यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या कुश्ती चैंपियन साक्षी मलिक का संन्यास बीजेपी को मात दे सकता है या नहीं! कांग्रेस ने गुरुवार को आरोप लगाया कि ओलंपिक विजेता पहलवान साक्षी मलिक की आंखों में आंसू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की देन है। उल्लेखनीय है कि आंखों में आंसू लिये रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने यहां बृज भूषण शरण सिंह के विश्वासपात्र संजय सिंह की भारतीय कुश्ती महासंघ डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष पद के चुनाव में जीत का विरोध करते हुए अपने कुश्ती के जूते टेबल पर रखे और कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा की। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”इन चैंपियन पहलवानों ने 1.4 अरब भारतीय नागरिकों का गौरव बढ़ाया। आज, हमारा सिर शर्म से झुक गया है कि उन्होंने संन्यास लेने का फैसला किया है क्योंकि उनके खिलाफ यौन हिंसा का अपराधी अपने एक प्रतिनिधि के माध्यम से भारतीय कुश्ती चला रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पहलवानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान गृह मंत्री ने न्याय का आश्वासन दिया था, लेकिन आज ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा ने आरोपी सांसद को बचाना जारी रखा है।’
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक हैंडल के जरिये ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”ये आंसू मोदी सरकार की देन हैं। देश की बेटी साक्षी मलिक न्याय मांग रही थी। सरकार के तमाम लोगों से मिली, धरना दिया, लाठियां खाईं और आज इतना मज़बूर हो गई कि सन्यास ले लिया। दुर्भाग्य की बात है, देश-विदेश में अपनी ताकत का लोहा मनवाने वाली देश की बेटी आज कह रही है- मैं हार गई।’ डब्ल्यूएफआई के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण के करीबी संजय गुरुवार को यहां हुए चुनाव में डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बने और उनके पैनल ने 15 में से 13 पद पर जीत हासिल की। इस नतीजे से तीन शीर्ष पहलवान मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया को काफी निराशा हुई जिन्होंने महासंघ में बदलाव लाने के लिए काफी जोर लगाया था।
ओलिंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने गुरुवार को कहा कि भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के रूप में संजय सिंह की जीत के बाद वह अब कुश्ती में प्रतिस्पर्धा नहीं करेंगी। संजय कुमार सिंह भारतीय कुश्ती महासंघ के नए अध्यक्ष चुने गए हैं। वह पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी हैं। इस फैसले से नाराज साक्षी मलिक ने अपना दर्द बयां किया है। ओलिंपियन बजरंग पुनिया, साक्षी और विनेश फोगट के नेतृत्व में पहलवानों के एक समूह द्वारा लंबे आंदोलन के बाद बृज भूषण शरण सिंह को पद से हटा दिया गया था। साक्षी मलिक के संन्यास के बाद में पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह से पूछा गया। उन्होंने मीडिया से कहा- मुझे इससे क्या लेना देना है भाई। इस बात को उन्होंने दो बार बोला और वहां से चले गए। उनके साथियों ने फिर मीडिया को वहां से दूर जाने को बोल दिया। बृज भूषण शरण सिंह कैसरगंज से भाजपा के सासंद हैं।
इस ऐलान के बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस से जाने से पहले अपने जूते उतारकर मंच पर रख दिए और रोते हुए अपनी बात रखी। भावुक साक्षी ने कहा, ‘हम 40 दिनों तक सड़कों पर सोए और देश के कई हिस्सों से बहुत सारे लोग हमारा समर्थन करने आए। अगर बृजभूषण सिंह के बिजनेस पार्टनर और करीबी सहयोगी को डब्ल्यूएफआई का अध्यक्ष चुना जाता है, तो मैं कुश्ती छोड़ दूंगा। मैं निराश हूं और मैं अब कुश्ती में प्रतिस्पर्धा नहीं करूंगी।’ चुनावों से पहले ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया और साक्षी ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से बार बार अनुरोध किया था कि बृजभूषण से जुड़े किसी भी व्यक्ति को डब्ल्यूएफआई के चुनाव लड़ने से रोका जाये।निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण के करीबी संजय गुरुवार को यहां हुए चुनाव में डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बने और उनके पैनल ने 15 में से 13 पद पर जीत हासिल की। इस नतीजे से तीन शीर्ष पहलवान मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया को काफी निराशा हुई जिन्होंने महासंघ में बदलाव लाने के लिए काफी जोर लगाया था। जिसके परिणामस्वरूप बृजभूषण के बेटे प्रतीक और उनके दामाद विशाल सिंह चुनाव में नहीं उतरे।मुझे इससे क्या लेना देना है भाई। इस बात को उन्होंने दो बार बोला और वहां से चले गए। उनके साथियों ने फिर मीडिया को वहां से दूर जाने को बोल दिया। बृज भूषण शरण सिंह कैसरगंज से भाजपा के सासंद हैं। चुनाव के बाद बजरंग और विनेश फोगाट ने मीडिया से बात की लेकिन यह नहीं कहा कि वे खेल से संन्यास ले लेंगे।