगे बढ़ भी रही हैं। सेना से लेकर ज्युडिशयरी तक महिलाओं ने अपनी जगह बनानी शुरू कर दी है। ये बातें सभी को उत्साहित कर देती हैं। लेकिन क्या इससे सही मायने में महिला सशक्तीकरण हो गया? ये सफल महिलाएं हमारे समाज में कितनी सुरक्षित हैं? इसका जवाब देना मुश्किल है।कई ऐसे केस हैं, जिसमें समाज की सफल महिलाओं को यौन उत्पीड़न से गुजरना पड़ रहा है। ऐसे ही तीन केस हमारे सामने हैं। उत्तर प्रदेश से सामने आईं ये तीन घटनाएं कामकाजी महिलाओं के जीवन की कड़वी सच्चाई उजागर कर रही हैं। एक महिला जज है, जो जिला जज के यौन उत्पीड़न से तंग आकर इस कदर क्षोभ में है कि सुप्रीम के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर ‘इच्छामृत्यु’ की मांग कर रही है। एक पीसीएस अफसर है, जिसने अपने ही नायब तहसीलदार के आतंक से परेशान होकर एफआईआर दर्ज कराई। वहीं एक लेफ्टिनेंट कर्नल है, जिसने अपने ही साथी लेफ्टिनेंट कर्नल पर रेप का आरोप लगाया है। ये तीनों ही वाकये आपको झकझोर कर रख देंगे और सोचने पर मजबूर कर देंगे कि सफल मानी जाने वाली ये कामकाजी महिलाएं जब सुरक्षित नहीं हैं तो आम महिला की सुरक्षा के बारे में क्या अंदाजा लगाएं?
बांदा में तैनात एक महिला सिविल जज जेडी ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांग कर डाली है। महिला जज ने अपने पत्र में जो दर्द बयां किया है, वह पढ़कर आप सिस्टम की ताजा स्थिति समझ जाएंगे। उन्होंने यहां तक लिख दिया है कि वह भारत की सभी कामकाजी महिलाओं को कहना चाहती हैं कि वह यौन उत्पीड़न के साथ जिंदगी जीना सीख लें। पॉश एक्ट झूठ है। कोई नहीं सुनता, न किसी को कोई फिक्र है। अगर आप शिकायत करते हैं तो आप टार्चर किए जाएंगे। जब मैं कहती हूं कि कोई नहीं सुनता तो इसमें सुप्रीम कोर्ट भी आता है। वहां आपको 8 सेकेंड की सुनवाई मिलती है, बेइज्जती और जुर्माना लगाने की चेतावनी। आपको आत्महत्या करने की तरफ ढकेल दिया जाता है और अगर आप किस्मत वाले हैं जो कि मैं नहीं थी तो आप पहले प्रयास में ही आत्महत्या में सफल हो जाएंगे। उन्होंने लिखा है कि अगर कोई महिला ये सोचती है कि वह सिस्टम के खिलाफ लड़ सकती तो मैं बता दूं, मैं नहीं लड़ पाई। मैं जज हूं और अपने खिलाफ ही निष्पक्ष जांच नहीं करा सकी। मैं सभी महिलाओं को सुझाव देना चाहती हूं कि वह खिलौना बन जाएं या निर्जीव वस्तु।
वह लिखती हैं कि उनके साथ जिला जज और उसके साथियों ने यौन उत्पीड़न किया। मुझे रात में जिला जज से मिलने के लिए कहा गया। मैंने चीफ जस्टिस, इलाहाबाद और एडमिनिस्ट्रेटिव जज से 2022 में शिकायत की। लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। यही नहीं किसी ने आज तक मेरा हाल तक पूछना मुनासिब नहीं समझा। जुलाई 2023 में मैंने हाईकोर्ट की इंटरनल कम्प्जलेंट कमेटी में शिकायत दर्ज कराई लेकिन 6 महीने और तमाम ईमेल लग गए इंक्वायरी शुरू होने में। यहां भी जो जांच बिठाई गई उसका भी हाल ये है कि जिन्हें गवाह बनाया गया वह आरोपी जिला जज के ही मातहत हैं। ऐसे में मुझे उम्मीद नहीं कि इस मामले में निष्पक्ष जांच हो सकती है।
