क्या मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा?

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यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा या नहीं! मैरिटल रेप के मामले में अलग-अलग हाई कोर्ट का अलग-अलग फैसला आया है। मामला सुप्रीम कोर्ट में है और सुनवाई होने वाली है। ऐसे में पिक्चर सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई के बाद ही साफ हो जाएगी। गुजरात हाई कोर्ट ने पिछले हफ्ते कहा कि बलात्कार तो बलात्कार है और भले ही किसी महिला के पति ने उसके साथ किया हो। भारत में महिलाओं के खिलाफ जो सेक्सुअल अपराध होता है, उस पर मौन तोड़ने की जरूरत है। वहीं इस महीने की शुरुआत में ही एक अन्य मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मैरिटल रेप में बड़ा फैसला देते हुए कहा कि पत्नी की उम्र अगर 18 साल से ज्यादा हो तो IPC के तहत वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना जा सकता है। मैरिटल रेप मामले में अलग-अलग हाई कोर्ट का फैसला भी अलग-अलग है। वैसे मैरिटल रेप का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है और इस पर सुनवाई होनी है जिसके बाद ही इस मामले में पूरी तस्वीर साफ हो पाएगी। IPC की धारा-375 या फिर भारतीय न्याय संहिता की धारा-63 में रेप को परिभाषित किया गया है। कानून कहता है कि अगर कोई शख्स किसी भी महिला के साथ उनकी मर्जी के खिलाफ संबंध बनाता है तो वह रेप होगा। साथ ही बालिग पत्नी के साथ जबरन संबंध रेप का अपवाद होगा। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अक्टूबर में एक मामले में फैसला दिया था कि पति के खिलाफ जबरन अप्राकृतिक संबंध बनाने का केस नहीं चल सकता है, क्योंकि रेप के मामले में पति को अपवाद में रखा गया है और रेप कानून की नई परिभाषा ज्यादा व्यापक है और अप्राकृतिक संबंध भी रेप के दायरे में है। ऐसे में पति के खिलाफ जबरन अप्राकृतिक संबंध का केस नहीं चलेगा क्योंकि मैरिटल रेप अपराध नहीं है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि पत्नी की उम्र अगर 18 साल से ज्यादा हो तो IPC तहत पति के खिलाफ मैरिटल रेप का केस नहीं बनेगा। आरोपी को अप्राकृतिक अपराध के मामले में बरी करते हुए यह टिप्पणी की गई। कोर्ट ने कहा कि धारा-377 के तहत जो अपराध है वह रेप की परिभाषा में शामिल है और मैरिटल रेप के मामले में पति को अपवाद में रखा गया है। गुजरात हाई कोर्ट ने फैसला दिया है कि रेप तो रेप होता है, भले ही रेप करने वाला पति ही क्यों न हो। अदालत ने कहा कि भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की वास्तविक घटनाएं संभवतया आंकड़ों से कहीं ज्यादा है। महिलाओं को ऐसे वातावरण में रहना पड़ता है जहां वह हिंसा को झेलती हैं। केरल हाई कोर्ट ने कहा कि पत्नी की मर्जी के खिलाफ जाकर अगर पति संबंध बनाता है यानी मैरिटल रेप करता है तो यह तलाक का मजबूत आधार होगा। कोर्ट ने कहा कि यह मानसिक और शारीरिक क्रूरता के दायरे में है और यह तलाक का आधार है।

दिल्ली हाई कोर्ट में मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने के लिए अर्जी दाखिल की गई थी। वहीं, केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हाई कोर्ट को बताया था चूंकि इस मामले का सामाजिक और पारिवारिक जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए केंद्र परामर्श प्रक्रिया के बाद ही अपना पक्ष रखेगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने 11 मई को इस मामले में जो फैसला दिया वह बंटा हुआ था। दो जजों की बेंच में एक जज ने इसे अपराध की श्रेणी में लाने की बात कही तो दूसरे ने इसके विपरीत आशय जाहिर किया। जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया है।

बता दे कि बार एंड बेच की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात हाई कोर्ट के जस्टिस दिव्येश जोशी ने अपने 8 दिसंबर को आदेश में अमेरिकी राज्यों, तीन ऑस्ट्रेलियाई राज्यों, न्यूजीलैंड, कनाडा, इज़राइल, फ्रांस, स्वीडन, डेनमार्क, नॉर्वे, सोवियत संघ, पोलैंड और चेकोस्लोवाकिया का जिक्र करते हुए कि करीब 50 देशों में मैरिटल रेप अपराध है। कई देश इसे अपराध घोषित करने की जा रहे हैं। जस्टिस दिव्येश जोशी ने टिप्पणी की कि ‘लड़के ही लड़के रहेंगे’ के सामाजिक रवैये को बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया, जो पीछा करने और छेड़छाड़ के अपराधों को सामान्य बनाता है। जोशी ने कहा कि भारीय दंड संहिता काफी तरह तक यूके से प्रेरित है। उसने भी पति को रेप से छूट देने को हटा दिया है।

जस्टिस दिव्येश जोशी ने आदेश में कहा गया है कि अगर कोई पुरुष किसी महिला का यौन उत्पीड़न करता है या उसे टेप करता है, तो आईपीसी की धारा 376 के तहत सजा दी जा सकती है। जस्टिस ने काफी मामलों में ऐसा देखा गया है कि एक पति जब दूसरे व्यक्ति की तरफ इस तरह का कृत्य करता है तो उसे छूट दे दी जाती है। मेरी अपनी राय है कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। बलात्कार बलात्कार है, चाहे वह किसी भी पुरुष द्वारा किया गसा हो। चाहे पति हो और महिला पत्नी हो। जोशी ने कहा कि इस बारे में सामाजिक रवैया बदले की जरूरत है।

जस्टिस दिव्येश जाेशी ने ये कड़ी टिप्पणियों राजकोट के उस मामले कीं जिसमें एक महिला ने अपने पति-सास और ससुर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें कहा था कि उन्हें न सिर्फ नग्न वीडियो रिकॉर्ड किए बल्कि उन्हें अश्लील साइट पर अपलोड किया। कोर्ट में सुनवाई के दौरान पीड़िता की तरफ दलील दी गई कि पति ये सब हरकतें अपने माता-पिता की शह पर कर रहा था। पीड़ित की ओर से कहा गया है कि इस सब के पीछे का मकसद पैसा कमाना और अपने होटल को बेचने से बचना था क्योंकि वे आर्थिक संकट से जूझ रहे थे। ऐसा उन्होंने अधिक रुपये कमाने के लिए किया। कोर्ट ने इस मामले में तमाम आरोपियों की जमानत खारिज कर दी।