क्या उत्तर प्रदेश के रेपिस्ट विधायक ने बढ़ा दी है बीजेपी की मुश्किलें?

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हाल ही में उत्तर प्रदेश के एक रेपिस्ट विधायक ने बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं! हाल में हुए विधानसभा चुनावों में तीन राज्य जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी आत्मविश्वास से भरी दिख रही है। गृह मंत्री अमित शाह एक कार्यक्रम के दौरान कह चुके हैं नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। इस जीत में सबसे ज्यादा श्रेय महिला वोटरों को दिया जा रहा है। लोकसभा चुनावों को लेकर भाजपा के रणनीतिकार अब महिलाओं को जोड़ने के लिए तमाम रणनीतियों पर काम कर रहे हैं। इन सबके बीच उत्तर प्रदेश से आई एक खबर भाजपा के लिए चिंता खड़ी कर सकती है। दरअसल सोनभद्र की एक एमपी-एमएलए कोर्ट ने शुक्रवार काे दुद्धी विधानसभा से भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को रेप के मामले में 25 साल के कठोर कारावास की सजा सुना दी है। यही नहीं 10 लाख का जुर्माना भी ठोका गया है। ये सजा यूपी के इतिहास में किसी विधायक को मिली अब तक की सबसे बड़ी सजा मानी जा रही है। अब सवाल ये है कि इस घटना का यूपी में महिला वोटरों पर कितना असर पड़ेगा? भाजपा और विपक्ष इसे किस तरह देख रहे हैं? दरअसल रामदुलार गोंड को एक नाबालिग लड़की के साथ 9 साल पहले दुष्कर्म की सजा मिली है। इस सजा के साथ ही उनकी विधानसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराया जाना तय हो गया है। कारण ये है कि जनप्रतिनिधित्व कानून कहता है कि कोई भी जनप्रतिनिधि को दो या उससे अधिक साल की कैद होने पर दोषसिद्धि की तारीख से सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य मान लिया जाएगा। यही नही सजा पूरी होने के बाद अगले 6 साल के लिए वह सदन की सदस्यता के लिए पात्र नहीं होगा।

गोंड ही नहीं भाजपा के एक और विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर की ऐसे ही सदस्यता गई थी। वह जेल में सजा काट रहे हैं। उन्नाव के बांगरमऊ से विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर पर 2017 में एक लड़की ने रेप का आरोप लगाया था। मामले में कोई कार्रवाई न होने पर पीड़िता ने 2018 में लखनऊ में सीएम आवास के बाहर आत्मदाह करने की कोशिश की थी। पीड़िता के पिता की कस्टडी में मौत का मामला भी सामने आया। मामले में योगी सरकर ने केस सीबीआई को भेज दिया। जिसके बाद कुलदीप सिंह सेंगर को गिरफ्तार किया गया। विधानसभा से माननीयों की सदस्यता रद्द होने की बात करें तो हाल के वर्षों में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। गोंड के अलावा सदस्यता गंवाने वालों में कुलदीप सिंह सेंगर- बांगरमऊ, उन्नाव, विक्रम सैनी- खतौली, मुजफ्फरनगर, इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी, गोसाईंगंज, अयोध्या, और अशोक सिंह चंदेल- हमीरपुर के नाम शामिल हैं। इसी तरह गैर भाजपाई माननीयों को सजा की बात करें तो आजम खान- रामपुर, अब्दुल्ला आजम- स्वार, रामपुर, बसपा सांसद अफजाल अंसारी और सपा के सांसद मित्रसेन यादव- फैजाबाद अयोध्या को अयोग्‍य घोषित किया गया था।

अब सवाल ये है कि क्या रामदुलार गोंड के मामले से भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो रही हैं? क्योंकि भारतीय जनता पार्टी अपनी जीत में हमेशा से महिला मतदाताओं का विशेष योगदान मानती रही है। हाल में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों मे जीत का अहम कारण भी यही माना गया। मोदी और योगी सरकार की तमाम योजनाएं खासतौर पर आधी आबादी पर केंद्रित रहती हैं।

हालांकि इस मुद्दे को भाजपा के नेता दूसरी तरह से देख रहे हैं। पार्टी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में कानून अपना काम कर रहा है। अभी तक नजर डालिए तो सजा पाने वालों माननीयों में सबसे बड़ी संख्या भाजपा विधायकों की है। ये दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार पूरी ईमानदारी के साथ बिना किसी पक्षपात के काम कर रही है। यहां जाति, धर्म, पार्टी देख काम नहीं होता। इस मामले में अभियोजन प्रशंसा के पात्र हैं कि उन्होंने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाया। रामदुलार गोंड का मुद्दा विपक्ष के हाथ जरूर लगा है लेकिन प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की तरफ से सिर्फ एक्स पर पोस्ट ही की गई। अखिलेश यादव जो आमतौर पर इस तरह के मामलों में योगी सरकार पर हमलावर दिखते हैं, उनका भी कोई बयान नहीं आया। अखिलेश की तरह ही किसी प्रमुख विपक्षी नेता का बयान नहीं आया।

वहीं यूपी कांग्रेस का एक्स पर पोस्ट आया। इसमें लिखा गया, “बलात्कारियों के एक सरगना अब कारागार के द्वार तक पहुंच गए हैं। दुद्धी के बलात्कारी भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को सोनभद्र न्यायालय ने नाबालिग से बलात्कार के मामले में 25 साल की सजा और 10 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। बलात्कारियों का अपने अंजाम तक पहुंचना तय ही है। चाहे शासन उसे बचाने का जितनी जुगत कर ले। एक बेटी को न्याय देते हुए न्यायोचित निर्णय करने के लिए हम मा. न्यायालय का आभार व्यक्त करते हैं। “सच परेशान हो सकता है, पराजित नहीं!” यह सूक्ति आज पुनः चरितार्थ हो गई।”

इस कार्यशाला में महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ज्योति पंडया ने बताया कि नारी शक्ति को भाजपा के साथ जोड़ने के लिए विशेष अभियान पार्टी द्वारा तय किये गए हैं। विभिन्न क्षेत्रों में सभी प्रभावी मातृशक्तियों को सम्पर्क के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी से जोड़ने का कार्य महिला मोर्चा करेगा। एनजीओ से जुड़ी हुई महिलाएं, खेलकूद से जुड़ी हुई महिलाएं, प्रबुद्ध वर्ग की महिलाएं, ट्रांसजेंडर, महिला साहित्यकार, महिला पत्रकार, स्वयं सहायता समूह संचालित करने वाली महिलाओं, नव युवतियों आदि से अभियान चलाकर भारतीय जनता पार्टी अपनी विचारधारा और भाजपा सरकारों की जनकल्याणकारी योजनाओं के साथ जुड़ने का कार्य करेगी।

यूपी विधानसभा की बात करें तो इस समय यूपी के इतिहास में सबसे ज्यादा 47 महिला विधायक सदन में पहुंची हैं। इनमें भी भाजपा की सबसे ज्यादा 29 महिला विधायक हैं, वहीं समाजवादी पार्टी की 14, अपना दल की तीन और कांग्रेस की एक विधायक शामिल हैं। इससे पहले 2017 में 42, 2012 में 35, 2007 में 23 महिला विधायक सदन में पहुंचीं। यही नहीं चुनाव लड़ने में भी महिलाएं तेजी से आगे आ रही हैं। 2022 के विधानसभा चुनावों में 560 महिला प्रत्याशियों ने अपना भाग्य आजमाया। इससे पहले 2017 में 482 महिला प्रत्याशी रही थीं।