यूपी के ही बस्ती जिलें से पिछले दिनों एक मामले से लखनऊ तक हड़कंप मच गया। यहां एक महिला मजिस्ट्रेट ने एक नायब तहसीलदार के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने लिखा कि मैं बस्ती सदर तहसील में तहसीलदार के पद पर तैनात हूं। यहां सरकारी आवास में अकेली रहती हूं। पड़ोस में एक अन्य तहसीलदार रहते हैं। उन्होंने 12 नवंबर की रात मेरे आवास में आकर मेरे साथ बदसलूकी की। रेप का प्रयास किया। जान से मारने की कोशिश की। महिला ने उस रात की जो दास्तां बयां की वह चौंकाने वाली थी।
उन्होंने बताया कि रात करीब एक बजे उनके दरवाजा खटखटाया गया। उन्होंने गेट नहीं खोला तो तहसीलदार पिछले दरवाजे को तोड़कर जबरदस्ती उनके आवास में घुस आए। उन्होंने गालियां दीं, बदसलूकी की और शरीर पर कई जगह काटा। कपड़े फाड़ डाले और रेप की कोशिश की। उनके विरोध पर मारने की कोशिश की। वह बेसुध हो गईं तो मरा समझकर हॉल में चला गया। जब मुझे होश आया तो मैं बिस्तर के नीचे छिप गई। वह फिर लौटा और बेड के नीचे से खींचने का प्रयास किया और रेप की कोशिश करने लगा। मैं बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाई और घर के बाहर भागी। यहां उन्होंने बाहर आकर दरवाजा बंद कर लिया। इसके बाद वह पिछले कमरे से बाहर आ गया और हमला कर दिया। मैं अंदर आ गई इस दौरान वह दरवाजा तोड़ने का प्रयास करने लगा। कुंडी टूट गई लेकिन लैच अटक गया। उसने काफी कोशिश की लेकिन इसके बाद वह दाखिल नहीं हो सका। पिछले दरवाजे को भी मैंने बंद कर दिया। करीब डेढ़ घंटे वह रहा और ढाई बजे चला गया।
यही नहीं उसके साथ अगली रात फिर रोप किया गया और वीडियो बना लिया। इसकी अगली सुबह उसकी मां ने गाली-गलौच करते हुए चाकू से उस पर हमला कर दिया। किसी तरह उसने अपनी जान बचाई। फिर मामला शांत हुआ तो दोनों ने शादी कर ली। वह यूनिट वापस लौटे तो आरोपी का व्यवहार बदल गया। जब उसने रजिस्टर्ड शादी की बात की तो वह भी 80 लाख रुपए की डिमांड करने लगा और मां से माफी मांगने की शर्त रख दी। महिला लेफ्टिनेंट कर्नल की शिकायत पर अब पुलिस जांच कर रही है।
पिछले दिनों राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो एनसीआरबी ने देश मे महिलाओं के खिलाफ अपराध के आंकड़े जारी किए। इसमें पता चला कि वर्ष 2022 में ऐसे मामलों में हर घंटे करीब 51 एफआईआर दर्ज की गई। इसमें भी यूपी, महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश जैसे कुल पांच राज्यों में देश के 50 फीसदी मामले दर्ज किए गए। ये तो बात हुई ओवरऑल महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न की।
पूरे देश में वर्ष 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,45,256 एफआईआर दर्ज की गई। 2021 में ये संख्या 4,28,278 थी जबकि 2020 में 3,71,503 एफआईआर दर्ज की गई थीं। प्रति एक लाख आबादी में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर 66.4 प्रतिशत रही जबकि ऐसे मामलों में आरोप पत्र दायर करने की दर 75.8 रही। एनसीआरबी के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अधिकांश 31.4 प्रतिशत अपराध पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता किए जाने के थे, इसके बाद महिलाओं के अपहरण 19.2 प्रतिशत, शील भंग करने के इरादे से महिलाओं पर हमला 18.7 प्रतिशत और बलात्कार 7.1 प्रतिशत के मामले रहे।