Wednesday, February 12, 2025
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जानिए अयोध्या राम मंदिर के बारे में सब कुछ!

आज हम आपको अयोध्या राम मंदिर के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं! लंबी प्रतीक्षा के बाद अयोध्या में रामलला के विराजमान होने की घड़ी पास आ रही है। 22 जनवरी को भगवान राम बालस्वरूप में अपने नवनिर्मित मंदिर में विराजित होंगे। लेकिन, 2.70 एकड़ में विकसित किया जा रहा तीन मंजिला मंदिर राम के धाम का महज एक हिस्सा भर है। पूरा धाम जिसे मंदिर परिसर या कॉम्प्लेक्स का नाम दिया गया है, इसे पूरा होने में एक साल से अधिक का समय लगेगा। 70 एकड़ के इस कॉम्प्लेक्स को अध्यात्म, इतिहास और सुविधाओं के संगम के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिससे यहां आने पर श्रद्धालुओं को त्रेतायुगीन परंपराओं और भव्यता का अनुभव हो सके। प्रधानमंत्री 22 जनवरी को जिस गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा करेंगे वह ग्राउंड फ्लोर पर है। प्राण प्रतिष्ठा तक ग्राउंड फ्लोर के ही कार्य को अंतिम रूप दिया जा सकेगा, जिस पर 160 खंभे या स्तंभ बने हैं। प्रवेश का मुख्य द्वार जिसे सिंहद्वार कहा गया है, उसका काम भी लगभग पूरा हो चुका होगा। यहां अलग-अलग प्रतिमाओं के स्थापित होने का कार्य चल रहा है। सिंहद्वार के ही समीप बनने वाले प्लाजा पर दीप स्तंभ भी बनाए जाएंगे। फर्स्ट फ्लोर जिस पर राम दरबार स्थापित होना है, उसका काम भी अंतिम चरण में है। साथ ही पांचों मंडप- नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना और कीर्तन मंडप को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। मंदिर के चारों ओर बन रही सुरक्षा दीवार या 732 मीटर लंबे परकोटे का निर्माण पूरा होने में अभी समय लगेगा।

मंदिर कॉम्प्लेक्स का दो-तिहाई क्षेत्र करीब 48 एकड़ हरित क्षेत्र के तौर पर विकसित किया जाएगा, जिससे मंदिर की प्राकृतिक आभा निखर सके। इसके लिए लैंडस्केपिंग और पौधारोपण पौराणिक मान्यताओं के अनुसार होंगे। परिसर में विकसित की जाने वाली वाटिकाओं का नामकरण भी रामायणकालीन पात्रों के नाम पर होगा। परिसर में जो पौधे लगाए जा रहे हैं, वे भी अलग-अलग नक्षत्रों और ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार चयनित किए गए हैं। मंदिर कॉम्प्लेक्स का एक बड़ा हिस्सा तीर्थ यात्रियों की सुविधाओं के लिए भी विकसित किया जा रहा है। परिसर में जिन प्राचीन मंदिरों को संरक्षित किया गया है, उन्हें भी लैंडस्केपिंग के जरिए मनोरम बनाया जाना है। इसमें प्राचीन शिवमंदिर से लेकर शेषावतार मंदिर तक शामिल है। अयोध्या राम की जन्मस्थली है, इसलिए वहां उनकी पूजा उनके बालरूप में ही होती है। गर्भगृह में भगवान राम की प्रतिमा उनके बालस्वरूप रामलला के रूप में ही स्थापित की जाएगी। इसलिए, गर्भगृह में वह पांच वर्ष की आयु के बालक के रूप में अकेले ही स्थापित किए जाएंगे। फर्स्ट फ्लोर पर गर्भगृह में रामदरबार बनेगा। यहां भगवान राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ विराजेंगे। उनके चरणों में भगवान शंकर का अवतार माने जाने वाले भक्त हनुमान भी सुशोभित होंगे।

भारतीय सनातन परंपरा में राम सामूहिकता और समरसता के भी आदर्श हैं। इसलिए, उनके मंदिर में भी इस भावना का प्रतिबिंब दिखेगा। मंदिर के चारों ओर परकोटे पर छह मंदिर बन रहे हैं। साथ ही ऋषि मंदिर में महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, ऋषि पत्नी अहिल्या के साथ निषादराज और माता शबरी के मंदिर स्थापित होंगे। मंदिर कॉम्प्लेक्स में राम की परंपरा से जुड़े दूसरे सहयोगियों की धरोहरों को भी संरक्षित और विकसित किया जा रहा है। माना जाता है कि जब प्राचीन काल में यहां मंदिर था तो उसकी स्थापना के साथ चारों ओर भगवान राम के अभियान में सहयोग देने वाले पात्रों से जुड़े स्थान भी स्थापित किए गए थे। इसे सुरक्षा घेरे के तौर पर देखा जाता था। कॉम्प्लेक्स को विकसित करते समय भी इस भावना का ध्यान रखा गया है। किष्किंधा के राजकुमार अंगद के नाम पर स्थापित अंगद टीला और समुद्र पर पुल बनाकर लंका की राह सुगम बनाने वाले नल के नाम पर बना टीला भी कार्ययोजना का हिस्सा हैं। समृद्धि और धन के देवता कुबेर के टीले को भी संरक्षित किया जा चुका है। इस पर गिद्धराज जटायु की प्रतिमा स्थापित की जा चुकी है। परिसर में स्थित सीता कूप को भी संरक्षित किया गया है। मान्यता है कि इसमें सभी तीर्थों का जल समाहित है।

यहां यज्ञशाला का निर्माण हो रहा है। यज्ञ, आहुति सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठान संपादित किए जाएंगे। कर्म क्षेत्र इसे अनुष्ठान मंडप का रूप दिया गया है। यहां श्रद्धालु विभिन्न संस्कार और कार्यक्रम आयोजित कर सकेंगे। गुरु वशिष्ठ पीठिका भगवान राम सहित चारों भाइयों को गुरु वशिष्ठ ने शास्त्रों की शिक्षा दी थी। इसलिए उनके नाम पर पीठिका भी स्थापित की जाएगी। भक्ति टीला मंदिर कांप्लेक्स में टीले को योग, अध्यात्म और प्रार्थना के केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां पर श्रद्धालु प्रार्थना और ध्यान कर सकेंगे। प्रसाद मंडप इसका नाम भगवान राम के भाई भरत के नाम पर भरत प्रसाद मंडप रखा गया है। यहां पर प्रसाद, भोग आदि तैयार होंगे, जो पूजन-अर्चन में उपयोग होंगे।

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