यह सवाल उठना लाजमी है कि नए क्रिमिनल केसों के कानून के बाद आखिर पुराने कानून का क्या होगा! नए क्रिमिनल लॉ वाले तीनों बिल राज्यसभा से भी पास हो गए। राष्ट्रपति की मुहर लगने के साथ ही कानून अमल में आ जाएगा। मौजूदा IPC, CrPC और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह नए तीनों कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम होंगे। ऐसे में अहम सवाल यह है कि मौजूदा कानून के तहत दर्ज केस जो पेंडिंग हैं उस पर क्या असर होगा? क्या नए कानून सिर्फ नए मामले में लागू होंगे? क्या अदालतों में दोनों ही मामले साथ चलेंगे? सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट विराग गुप्ता बताते हैं, नए क्रिमिनल लॉ लागू होने की जो भी तारीख होगी उस तारीख से जब अपराध होगा तो वह नए कानून में दर्ज किया जाएगा। उसी के हिसाब से मुकदमा चलेगा और सजा होगी। इसका मतलब है कि IPC, CrPC और एविडेंस एक्ट का नए मामले में असर नहीं होगा। पहले से जो केस दर्ज हैं उसमें पहले के कानून के तहत ही चार्जशीट दाखिल की जाएगी और पहले के कानून के तहत ही उसमें मुकदमा चलेगा। जो केस अदालतों में पेंडिंग हैं उन केसों की सुनवाई पहले की तरह चलती रहेगी। उन पर असर नहीं होगा।
सीनियर क्रिमिनल लॉयर रमेश गुप्ता बताते हैं कि अभी तक पुलिस को IPC, CrPC और इंडियन एविडेंस एक्ट के बारे में ट्रेनिंग दी जाती रही है। जब नया कानून लागू होगा तो पुलिस को नए कानून के बारे में ट्रेनिंग देनी होगी। पुलिस की ड्यूटी बढ़ जाएगी क्योंकि पुराने कानून के तहत उन्हें केसों की पैरवी करनी होगी और पुराने FIR में पहले के नियम के तहत आगे कार्रवाई करनी होगी। नए केस में नए कानून के तहत कार्रवाई करनी होगी और FIR से लेकर चार्जशीट दोनों ही में नए प्रावधान पर अमल करना होगा। हालांकि, धाराएं बदल गई हैं पर उसका कंटेंट वही है ऐसे में पुलिस को नए सिरे से धाराओं को याद करना होगा।
दिल्ली बार काउंसिल के चेयरमैन और सीनियर एडवोकेट के. के. मनन बताते हैं कि वकील जो अभी तक IPC, CrPC या इंडियन एविडेंस एक्ट पढ़कर प्रैक्टिस करते रहे हैं उन्हें अब नए कानून को भी याद करना होगा। नए मामले में नए कानून के तहत कार्रवाई होगी और जब मामला अदालत में आएगा तो वकील को उसे नए कानून के दायरे में दलील देनी होगी। इस तरह देखा जाए तो वकीलों को दोनों पाठ पढ़ना होगा। जो अभी लॉ कर रहे हैं वे जब पढ़कर निकलेंगे तो दोनों ही कानून यानी पुराने और नए कानून के बारे में उन्हें बराबर जानकारी रखनी होगी। सीनियर एडवोकेट रमेश गुप्ता कहते हैं कि निश्चित तौर पर पुलिस और वकील के साथ-साथ अदालत में जजों को दोनों तरह के कानून से संबंधित मामलों को देखना होगा। यह हो सकता है कि एक केस नए मामलों से संबंधित हो तो दूसरा केस पुराने पेंडिंग केस से संबंधित हो तो ऐसे में दोनों ही मामले में तय प्रक्रिया और कानून के तहत आगे बढ़ना होगा।
कानूनी जानकार एडवोकेट एम. एस. खान बताते हैं कि अभी तक UAPA के तहत आतंकवाद से संबंधित अपराध को डील किया जाता रहा है। साथ ही संगठित अपराध के मामले को डील करने के लिए मकोका है। अब इन दोनों तरह के अपराध को मौजूदा बिल में धारा-111 में संगठित अपराध और 113 में टेरर गतिविधि को रखा गया है। ऐसे में स्पेशल एक्ट के औचित्य पर संशय है। बता दें कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक- 2023 को लोकसभा ने पास कर दिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि तीन आपराधिक कानूनों की जगह पर लाए गए बिल गुलामी की मानसिकता को मिटाने और औपनिवेशिक कानूनों से मुक्ति दिलाने की नरेंद्र मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाते हैं। शाह का कहना था कि ये प्रस्तावित कानून व्यक्ति की स्वतंत्रता, मानव के अधिकार और सबके साथ समान व्यवहार रूपी तीन सिद्धांतों पर आधारित हैं। लोकसभा के बाद इस पर राज्यसभा में बहस होगी वहां से पास होने के बाद कानून अमल में आ जाएगा। मौजूदा IPC, CrPC और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह ये कानून लेंगे। मौजूदा IPC में 511 धाराएं हैं, जबकि नए कानून यानी भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक, नए कानून पर जब राष्ट्रपति की मुहर लग जाएगी तब वह लागू हो जाएगा और नए मामलों के लिए वह अमल में आएगा। नए कानून में मॉब लिंचिंग के लिए फांसी तक की सजा का प्रावधान है।
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध को धारा-63 से लेकर 99 तक रखा गया है। रेप को 63 में परिभाषित किया गया है। रेप में सजा के लिए धारा-64 में प्रावधान किया गया है। गैंगरेप को धारा-70 में परिभाषित किया गया है। अगर 12 साल तक की बच्ची से कोई रेप में दोषी पाया जाता है तो उसे फांसी तक की सजा हो सकती है या आजीवन जेल में रहने की सजा हो सकती है। शादी का वादा कर संबंध बनाने को रेप के दायरे से बाहर कर दिया गया है। उसे अलग से अपराध के तौर पर परिभाषित करते हुए धारा-69 में इसके लिए प्रावधान किया गया है। ऐसे मामले में दोषी पाए जाने पर अधिकतम 10 साल कैद की सजा हो सकती है।