आखिर नए क्रिमिनल केस के कानून में क्या-क्या है नया?

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PM Modi addressing NDA members during the meeting at parliament. Express photo by Renuka Puri. 25th may 2019

आज हम आपको बताएंगे की नए क्रिमिनल केस के कानून में क्या-क्या चीज नयी है! लोकसभा ने 20 दिसंबर 2023 को तीन संशोधित आपराधिक कानून विधेयक पारित किए। जो भारतीय न्याय द्वितीय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा द्वितीय संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य द्वितीय विधेयक 2023 हैं। आइए आसान भाषा में तीनों क्रिमिनल बिन के विषय में जानकारी प्राप्त कर लेतेे हैं। भारतीय न्याय द्वितीय संहिता 2023, भारतीय दंड संहिता IPC 1860 का स्थान लेगी। ये देश में क्रिमिनल ऑफेंस पर प्रमुख लॉ है। नए विधेयक में सामुदायिक सेवा को सजा के रूप में परिभाषित किया गया है। इसके अंतर्गत पहले की 511 धाराओं के बजाय अब 358 धाराएं होंगी। इसमें 21 नए अपराध जोड़े गए हैं और 41 अपराधों में सजा के टाइम को बढ़ा दिया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा द्वितीय संहिता 2023, आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 CrPC की जगह लेगी। CrPC अरेस्ट, प्रॉसीक्यूशन और बेल के लिए है। इसके अंतर्गत CrPC में 531 धाराएं होंगी, जबकि पहले केवल 484 धाराएं थीं। नए विधेयक में 177 धाराओं में बदलाव किए गए हैं और 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 14 धाराओं को निरस्त कर दिया गया है।

यह विधेयक भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 का स्थान लेगा। यह अधिनियम इंडियन कोर्ट्स में एविडेंस की ऐडमिसिबिलिटी पर आधारित है। यह सभी नागरिक और आपराधिक कार्यों पर लागू होता है। इन कानूनों में FIR से लेकर केस डायरी, आरोप पत्र, और पूरी प्रक्रिया को डिजिटल बनाने का प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत पहले की 167 धाराओं के बजाय अब 170 धाराएं होंगी। 24 धाराओं में बदलाव किये गये हैं। लोकसभा में वॉईस वोट से विधेयकों को पारित किया गया। इसका उद्देश्य ब्रिटिश काल के कानूनों को बदलना है। नया कानून मौजूदा आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव लाएगा। वर्तमान कानूनों में केवल दंडात्मक कार्रवाई के प्रावधान हैं लेकिन नए कानून मानवीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं। इसमें महिलाओं और बच्चों को प्राथमिकता दी गई है।

इन प्रस्तावित कानूनों ने राजद्रोह को अपराध के रूप में खत्म कर दिया और “राज्य के खिलाफ अपराध” नामक एक नई धारा पेश की। इनमें पहली बार, आतंकवाद को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। इसमें मॉब लिंचिंग के लिए भी मौत की सजा दी गई है। नाबालिग से दुष्कर्म में फांसी की सजा का प्रावधान है। ट्रायल अदालतों को FIR दर्ज होने के तीन साल में हर हाल में सजा सुनानी होगी। अपराध कर विदेश भाग जाने वाले या कोर्ट में पेश न होने वालों के खिलाफ उसकी अनुपस्थिति में सुनवाई होगी। सजा भी सुनाई जा सकेगी। बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि तीन आपराधिक कानूनों के स्थानों पर लाए गए विधेयकों के संसद से पारित होने के बाद भारत के आपराधिक न्याय प्रक्रिया में नई शुरुआत होगी। यह पूरी तरह भारतीय होगी। भारतीय न्याय संहिता बीएनएस विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बीएनएसएस विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य बीएस विधेयक, 2023 पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए शाह ने यह भी कहा कि इन विधेयकों का उद्देश्य पिछले कानूनों की तरह दंड देने का नहीं बल्कि न्याय मुहैया कराने का है। शाह बोले, ‘इस नए कानून को ध्यान से पढ़ने पर पता चलेगा कि इसमें न्याय के भारतीय दर्शन को स्थान दिया गया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने भी राजनीतिक न्याय, आर्थिक न्याय और सामाजिक न्याय को बरकरार रखने की गारंटी दी है। संविधान की यह गारंटी 140 करोड़ के देश को यह तीनों विधेयक देते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘इन कानूनों की आत्मा भारतीय है। पहली बार भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद से बनाए गए कानून से हमारी आपराधिक न्याय प्रक्रिया चलेगी। इसका मुझे बहुत गौरव है।’ शाह के अनुसार, इन कानूनों की आत्मा भी भारतीय है, सोच भी भारतीय है और ये पूरी तरह से भारतीय हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता आईपीसी, दंड प्रक्रिया संहिता सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, इन तीनों कानूनों को 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों के शासन की रक्षा के लिए बनाया गया था। इनका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजों के शासन की सुरक्षा करना था। इसमें कहीं भारत के नागरिक की सुरक्षा, उसके सम्मान और मानव अधिकार की सुरक्षा नहीं थी।

तीनों आपराधिक बिलों के पारित होने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक करार दिया। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्‍स पर लिखा- ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, भारतीय न्याय संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 का पारित होना ऐतिहासिक क्षण है। ये विधेयक औपनिवेशिक युग के कानूनों के अंत का प्रतीक हैं। ये परिवर्तनकारी विधेयक सुधार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं। वे प्रौद्योगिकी और फोरेंसिक विज्ञान पर ध्यान देने के साथ हमारी कानूनी, पुलिस और जांच प्रणालियों को आधुनिक युग में लाते हैं। ये विधेयक गरीबों, हाशिए पर रहने वाले और वंचितों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। तीनों विधेयक संगठित अपराध, आतंकवाद और ऐसे अपराधों पर कड़ा प्रहार करते हैं जो प्रगति की हमारी शांतिपूर्ण यात्रा की जड़ पर हमला करते हैं। इनके माध्यम से हमने राजद्रोह पर पुरानी धाराओं को भी अलविदा कह दिया है।’